वाराणसी (ब्यूरो)। बच्चों के एंटरटेनमेंट के लिए बनाए गए बनारस के ज्यादातर गेमिंग जोन सुरक्षित नहीं हैं। इनमें सेफ्टी रूल को फॉलो नहीं किया जा रहा है। शहर में कई ऐसे गेमिंग जोन भी हैं, जिनके पास संचालन की अनुमति और आग से बचाव के साधन मौजूद नहीं हैं। कई गेमिंग जोन तो तंग गलियों में चोरी-छुपे संचालित हो रहे हैं। गुजरात के राजकोट में गेमिंग जोन में आग लगने जैसी घटना यहां भी हुई तो नुकसान कम नहीं होगा। उस घटना को देखते हुए अग्निशमन विभाग जांच अभियान शुरू करेगा। इसके लिए मुख्यालय से निर्देश दिया गया है। इसको देखते हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने रविवार को आईपी सिगरा मॉल और जेएचवी मॉल में बने गेमिंग जॉन की पड़ताल की, जहां पर एंट्री व एग्जिट के लिए गेट भी एक ही था। वहीं फायर एक्सटिंगुइशर की कहीं व्यवस्था थी तो कहीं नहीं.
केस-1
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम गेमिंग जोन की पड़ताल करने सबसे पहले लगभग 1 बजे जेएचवी मॉल पहुंची, जहां पर छोटी सी बंद जगह पर गेमिंग जोन बनाया गया था। इसमें बच्चों की भीड़ भी थी। अंदर जाते ही पता चला कि उसमें फायर एक्सटिंगुइशर और वाटर स्प्रिंकलर की तो व्यवस्था है। लेकिन, गेमिंग जोन में अंदर और बाहर निकलने का रास्ता एक ही है। अगर कोई दुर्घटना होती है तो एक साथ कई लोग बाहर भी नहीं निकल पाएंंगे.
केस-2
1.30 बजे दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम सिगरा स्थित आईपी मॉल पहुंची। यहां पर बने गेमिंग जोन की पड़ताल करने के बाद पता चला कि यहां पर भी सुरक्षा के कोई खास इंतजाम नहीं थे। सिर्फ वाटर स्प्रिंकलर के अलावा न ही फायर एक्सटिंगुइशर था और न ही अंदर व बाहर जाने के लिए दो गेट थे। इसके बारे में जब गेमिंग जोन के मैनेजर बृजेश कुमार से पूछा गया तो उनके पास भी कोई जवाब नहीं था.
सेफ्टी रूल्स को किया जा रहा अनदेखा
गेमिंग जोन में खेल में रूचि रखने वालों के लिए काफी कुछ होता है। खासतौर पर इसे युवाओं और टीनएजर्स के आकर्षण के तौर पर तैयार किया जाता है। यहां बड़े वीडियो गेम्स होते हैं। कई जगहों पर लेजर वार जोन, इनफानाइट मिरर, भूलभुलैया, जादुई सुरंग हैं। यहां ट्रैम्पोलिन, राइफल भी होता है। कुछ में छोटी जगह में ही गो कार्ट जोन बनाए गए हैं जहां गाडिय़ों के साथ बड़ी संख्या में टायर भी रखे होते हैं। आकर्षक बनाने के लिए बिजली की लाइटों से जबरदस्त सजावट की जाती है। इन सबके बीच के लिए सेफ्टी रूल्स की अनदेखी की जाती है। खुली जगह को कम करके ज्यादा से ज्यादा जगह का इस्तेमाल मशीनों को लगाने के लिए किया जाता है। इसके चक्कर में रास्तों को भी इतना कम बना दिया जाता है कि इमरजेंसी में इससे एक साथ कई लोग बाहर नहीं निकल सकते हैं। गो कार्ट में गाडिय़ों के संचालन के लिए पेट्रोल-डीजल भी रखे जाते हैं।
यह होने चाहिए इंतजाम
-आने-जाने के अलग-अलग रास्ता होना चाहिए
-अग्निशमन यंत्र होने चाहिए
-ज्वलनशील पदार्थों का भंडारण नहीं होना चाहिए
-भीड़ की संख्या निर्धारित होनी चाहिए
-स्थल के निर्माण में कपड़े, फोम आदि का इस्तेमाल कम से कम होना चाहिए
-बिजली के तार खुले नहीं होने चाहिए
-आग लगने पर बुझाने के लिए पानी का भंडारण होना चाहिए
गेमिंग जोन में यह है खतरा
-तंग गलियों में संचालन हो रहा जहां फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां नहीं पहुंच सकती हैं
-ज्यादातर गेमिंग जोन में आने-जाने के रास्ते एक हैं
-बिजली के चलने वाली मशीनें बहुत ज्यादा होती हैं
-यहां काम करने वाले कर्मचारी आग बुझाने के लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं
-अधिक कमाई के चक्कर में संचालक गेमिंग जोन में आने वालों की संख्या निर्धारित नहीं करते
-ज्यादातर गेमिंग जोन में स्मोकिंग पर रोक नहीं है
-सजावट में लकड़ी, प्लाई, प्लास्टिक का अधिक प्रयोग किया जाता है.
बनारस में संचालित हो रहे गेमिंग जोन की जांच के लिए अग्निशमन विभाग की ओर से छह जून तक अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए मुख्यालय से निर्देश दिया गया है। इस दौरान वहां आग से बचाव के इंतजाम, आपात स्थिति में निकास के द्वार, अग्निसूचक यंत्रों की जांच की जाएगी। कमी मिलने पर नोटिस दी जाएगी.
ानंद सिंह राजपूत, मुख्य अग्निशमन अधिकारी