वाराणसी (ब्यूरो)। ज्ञानवापी मामले में वादी राखी ङ्क्षसह ने खुला पत्र जारी किया है। उन्होंने मंदिर पक्ष की चार महिलाओं व कुछ अधिवक्ताओं पर मानसिक रूप से प्रताडि़त करने का आरोप लगाया। साथ ही राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की है। उनका कहना है कि नौ जून की सुबह नौ बजे तक जवाब का इंतजार करेंगी, फिर आगे का फैसला लेंगी। उन्होंने पत्र में कहा है कि उन्हें और उनके परिवार को बदनाम किया जा रहा है। इसमें शासन व प्रशासन के लोग भी शामिल हैं। झूठा प्रचार किया गया कि मुकदमा वापस लेना चाहती हूं। हम मानसिक दबाव झेल रहे हैं। अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने इस मामले को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से इन्कार किया है। इसके अलावा चार महिला पक्षकारों में से एक लक्ष्मी देवी का कहना है कि चर्चा में बने रहने का यह एक षडयंत्र मात्र है। इनके पीछे हटने से मुकदमे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
कर रहे बदनाम
पत्र में राखी ङ्क्षसह ने बताया है कि मई 2021 से उक्त मुकदमे की मेरी अन्य सहयोगी चार महिला साथियों लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक, अधिवक्ता हरिशंकर जैन, उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन व इन लोगों के कुछ अन्य साथियों के द्वारा मेरे व मेरे माता-पिता तुल्य चाचा-चाची जितेंद्र ङ्क्षसह विसेन व किरन ङ्क्षसह के खिलाफ दुष्प्रचार करके हमें और हमारे पूरे परिवार को बदनाम करके समाज की नजरों में गिराने का कार्य किया गया है। उनके इस कृत्य में शासन-प्रशासन के भी कई लोग शामिल हैं.
मानसिक दबाव में परिवार
मई 2022 में इन लोगों के द्वारा एक झूठा प्रचार पूरे देश में किया गया कि राखी ङ्क्षसह मुकदमा वापस ले रही हैं जबकि ना तो मेरी तरफ से कोई ऐसा बयान या सूचना जारी हुई ना ही उक्त मुकदमे में मेरी तरफ से पैरोकार मेरे चाचा जितेंद्र ङ्क्षसह विसेन ने मेरी तरफ से कोई सूचना जारी की। इस तरह का भ्रम पूरे देश में फैलाकर मेरे व मेरे परिवार के खिलाफ सारे हिन्दू समाज को खड़ा कर दिया। इस कारण मैं और विसेन का पूरा परिवार बहुत ही मानसिक दबाव में है.
गद्दार साबित करने का प्रयास
उन लोगों के द्वारा आए दिन हमारे परिवार पर आरोप लगाए जाते हैं और हमें ङ्क्षहदू समाज में गद्दार घोषित करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन हमने ये सब बर्दाश्त कर लिया यह सोच कर कि कुछ लोग क्रेडिट लेने व धन बटोरने के लिए यह सब कर रहे हैं। सहन करने की सारी सीमा तब समाप्त हो गई जब वादी चार महिलाओं के माध्यम से ज्ञानवापी परिसर से संबंधित मुख्य मुकदमा भगवान आदि विशेश्वर विराजमान द्वारा किरन ङ्क्षसह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य उपरोक्त मुकदमे को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। इस कारण ज्ञानवापी परिसर ङ्क्षहदुओं को प्राप्त हो सकता था ङ्क्षकतु अब वह मुसलमानों के पक्ष में चली जाएगी.
मूल मुकदमा हुआ बर्बाद
इस कारण मैं कई दिनों से मानसिक दबाव में हूं। मुझे लगता है कि यदि मैंने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा का मुकदमा ना डाला होता तो मेरी चार साथी महिलाएं वर्चस्व में ना आती और ना ही भगवान आदि विशेश्वर विराजमान का मुकदमा खराब कर पातीं। मुझे लगता है कि मेरे ही कारण उपरोक्त चार महिलाएं वर्चस्व में आईं और जिनके कारण ज्ञानवापी का मूल मुकदमा बर्बाद हो गया.
सनातन समाज को क्षति
इन चार महिलाओं के कारण न केवल संपूर्ण सनातन समाज को क्षति पहुंची है। उसी के साथ मेरे व विसेन परिवार के द्वारा किया गया संपूर्ण त्याग समर्पण व्यर्थ होता दिख रहा है। अत: आपसे अनुरोध है कि मुझे इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करके इस अथाह मानसिक पीड़ा और वेदना से मुक्ति प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करें ताकि मैं चिर निद्रा में सोकर परम शांति को प्राप्त कर सकूं.
मर कर नहीं जीत सकते
इस बारे में जितेंद्र ङ्क्षसह विसेन ने कहा कि मर कर कभी भी कोई युद्ध नहीं जीता जा सकता। युद्ध जीतने के लिए जीवित रहना अति आवश्यक है। यह बात सभी को समझनी चाहिए। मेरे अपने हों या कोई अन्य। हां कभी-कभी युद्ध जीतने के लिए दो कदम पीछे हटना पड़े, तो दो कदम पीछे भी हट जाना चाहिए। यही युद्ध नीति है.