वाराणसी (ब्यूरो)। एक जुलाई 2017 को गुड्स सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू करते समय काउंसिल ने यह श्योर किया था कि किसी भी व्यापारी और उद्यमी की स्क्रूटनी नहीं होगी। केवल 5 परसेंट कारोबारियों की स्क्रूटनी की जाएगी, जो बड़े कारोबारी होंगे। लेकिन अब नियमों को ताक पर रखकर 100 परसेंट कारोबारियों की स्क्रूटनी की जा रही है। अब छोटे से लेकर बड़े सभी कारोबारियों को नोटिस जारी किया जा रहा है। ऐसे में शहर के कारोबारी जीएसटी की जटिलताओं में उलझ गए हैं।
आखिर कौन भेज रहा नोटिस?
पांच की जगह 100 परसेंट करोबारियों की स्क्रूटनी की जा रही है। आईआईएम को पता नहीं और विभाग जारी कर दे रहा नोटिस। छोटे कारोबारियों के लिए न तो 9 होता है न ही 9सी, फिर भी नोटिस भेजा जा रहा है। इसे लेकर शहर के कारोबारियों का कारोबार करना मुश्किल हो गया है। नोटिस का जवाब भी देना चाहते हैं तो नहीं दे पाते क्योंकि विभाग का सर्वर ही हमेशा स्लो रहता है.
इन्हें क्यों भेजा नोटिस?
जिन कारोबारियों का सलाना टर्नओवर 5 करोड़ है उनके लिए 9 व 9सी है। नीचले स्तर के कारोबारियों के लिए न तो 9 है न ही 9सी। इसके बाद भी उनको नोटिस भेजा जा रहा है। नोटिस का जवाब भी देते हैं तो विभाग की तरफ से इसका ऑनलाइन निस्तारण नहीं किया जाता। मामले को उलझा कर रखा जाता है कि व्यापारी परेशान हो और विभाग दौड़कर आए।
2008 में आया वैट
एक जनवरी 2008 में वैट लागू किया गया था। उस समय व्यापारियों को कारोबार करने में कोई दिक्कत नहीं थी। अब तो पग-पग पर कारोबार करने में समस्याओं को झेलना पड़ रहा है। रिटर्न फाइल करने के बाद भी पेनाल्टी लग जा रही है। किसी का टर्नओवर सही है तो उसे भी नोटिस जारी कर दिया जा रहा है।
सर्वर रहता है स्लो
वैट के समय का सर्वर ही अपडेट कर विभाग में चलाया जा रहा है। 15 साल का समय बीत गया विभाग के सर्वर को सिर्फ जीएसटी लागू होते समय अपडेट किया गया था। इसके बाद सर्वर ऐसे ही चल रहा है। जबकि जीएसटी में सारा कार्य ऑनलाइन हो गया है। कार्य सर्वर पर ही निर्भर है। रिटर्न फाइल करने से लेकर नोटिस जारी करने तक सबकुछ ऑनलाइन हो रह है.
जाम रहता है सर्वर
कारोबारियों का कहना है कि विभाग का सर्वर हमेशा खराब रहता है। महीने की 20 तारीख को रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि होती है। इसके एक हफ्ते पहले ही सर्वर ठप हो जाता है। इसके चलते समय पर रिटर्न फाइल नहीं हो पाता और विभाग की तरफ से पेनाल्टी लगा दिया जाता है। ऐसे हजारों कारोबारी है जो इससे परेशान है।
विभाग की कार्यप्रणाली कारोबार के अनुकूल नहीं है। इससे हर व्यापारी परेशान है। सर्वर ही नहीं अधिकारियों के काम करने का तरीका भी गलत है.
प्रेम मिश्रा, अध्यक्ष, महानगर उद्योग व्यापार समिति
विभाग के अधिकारियों ने 99.9 परसेंट कारोबारियों को फेक नोटिस जारी किए है। दो महीने से 5 रुपए, 10 रुपए की नोटिसें विभाग की तरफ से जारी की जा रही है।
अशोक जायसवाल, महामंत्री, महानगर उद्योग व्यापार समिति
ऐसा पहली हो रहा है। यह व्यापारियों के हित में नहीं है। जीएसटी काउंसिल को इस तरह के मामले को संज्ञान में लेना चाहिए। जिससे कारोबार सुचारू रूप से चल सके.
राजेश सिंह, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती
विभाग के सर्वर को समय-समय पर अपडेट किया जाता है। रही बात नोटिस की तो जो कारोबारी विभाग आ रहे है उनकी समस्याओं का निस्तारण किया जा रहा है.
प्रिंस कुमार, एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1, वाणिज्यकर विभाग