पद्मविभूषण गिरिजा देवी के संजय नगर स्थित आवास पर पसरा है सन्नाटा
कभी संगीत की स्वरलहरियों से गुलजार रहने वाले मकान में तारी है बेजारी
गुरुवार को यहीं पर गिरिजा देवी अप्पा जी का अंतिम दर्शन के लिए रखा जायेगा पार्थिव शरीर
VARANASI
संजय नगर कॉलोनी, काटन मिल स्थित मकान नंबर एच क्9. अक्सर इस मकान को किसी खास का इंतजार रहता था। इस इंतजारी में खुशियां छिपी रहती थीं। गाहे-बगाहे वह खास आता और मकान की दरो दिवार खिलखिलाने लगते। यहां के पेड़-पौधों की पत्तियों से हवा टकराती और सुरों का एक सुकून भरा संसार यहां सज जाता। इस मकान को आज भी उसी खास का इंतजार है। पर उसमें खुशियां नदारद हैं। मकान की दीवारें रो रही हैं खिड़कियां बाहर झांक कर देखने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रही हैं। दरवाजे हैं कि खुले हैं पर उनमें स्वागत की आतुरता नहीं है। जी हां यह मकान है प्रख्यात शास्त्रीय गायिका ठुमरी साम्राज्ञी पद्मविभूषण गिरिजा देवी का। जो उनकी मृत्यु की खबर सुन बेचैन है। गुरुवार को गिरिजा देवी का शव कोलकाता से तकरीबन क्क्.फ्0 बजे इसी मकान में लाया जायेगा और लोग यहां उनका अंतिम दर्शन कर सकेंगे।
अब कौन कहेगा 'आवा बचवा आवा'
गिरिजा देवी जब भी बनारस आती वह अपने इसी आवास पर रहती थीं। जैसे ही वह आती उनके चाहने वालों का तांता लग जाता था। सामने ही ड्राइग रूम था। कभी सोफे पर बैठती तो कभी सामने ही रखे दीवान पर। हर आगंतुक के लिए उनके घर के दरवाजे खुले रहते थे। स्वागत का अपना खास बनारसी अंदाज। आवा बचवा आवा। शिष्यों की मंडली जमती तो कुछ गाना भी हो जाता था। पर आज सब कुछ खामोश था। एक अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ था। इक्का दुक्का आने वाले लोगों से वहा पसरा सन्नाटा टूट रहा था। ड्राइंग रूम में टंगे उनके चित्र जिस पर आज हार चढ़ा था, के नीचे बैठते ही सब कोई मौन।
क्0 को आने वाली थीं
अप्पा जी के भतीजे प्रकाश बताते हैं कि मिलने-जुलने वालों के लिए यही कमरा था। पूजा पाठ करने के बाद यहीं दीवान पर बैठती थीं। दो मसंलद की टेक लेती थी। यहीं पर टीवी देखते-देखते सो भी जाती थीं। पर जैसे ही किसी ने टीवी बंद किया कि फिर से चैतन्य। का भएल काहें टीवी बंद कई देहल। क्0 नवंबर को फिर से आने का प्रोग्राम था। इनरव्हील क्लब के इंटरनेशनल सेमिनार में उन्हें स्पीच देना था। उसके बाद उनका पुणे में कार्यक्रम था। उनके आने की खबर उनके शिष्यों को पहले ही लग जाती थी। संगीत की चर्चा होती और कुछ इधर-उधर की। पर अब सब कुछ जैसे खत्म हो गया।
बड़ी शक्सियत और इतनी सादगी
डाइंगरूम से ही सटा उनका बेडरूम था। बेडरूम में रखा पलंग बिल्कुल सादा। मच्छरादानी लगी थी। पास एक ही टेबल। कुछ दवाएं। एक दो तस्वीरें और पूजा का सामान। बस इतना ही था उनके बेडरूम में। प्रकाश बताते हैं कि उनके बेडरूम में कम ही जाती थीं। ड्राइंगरूम ही उनका बेडरूम होता था। शिष्य आते थे तो उनके सिखाने में ही उनका रियाज हो जाता था। बनारस उनके व्यक्तित्व का हिस्सा था। भोजपुरी में उनकी आत्मा बसती थी। इसलिए बनारस में वो भोजपुरी में ही बातचीत करती थीं.
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गुडि़या भी थी उदास
संगीत गिरिजा देवी की साधना थी तो गुडि़यों से खेलना उनका शौक। यही कारण था कि वे उनके पास देश विदेश की गुडि़यों का एक पूरा खजाना था। बनारस के संजय नगर कालोनी वाले मकान में भी उस खजाने के कुछ अंश मिले। गिरिजा देवी जहां भी जाती वहां से गुडि़या जरूर लाती। कोलकाता में उनके आवास पर गुडि़यों का जो संग्रह है, वो शायद कहीं और न मिले। कोई जापान की है तो कोई श्रीलंका की। इंग्लैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया की भी गुडि़या। बढ़ती उम्र के साथ उनकी गुडि़यों से खेलने की चाहत भी बढ़ती जा रही थी। समझ लीजिए की 88 साल की उम्र में अगर उनके चेहरे पर बच्चों की मासूमियत बरकरार थी तो शायद इन्हीं गुडि़यों के चलते। पर आज उनके शेल्फ में सजी वो सब गुडि़या कुछ उदास लगी। लगा जैसे की वे सब रो रही हैं और हर आने जाने वाले से पूछ रहीं है कि मेरी अप्पा की तस्वीर पर ये हार क्यों चढ़ा दिया? क्या मेरी अप्पा अब फिर नहीं आयेगी? अब वो हमसे दुलार नहीं करेंगी.।
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शीशे के ताबूत में होगा अंतिम दर्शन
अप्पा जी के निधन की खबर पर लोगों का उनके घर पर पहुंचना शुरू हो गया। हर कोई उनके अंतिम दर्शन कर लेने की इच्छा संजोये उनके घर आ रहा है। सामने ही कुछ कुर्सियां रखी हैं। लॉन में शीशे का ताबूत रखा गया है। जिसमें उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा जायेगा।