वाराणसी (ब्यूरो)। पिछले कुछ माह से बनारस के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इंडेक्स में भले ही हरियाली छाई हुई हो, मगर हकीकत में सिटी में एयर पॉल्यूशन का मर्ज अभी भी खत्म नहीं हुआ है। सड़कों पर उड़ते धूल और जहरीली हवाओं से अब भी लोगों का दम घुट रहा है। इसके चलते पब्लिक के सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हवा में बढ़ते प्रदूषण के कारण अस्थमा (दमा) रोगियों की सांसे फूल रही हैं तो दिल के पेशेंट भी परेशान हो रहे हैैं। तापमान के हाई-लो होने की वजह से जुकाम-खांसी व एलर्जी के पेशेंट में खूब इजाफा हो रहा है। जिला, मंडलीय व प्राइवेट अस्पतालों में इन रोगों से जुड़े पेशेंट की संख्या बढ़ रही है.
सब ठीक तो धुल और धुएं कहां जा रहे
क्षेत्रिय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े बता रहे हैं कि सिटी के किसी भी एरिया में एक्यूआई हाई नहीं है। पीएम 10 व पीएम 2.5 का लेवल बिल्कुल सामान्य स्थिति में है। हर जगह हरियाली बनी हुई है। अगर ये इंडेक्स पूरी तरह से परफेक्ट है तो राहगीरों का दम क्यों घुंट रहा है। इससे इतर देखा जाए तो शहर में बढ़ती भीड़, वाहनों के धूल-धुएं और निर्माण कार्यों के चलते वातावरण में एयर पॉल्यूशन भी बढ़ रहा है। हवा में कार्बनडाई आक्साइड, एरोसोल्स, सल्फर, बारीक धूल कण, राख, कार्बन और हार्ड मैटर की वजह से श्वास, एलर्जी और दिल के पेशेंटों को परेशानी हो रही है।
बच्चे, बुजुर्ग को अधिक दिक्कत
शहर की आबोहवा में बढ़ते एरोसाल्स की वजह से एक बड़ी आबादी को सांस संबंधी दिक्कतें सामने आ रही है। हाल के दिनों में नवजात, बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं को मौसम की बदली चाल की वजह से दिक्कत होती है। चिकित्सकों ने बताया कि इन दिनों मौसम में बदलाव का रुख बना हुआ है। कभी हवाएं चल रही हैं तो कभी उमस और गर्मी रहने लगी है। अस्थमा रोगियों को मौसम में बदलाव के समय एलर्जी शुरू हो जाती है.
अचानक से लेवल कम होने में संशय
पॉल्यूशन को कम करने के लिए भले ही इलेक्ट्रिक बसें आ गई हों, लेकिन इसके आने से डीजल और पेट्रोल गाडिय़ों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ रही है। वहीं यहां पेड़ों की संख्या लगातार कम हो रही है। विभागों की तरफ से हर साल एक लाख से ज्यादा पेड़ लगाने का दावा किया जाता है, लेकिन ये पेड़ भी कही दिखाई नहीं देते। इस बार भी नगर निगम की ओर से 80 हजार पेड़ लगाने की योजना है। अब अगर ऐसी स्थिति है तो पॉल्यूशन इंडेक्स में हरियाली कैसे छार्ईं हुई है। एक्सपर्ट का कहना है कि इतने सालों से बनारस में पॉल्यूशन मुद्दा बना हुआ था। कुछ इलेक्ट्रिक बसें चलाने और कुछ सड़कों के ठीक कर लेने से पॉल्यूशन का लेवल अचानक से कम नहीं हो सकता। अभी भी कुछ खास एरिया को छोड़ दे तो कहीं जगह की सड़कें खराब हैं। गलियों में गंदगी और कंस्ट्रक्शन वर्क वैसे ही हो रहा है, जहां से धूल लगातार उड़ रहे हैं.
ऐसे करें बचाव
-रोगियों को ठंडा पानी पीना से बचना चाहिए.
-पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें.
-धूल-धुआं से बचने के लिए मास्क जरूर लगाएं.
-एलर्जी वाले मरीज घर, दुकानों पर सफाई करने बचें.
-तकलीफ होने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए.
पॉल्यूशन की समस्या इतनी आसानी से कम नहीं हो सकती। यह कोई जादू की छड़ी नहीं है कि अचानक से कम हो जाए। श्वास संबंधी पेशेंट की संख्या में अभी भी कमी नहीं आई है। तापमान, धूल-धुआं आदि से अभी भी अलर्ट रहने की जरूरत है.
डॉ। एसके अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट
सिर्फ कुछ सड़कें बन जाने और इलेक्ट्रिक बसें चलने के साथ आर्टिफिशियल पेड़-पौधे लगा देने से पॉल्यूशन का लेवल कम नहीं हो सकता। पीसीबी का एक्यूआई इंडेक्शन कहीं न कहीं हमें भटका रहा है। अगर ऐसा न होता तो राह चलने के लिए लोगों को मास्क की जरूरत नहीं पड़ती.
एकता शेखर, मुख्य अभियानकर्ता, द क्लाइमेट एजेंडा
अर्दली बाजार
डेट पीएम 2.5 पीएम 10 एक्यूआई
21 जुलाई 22 28 29
22-जुलाई 12 16 39
23-जुलाई 16 21 37
24-जुलाई 32 40 40
25-जुलाई 35 42 42
26-जुलाई 30 39 39
27-जुलाई 24 31 31
28-जुलाई 22 29 35
भेलूपुर
डेट पीएम 2.5 पीएम 10 एक्यूआई
21-जुलाई 9 24 33
22-जुलाई 8 19 31
23-जुलाई 9 17 31
24-जुलाई 11 21 31
25-जुलाई 17 26 31
26-जुलाई 0 23 31
27-जुलाई 13 24 31
28-जुलाई डाटा नहीं है
बीएचयू
डेट पीएम 2.5 पीएम 10 एक्यूआई
21-जुलाई 13 22 24
22-जुलाई 9 17 24
23-जुलाई 11 18 24
24-जुलाई 14 26 26
25-जुलाई 17 30 30
26-जुलाई 16 25 25
27-जुलाई 14 22 24
28-जुलाई 16 24 24