वाराणसी (ब्यूरो)। हीट वेव ने लोगों की मेंटर हेल्थ बिगाड़ दी है। इसकी गवाही दे रहे हैं पांडेयपुर मानसिक चिकित्सालय के आंकड़े। यहां एवरेज 700 से 800 पेशेंट रोज आ रहे हैं। हालात यह है कि कोई बड़बड़ाता तो कोई बदहवास तो कोई जंजीरों-रस्सियों में जकड़ा हुआ पहुंच रहा है। हाथ में पर्चा लिए लोगों की लाइन सुबह सात बजे से लग रही है। कई-कई घंटे बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। प्राइवेट डॉक्टरों के यहां भी इस तरह के पेशेंट पहुंच रहे हैं.
गर्मी बढ़ते ही बढऩे लगे मरीज
पाण्डेयपुर मानसिक चिकित्सालय में मार्च माह के अंत में मरीज जहां सौ-डेढ़ सौ की संख्या में आ रहे थे। वहीं जब से गर्मी बढ़ी है, तब से मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालात यह है कि हीट वेव के चलते प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़कर पांच गुना बढ़ी है। एक दिन में 800 मरीज तक पहुंच रहे हैं.
क्या हो रही परेशानी
डाक्टरों का कहना है कि भीषण गर्मी में मानसिक रोगियों को काफी दिक्कत होती है। अधिकतर पेशेंट डिप्रेशन में चले जाते है। गर्मी से चिड़चिड़ापन, हबुआना, बड़बड़ाना, बेवजह एक ही चीज को बार-बार करना उनकी आदत हो जाती है। ऐसे मरीज को देख पाना मुश्किल हो जाता है। उनको सामने वाले की बात समझ में नहीं आती है।
कोई जमीन पर लेटा तो कोई बाहर चेयर पर बैठा
अस्पताल मानसिक रोगियों की भीड़ से अटा-पड़ा है। मरीजों की संख्या इतनी अधिक है कि बैठने के लिए जगह नहीं बच रही। कोई जमीन में लेटा गया तो कोई चेयर पर ही बैठकर पूरे गांव की हिस्ट्री बताने में मशगूल रहा। यही नहीं कई मरीज तो ऐसे भी रहे, जो किसी की बात ही नहीं समझते। ऐसे मरीजों को लेकर आने वाले तीमारदार भी परेशान नजर आ रहे थे। हाल में खड़े होकर डॉक्टर को दिखाने का इंतजार कर रहे थे.
किस तरह के मरीज बढ़े
पांडेयपुर अस्पताल में इन दिनों इलाज के लिए अवसाद, एंग्जाइटी डिसआर्डर, सिजोफ्र निया, बाइपोलर डिसआर्डर से ग्रसित मरीज ज्यादा आ रहे हैं। मानसिक तनाव, चिंता, अवसाद, फोबिया, हिस्टीरिया, डिमेंशिया जैसी कई मानसिक बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
तनाव, चिंता किसी भी समस्या का हल नहीं
अस्पताल के डाक्टरों का कहना है कि तनाव, चिंता किसी भी समस्या का हल नहीं, बल्कि कई अन्य समस्याओं का इससे जन्म होता है। इससे सिरदर्द, माइग्रेन, उच्च या निम्न र1तचाप, हृदय से जुड़ी समस्याएं और चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। ये हालात जीवन की खुशियां व चेहरे की मुस्कान चुरा लेते हैं। अगर कोई आदमी समाज से अलग-अलग रह रहा हो, किसी से बातचीत नहीं करता हो, अनिद्रा से ग्रसित हो, बहुत ज्यादा बोलता हो, गुस्सा करता हो तो उसको मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।
भीषण गर्मी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। प्रतिदिन 700 से 800 मरीज आ रहे है। सभी को देखा जा रहा है और उचित दवाइयां लिखी जा रही है। ऐसे मरीज अगर प्रॉपर तरीके से इलाज कराएं तो ठीक होने की संभावना है.
डा। अमरेंद्र कुमार, निदेशक एवं प्रमुख अधीक्षक, मानसिक चिकित्सालय