वाराणसी (ब्यूरो)दुर्घटना में घायल या हार्ट अटैक के मरीज के लिए तीन मिनट से लेकर करीब एक घंटे तक का समय गोल्डन होता हैइस गोल्डन टाइम में सीपीआर यानी कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन के माध्यम से ऐसे मरीजों की जान बचाई जा सकती हैइस मेडिकल थेरेपी से बेहोश इंसान को सांसें भी दी जाती हैैंजी-20 सम्मेलन को देखते हुए वाराणसी के पुलिस कमिश्नर, कमिश्नर समेत सभी अधिकारियों को सीपीआर की ट्रेनिंग दी गई हैताकि सम्मेलन के दौरान 20 देशों से आने वाले मेहमानों के अलावा किसी को हार्ट अटैक होता है तो सीपीआर की मदद से उसकी जान बचाई जा सकेसीपीआर ट्रेनिंग के एक्सपर्ट राजकीय चिकित्सा अधिकारी डॉशिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने अकेले वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल में अब तक करीब छह लाख लोगों को सीपीआर की ट्रेनिंग दी है.

इमरजेंसी स्थिति में कारगर है सीपीआर

सीपीआर आमतौर पर इमरजेंसी स्थिति में किया जाता हैजब किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रूक जाती है तो सीपीआर का प्रयोग किया जाता हैइसमें बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैइससे फेफड़ों को या दिल की धड़कन सामान होने तक सीना को दबाया जाता हैशरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता हैकार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसे आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती हैकई बार किसी व्यक्ति की अचानक सांस रूक जाती है या फिर कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में किसी को सांस नहीं आता है तो सीपीआर दिया जाता हैइसकी वजह से जान बचाई जा सकती है.

इन परिस्थिति में होगा लाभ

सीपीआर का मतलब है कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशनयह भी एक तरह की प्राथमिक चिकित्सा यानी फस्र्ट एड हैजब किसी पीडि़त को सांस लेने में दिक्कत हो या फिर वो सांस न ले पा रहा और बेहोश हो जाए तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती हैबिजली का झटका लगने पर, पानी में डूबने पर और दम घुटने पर सीपीआर से पीडि़त को आराम पहुंचाया जा सकता हैहार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पडऩे पर सबसे पहले और समय पर सीपीआर देने पर पीडि़त की जान बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.

सीपीआर देने से मजदूर में आ गई थी जान

चेतगंज स्थित बाग बरियार सिंह में निर्माणाधीन जर्जर मकान गिर गया थाइसके मलबे में एक मजदूर विजय दब जाता हैवहीं, एक अन्य मजदूर घायल हो गयाचेतगंज पुलिस द्वारा दोनों मजदूरों को मलबे से बाहर निकाला गयाएक मजदूर की हालत ठीक थी, लेकिन दूसरा मजदूर विजय बेसुध मिलालगा कि उसकी जान बच सकती हैचेतगंज थाने के एसआई शशि प्रताप और अनंत मिश्रा ने मजदूर को पहले उलटा लेटाकर पीठ पर तेज-तेज माराइसके बाद सीधा करके उसे मुंह से हवा देने लगेवहीं, उसके सीने पर हाथ से दबाव देकर सीपीआर देते रहेइतना करने से मजदूर में थोड़ी सी जान आई, उसने झटके में रिस्पांस कियाहल्की हरकत देख, पुलिस वालों के साथ उसे एंबुलेंस में डाला और अस्पताल लेकर भागने लगे। 2 किमी दूर कबीरचौरा के मंडलीय अस्पताल पहुंचतेमजदूर फिर से बेसुध हो गयाडॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया.

दिल का दौरा पडऩे पर पहले एक घंटे को गोल्डन ऑवर माना जाता हैइसी गोल्डन ऑवर में हम मरीज की जान बचा सकते हैंकभी-कभी एंबुलेंस या मेडिकल सुविधा किसी कारण उपलब्ध नहीं होती हैऐसे समय में सीपीआर किसी भी पीडि़त के लिए संजीवनी का काम कर सकता है.

डॉशिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी, राजकीय चिकित्सा अधिकारी