वाराणसी (ब्यूरो)बनारस में बाबा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद है या मंदिर इसका सच जानने के लिए शुक्रवार को हाई कोर्ट से आए फैसले के बाद सोमवार सुबह ही एएसआई की टीम सर्वे करने के लिए पहुंच गई। 353 साल पुरानी इस लड़ाई का सच जानने के लिए एएसआई टीम के पहुंचते ही सोशल मीडिया पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गयाजैसे ही टीवी चैनलों और ऑनलाइन पोर्टल पर इसकी खबरें फ्लैश करने लगी वैसे ही ट्विटर और फेसबुक पर लोगों के कमेंट्स और रिएक्शंस आने शुरू हो गए

लाइव अपडेट्स

एक तरफ जहां ज्ञानवापी में सावन का पहला सोमवार होने से बाबा के भक्तों की कतार लगी थी, तो वहीं जिला और पुलिस प्रशासन के साथ पीएससी व आरपीएफ के जवानों की फौज भी जमी हुई थीजहां देश के तमाम टीवी चैनल्स के रिपोर्टर ज्ञानवापी परिसर से लाइव अपडेट्स देने में लगे थे, वहीं लाइव अपडेट्स के साथ सोशल मीडिया पर भी लोग एक्टिव हो चुके थेट्विटर पर आम लोगों के साथ कुछ राजनीतिक दलों के लोग भी कमेंट करने लगे थेयही नहीं कोई मुस्लिम पक्ष से तो कोई हिंदू पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में लगा रहासोमवार को ट्विटर पर ज्ञानवापी 5वें नंबर पर ट्रेंड कर रहा था

चलिए बताते हैं किसने क्या लिखा

ट्विटर पर हैश टैग करते हुए आनंद नरसिम्हा ने लिखा कि ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसलाकोर्ट ने कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे किए जाने का आदेश जारी कियाएएसआई को करना होगा साइंटिफिक सर्वे कथित शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना करना होगा सर्वे

उत्कर्ष सिंह लिखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की इजाजत दे दीसुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे पर अंतरिम रोक लगाईएएसआई सर्वे पर 26 जुलाई शाम 5 बजे तक के लिए रोक लगाई गई.

अरूण व सलमान आमने-सामने

इसके अलावा भारतीय अरूण ट्वीट करते हुए लिखते है कि बड़ी खबर हिन्दू पक्ष की जीत, ज्ञानवापी परिसर का साइंटिफिक सर्वे होगाकोर्ट ने दिया आदेशजवाब में खान सलमान लिखते हैं कि बड़ी नहीं झूठी खबरजबरदस्ती की जीत है, साइंटिफिक भी तुम्हारा और सर्वे भी तुम्हारा व कोर्ट भी तुम्हारा और फैसला भी हिन्दुओं के ही पक्ष में होगाइस पर सुशांत सिन्हा ने लिखा कि और मंदिर भी तुम्हारा ये लाइन लिखना भूल गए तुम

वहंी शिवम लिखते हैं कि ये तो निश्चित है कि ज्ञानवापी का विवादित ढांचा शिव मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर टोपा बनाया गया थाअंजुमन कमेटी ने सर्वे का बहिष्कार किया हैइन लोगों की न्यायिक व्यवस्था में आस्था नहीं है.