वाराणसी (ब्यूरो)योगी सरकार जी-20 देशों के मेहमानों का काशी में ग्रैंड वेलकम कर रही हैकाशी की पावन धरती पर उतरते ही जी-20 देशों के मेहमान को यूपी की लोक कलाओं की झलक देखने को मिल रही हैप्रदेश के प्रत्येक अंचल के लोक नृत्य अपने आप में एक विशिष्ट पहचान हैएयरपोर्ट से निकलते ही रास्ते में कई जगहों पर भव्य स्वागत मेहमानों का किया जा रहा हैमेहमानों के घूमने के स्थानों से लेकर रात्रिभोज तक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगामेहमानों की काशी यात्रा को यादगार बनाने के लिए गायन वादन और नृत्य तीनों विधाओं का संगम देखने को मिलेगावाराणसी में सोमवार से तीन दिवसीय जी-20 समिट शुरू होगा.

स्वागत की परंपरा अनोखी

भारत अपनी मेहमाननवाजी के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता हैबात विश्व की सबसे प्राचीन व जीवंत नगरी काशी की हो तो यहां मेहमानों के स्वागत की परंपरा अनोखी हैजिला सांस्कृतिक अधिकारी डॉसुभाष यादव ने बताया कि 16 अप्रैल को एयरपोर्ट पर मेहमानों का स्वागत बुंदेली लोकनृत्य पाई डंडा व भोजपुरी भाषी क्षेत्र के लोकनृत्य फारुहवाही से किया गयारास्तों में भी मेहमानों के स्वागत किया गयाजयपुरिया स्कूल पर करमा लोकनृत्य, अतुलानंद गिलट बाजार पर धोबिया लोकनृत्य का आयोजन किया गयाइसके अलावा मेहमानों के रुकने के स्थान होटल ताज पर राई लोकनृत्य और होटल क्लार्क में नटवारी लोकनृत्य से स्वागत हुआ.

आज नमो घाट पहुंचेंगे

17 अप्रैल की शाम डेलीगेट्स गंगा आरती देखने के लिए जब नमो घाट पहुंचेंगे तब कहरवा व बमरसिया लोकनृत्य का आनंद ले सकेंगेरात्रि भोजन के समय अतिथि बांसुरी व सितार वादन की मधुर धुन के साथ भोजन ग्रहण करेंगेवहीं 18 अप्रैल की शाम मेहमान भगवान बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ पहुंचेंगे तो संग्रहालय और स्मारक स्थल पर घोड़ऊ और मयूर लोक नृत्य देखेंगे.

संतूर व सारंगी के वादन से विदाई

जी-20 देशों से आए मेहमानों का स्वागत बुद्धा थीम पार्क में मसक बीन व शैला लोकनृत्य से होगाबुद्धा थीम पार्क में ही रात्रि भोज के समय वाद्यवृंद, उपशास्त्रीय गायन व शास्त्रीय नृत्य होगा। 19 अप्रैल को मेहमान काशी की हस्तकला को देखने के लिए दीनदयाल हस्तकला संकुल पहुंचेंगे तब ढेढिय़ा और थारू लोकनृत्य देखने को मिलेगा। 19 तारीख को ही संतूर व सारंगी के मधुर वादन के साथ जी-20 देशों के मेहमानों की विदाई होगी.