वाराणसी (ब्यूरो)। ज्ञानवापी से जुड़े सात मुकदमों को जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र पर बुधवार को सुनवाई हुई। प्रार्थना पत्र का विरोध राखी ङ्क्षसह व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से किया गया। उनके वकील ने दलील दी कि सभी प्रार्थना पत्रों में मांग अलग-अलग है तो सुनवाई एक साथ कैसे होगी। दलील सुनने के बाद अदालत ने फैसले के लिए एक मार्च की तिथि तय की है.
मांग का अधिकार ही नहीं
ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन समेत अन्य मांग को लेकर मुकदमा दाखिल करने वाली पांच महिलाओं में से चार लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू देवी, रेखा पाठक के प्रार्थना पत्र का विरोध मुकदमे से जुड़ीं राखी ङ्क्षसह ने किया। उनके वकील शिवम गौड़ ने अदालत से कहा कि वादी जिन मुकदमों को स्थानांतरित करने की मांग कर रही हैं उसमें पक्षकार नहीं हैं। ऐेसे में उन्हें यह मांग करने का अधिकार नहीं है.
प्रतिवादी को होगा लाभ
उनकी ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र में उन बातों की जिक्र है जो अन्य मुकदमों में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से की जा रही हैं। इससे प्रतिवादी को लाभ होगा। इसके पहले ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में राखी ङ्क्षसह की ओर से दाखिल मुकदमे में अन्य लोगों के पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया गया था। बताया गया था कि मुकदमा सिर्फ पांच महिलाओं का है। इसमें किसी अन्य की आवश्यकता नहीं है। ऐेसे में अन्य लोगों के मुकदमों को स्थानांतरित करने की मांग चार वादिनी महिलाएं कैसे कर सकती हैं। वहीं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से उनके वकील रमेश उपाध्याय ने भी दलील दी। उन्होंने कहा कि हमने तो ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवङ्क्षलग के पूजा-पाठ की मांग की है। यह अन्य मुकदमों से अलग है। अंजुमन की ओर वकील रईस अहमद, वादी पक्ष की ओर से वकील सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी मौजूद रहे.