वाराणसी (ब्यूरो)। पूर्वांचल के चर्चित गैंगवार की शुरुआत जिस हत्याकांड से हुई थी उस मामले में जिला न्यायालय ने बरहट निवासी हरिहर सिंह सिंह को आजीवन कारावास व एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई तो माफिया त्रिभुवन सिंह के बड़े भाई रामनगीना सिंह व विजयशंकर सिंह समेत भतीजों ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। करीब 38 वर्ष बाद न्याय मिलने पर माफिया के परिवार ने राहत की सांस ली.
सात बीघा जमीन
बता दें कि मिनी चंबल के नाम से चर्चित मुडिय़ार गांव में त्रिभुवन सिंह के पिता रमापति सिंह और मकनू सिंह व साधू सिंह के परिवार में गैंगवार की शुरुआत बरहट गांव निवासी हरिहर सिंह ने की थी। माफिया मुख्तार अंसारी के गुरू मकनू व साधू और त्रिभुवन के बीच गैंगवार की वजह करीब सात बीघा जमीन की थी.
बार-बार बेची जमीन
लोगों की मानें तो मुडिय़ार निवासी खेदन सिंह की मुडिय़ार गांव में दो जगहों पर करीब सात बीघा जमीन थी। खेदन सिंह ने अपनी जमीन का एक टुकड़ा तीन बीघा आठ बीस्वा छह धूर खानपुर थाना क्षेत्र के इचवल गांव निवासी अपने दामाद अंबिका सिंह को बेच दिया। साथ ही गांव में स्थित करीब चार बीघा एक और जमीन मकनू सिंह को बेच दिया। लोगों के अनुसार अंबिका सिंह को बेची गई जमीन भी बाद में खेदन सिंह ने मकनू सिंह को बेच दिया.
रामपति ने अपने नाम लिखवाई
इसके पहले त्रिभुवन सिंह के पिता स्व। रमापति सिंह ने अंबिका सिंह से तीन बीघा आठ बिस्वा छह धूर जमीन लिखवा लिया था। इसी जमीन को लेकर मकनू एवं साधू सिंह की अदावत त्रिभुवन सिंह के परिवार से शुरू हो गई। ग्रामीणों के अनुसार मकनू सिंह, साधू सिंह अपने मित्र हरिहर सिंह के साथ जमीन को जोत रहे थे, इसका पता चला तो रमापति सिंह भी ट्रैक्टर लेकर लच्छीपुर रोड पर स्थित जमीन को जोतने पहुंचे।
खूनी जंग की शुरूआत
तभी सैदपुर-भितरी मार्ग पर मुडिय़ार गांव स्थित रोड पर ही गोलियों से छलनी कर दिया गया। आरोप लगा मकनू, साधू और हरिहर सिंह पर। यहीं से दोनों परिवारों के बीच खूनी जंग शुरू हो गई जिसने थमने का नाम नहीं लिया। करीब 16 लोगों की हत्या इस जमीन के चक्कर में हुई। अंतत: करीब 38 वर्ष बाद हरिहर सिंह को न्यायालय ने सजा सुनाई। मृतक रमापति सिंह के पुत्र रामनगीना सिंह व विजयशंकर सिंह ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। कहा कि हम न्यायालय के फैसले से खुश हैं। लंबे इंतजार के बाद हमें न्याय मिला है.