वाराणसी (ब्यूरो)। कैंट रेलवे स्टेशन प्रशासन के लांग हाल मालगाड़ी (दो मालगाड़ी के वैगन को जोड़ एक रैक बनाना) चलाने से यात्री ट्रेनों को रफ्तार से दौडऩे के लिए करंट मिलेगा। इसलिए कि 116 वैगन वाली मालगाड़ी चलने से रेलवे ट्रैक लगभग 30 मिनट के लिए खाली रहता है। इस अवधि का उपयोग रेल प्रशासन यात्री ट्रेनों को रफ्तार देने में करेगा। रणनीति को जमीन पर उतारने के लिए कैंट स्टेशन प्रशासन ने सोमवार को पहली मालगाड़ी चलाने के अगले दिन मंगलवार को दूसरी लांग हाल का सफल परिचालन किया।
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इसलिए जरूरी था लांग हाल का परिचालन
कैंट से सभी रूट की 71 जोड़ी यात्री ट्रेनें गुजरती हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो 24 घंटे में अप और डाउन की 142 ट्रेनें आती-जाती हैं, यानी एक ट्रेन 10 मिनट 14 सेकेंड में रेलवे ट्रैक पर रफ्तार भरती है। यात्री ट्रेनों के बीच अप-डाउन में करीब 50 मालगाडिय़ां भी गुजारी जाती हैं, जिससे ट्रेनों की रफ्तार और सुस्त पड़ जाती है। इसलिए व्यस्ततम ट्रैक पर जगह बनाने को लांग हाल मालगाड़ी का परिचालन जरूरी था।
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बिजली की भी होगी बचत
116 वैगन की मालगाड़ी के परिचालन में दो इंजन लगते हैं। दोनों ही इंजन पर चालक और सहायक चालक की ड्यूटी लगती है, लेकिन मालगाडी के संचालन में एक ही इंजन का उपयोग किए जाने से बिजली की बचत जरूर होती है।
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यार्ड रीमाडङ्क्षलग में बनाए गए थे विशेष ट्रैक
यार्ड रीमाडङ्क्षलग से पूर्व कैंट रेलवे स्टेशन प्रशासन के लिए लांग हाल मालगाड़ी चलाना मुश्किल था। 58 वैगन की एक मालगाड़ी खड़ी किए जाने पर प्लेटफार्म नंबर पांच और छह से ट्रेनों के परिचालन नहीं हो पाता था। इसके ²ष्टिगत पुराने सिस्टम को अपडेट करके यार्ड में ट्रैक की लंबाई बढ़ाई गई। अब 58 की जगह 116 वैगन की लांग हाल मालगाड़ी दौड़ाई जाने लगी है।
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वर्जन :::
ट्रेनों की संख्या बढऩे से ट्रैक की समस्या है। डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर बनने से राहत मिली है। मालगाड़ी के लांग हाल परिचालन से रेल पथ पर दबाव घटेगा, क्योंकि एक ही समय में दो गाडिय़ां चला पाते हैं। इससे यात्री ट्रेनों को रफ्तार दी जा सकेगी।
गौरव दीक्षित, स्टेशन डायरेक्टर