वाराणसी (ब्यूरो)। 'जल है तो कल हैÓ और 'जल सहेजेंÓ जल संरक्षण के लिए ये स्लोगन तो काफी सुनने को मिलते हैं, पर पानी बचाना कोई नहीं चाहता। यही वजह है कि वाराणसी सिटी और आसपास के एरियाज का ग्राउंड वॉटर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। पानी का इतना अधिक दोहन हुआ कि सिटी का कैंट, लंका और मलदहिया सेमी क्रिटिकल जोन में पहुंच गया है। वहीं, आराजीलाइन, हरहुआ अतिदोहित श्रेणी में हैं। चिरईगांव क्रिटिकल श्रेणी में तो पिंडरा, काशी विद्यापीठ, सेवापुरी भी सेमी क्रिटिकल श्रेणी में पहुंच गए हैं। वजह होटल, हॉस्पिटल और फैक्ट्रियों में जल का दोहन बताया जा रहा है। भूगर्भ विभाग के अनुसार साल में तकरीबन एक मीटर पानी नीचे जा रहा है। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में लोग बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे।
क्रिटिकल जोन एरिया
आराजीलाइन और हरहुआ अतिदोहित कैटेगरी में हैं। 2022 में आराजीलाइन का वॉटर लेवल 104.64 पीजोमीटर था। वहीं, 2023 में 103.24 पीजोमीटर वाटर लेवल पहुंच गया। वहीं, हरहुआ का 2022 में 100.40 पीजोमीटर से बढ़कर 2023 में 100.35 पीजोमीटर हो गया। इन एरिया के अतिदोहित होने की सबसे बड़ी वजह लोगों ने लगातार जल का दोहन किया।
2022 में भी गंभीर स्थिति
वाराणसी के सभी ब्लॉक को भूजल निष्कासन के आधार पर चार श्रेणियों (सुरक्षित, सेमी क्रिटिकल, क्रिटिकल एवं अतिदोहित) में डिवाइड किया गया। इनमें वर्ष 2022 की भूजल रिपोर्ट के अनुसार आराजीलाइन, हरहुआ, वाराणसी शहर अतिदोहित श्रेणी में पहुंच गया था। पिंडरा, चिरईगांव क्रिटिकल श्रेणी में तथा काशीविद्यापीठ, सेवापुरी सेमी क्रिटिकल श्रेणी में था। सभी विकास खण्डों में भूजल के संचयन एवं संवर्धन के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।
सिटी एरिया में स्थिति चिंताजनक
कैंट, लंका, मलदहिया, सुंदरपुर, सेंट्रल जेल, राज्य हिन्दी संस्थान, भेल कैंपस, काशी विद्यापीठ में भूजल की स्थिति पीजोमीटर से नापी गई तो कई क्षेत्र की स्थिति चिंताजनक रही। बारिश काफी कम हुई। इनमें कैंट में प्री मानसून 6.02 मीटर और पोस्ट मानसून 3.57 मीटर हुआ। प्री मानसून 0.20 परसेंट और पोस्ट मानसून 0.59 मीटर कम हुआ.
तालाब, कुंड भी नहीं आए काम
शहर के वाटर लेवल को मेंटेन करने के लिए नगर निगम के पास 348 तालाब व कुंड हैं। इनमें शहरी सीमा में 136 व नए एरिया में 212 तालाब कुंड हैं। इनमें से 100 से अधिक गढ़ही है, जिसको तालाब और कुंड में तब्दील किया जा रहा है, ताकि बारिश के दिनों में जल संचय हो सके। शहर के 20 तालाबों पर अतिक्रमण है।
1.75 लाख कनेक्शन
जलकल के पास पानी की सप्लाई करने के लिए वर्तमान में नलों के कनेक्शन की संख्या 1.75 लाख है, जबकि शहर की आबादी करीब 40 लाख के आसपास है। 40 परसेंट आबादी तक पानी की सप्लाई नहीं है। वह हैंडपंप, नदी, कुआ और तालाबों से पानी लेकर काम चलाते हैं। 90 से 100 वार्ड बढऩे के बाद इनमें से 20 परसेंट वार्ड में पानी की सप्लाई की व्यवस्था नहीं है.
ये है पैरामीटर
-0-70 सुरक्षित
-70-90 सेमी क्रिटिकल
-90-100 क्रिटिकल
-100 से अधिक अतिदोहित
एक नजर में वॉटर लेवल
स्थान का 2019
नाम-प्री मानसून-पोस्ट मानसून
कैंट-6.22-2.98
लंका-7.01-7.76
मलदहिया-27.80-24.80
सुंदरपुर-13.90-11.60
सेंट्रल जेल-22.50-22.32
राज्य हिंदी संस्थान-14.04-11.70
भेल कैंपस तरना-22.70-22.35
काशी विद्यापीठ-18.65-15.10
शहर में भूजल की स्थिति
स्थान का 2023
नाम-प्री मानसून-पोस्ट मानसून
कैंट- 6.02-3.57
लंका- 6.66-4.96
मलदहिया-26.85-22.15
सुंदरपुर- 11.50-8.45
सेंट्रल जेल-22.79-22.92
राज्य हिन्दी संस्थान-12.36-10.65
भेल कैंपस तरना-20.50-18.40
काशी विद्यापीठ-17.85-15.65
प्री मानसून अंतर पोस्ट मानसून अंतर
2019-2023 2019-2023
0.20 -0.59
0.35 2.80
0.95 2.65
2.40 3.15
-0.29 -0.06
1.69 1.05
2.20 3.95
0.80 -0.55
(नोट : परसेंट में)
भूजल मापन की स्थिति विकास खंडवार
विकास खंड-प्री मान-19 पो। मान-19, प्री मान 23 पो। मान 23, प्री मान 2019-2023, पो मान अंतर 2019-2023
वाराणसी सिटी- 14.46, 12.95, 14.15, 13.20, 0.31, -0.25
आराजी लाईन- 15.88, 13.41, 14.74, 12.60, 1.13, 0.81
बड़ागांव - 11.37, 10.68, 10.79, 9.85, 0.58, 0.83
चिरई गांव- 13.31, 10.25, 12.59, 8.85, 0.72, 1.40
चोलापुर- 9.70, 8.55, 10.00, 9.20, -0.30, -0.65
हरहुआ- 15.97, 14.32, 15.24, 13.65, 0.73, 0.67
काशी विद्यापीठ- 13.52, 12.80, 12.95, 13.20, 0.57, -0.40
पिंडरा- 16.87, 14.05, 15.21, 13.70, 1.66, 0.35
सेवापुरी- 11.94, 8.87, 10.30, 8.47, 1.64, 0.40
आने वाले समय के लिए जल संचय करना जरूरी है। इसके लिए शासन और प्रशासन को अभी आगे आने की जरूरत है.
रवि जायसवाल, लंका
कई मोहल्लों में अभी से पानी आना कम हो गया है। भीषण कर्मी में क्या हाल होगा। इस पर नगर निगम के अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए.
रामनरेश मौर्य, छित्तूपुर
गर्मी आते ही जलसंकट गहराने लगता है। शहर में होटल, लॉज काफी तेजी से बढृे हैं। इसके चलते पानी का संकट बढ़ता जा रहा है.
ओम प्रकाश, बीएचयू
नल से पानी कम आने लगा है। कुआं अब तो शहर में दिखते नहीं हैं। सरकार को कुआं और हैंडपंप लगवाना चाहिए.
शिमला देवी, लंका
शहर में अधिक से अधिक लोग वाटर हारवेस्टिंग करेंगे तो अपने आप ही जल का स्तर सुधरेगा। रही बात आउटर में तो वहां तालाबों व कुंडों के संवर्धन का कार्य किया जा रहा है.
हिमांशु नागपाल, सीडीओ