वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस और पूर्वी उत्तर प्रदेश से अवकाश ले दक्षिण की सैर पर निकले मानसून को अब इधर वापस आने में दो-तीन दिन का समय लग सकता है। ऐसे में वर्षा की फुहारें अब सावनी घटाओं से ही काशी और पूर्वांचल की धरती पर गिरेेंगी। पूरी संभावना है कि सावने के पहले दिन, पहले सोमवार को भक्तों के साथ ही सावनी मेघ भी भगवान शिव का अभिषेक करने पूरब के आसमान में पहुंचें।
वरिष्ठ मौसम विज्ञानी प्रो। एसएन पांडेय बताते हैं कि मानसूनी द्रोणिका इन दिनों काशी क्षेत्र से दक्षिण मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, विदर्भ आदि के ऊपर जमी हुई है। इसके चलते उन क्षेत्रों में जोरदार वर्षा हो रही है। द्रोणिका के इधर से चले जाने के कारण पानी भरे बादलों की सघनता अब इस क्षेत्र में नहीं रह गई है। हालांकि बंगाल की खाड़ी की ओर से ठंडी पुरवा हवा तो आ रही है लेकिन उसमें उतनी पर्याप्त आद्र्रता नहीं है जो वर्षा के लिए उपयुक्त हो। इधर ताप बढ़ जाने के कारण हवा के साथ आने वाली नमी भी सूख जा रही है और वातावरण में उमस भरी गर्मी के बाद अब शुष्क गर्मी का भी प्रभाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया कि मानसूनी द्रोणिका को दक्षिण से ऊपर उत्तर की ओर आने में अभी दो-तीन दिन का समय लग सकता है। प्रो। पांडेय इस अनुकूल वातावरण के बीच प्रतिकूल फल को जलवायु परिवर्तन का स्थानीय मौसम पर प्रभाव बताते हैं। कहते हैं कि इसके चलते मौसम का पैटर्न बदल रहा है।
बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो। मनोज कुमार श्रीवास्तव ने भी बताया कि मानसूनी द्रोणिका के इधर न होने से अभी इस पूरे सप्ताह वर्षा की संभावना नहीं है। अब अगला सप्ताह सोमवार से जब आरंभ होगा तो उसी समय सावन के पहले दिन बादल आ सकते हैं और इधर भी वर्षा हो सकती है।