-टेक्नोलाजी के जरिए जुड़े हैं दोस्ती की अहमियत समझने वाले

-व्हाट्सएप ग्रुप से सात समुंदर पार से भी निभा रहे हैं दोस्ती का वादा

VARANASI

दोस्ती के लिए टेक्नालॉजी वरदान साबित हो रहा है। खास कर यूथ इसका भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। जवानी के दिन में भी वह अपनी बचपन की दोस्ती को इसके जरिए सहेजकर रखे हुए हैं। व्हाट्सएप में अलग-अलग ग्रुप बनाकर बचपन, स्कूल-कॉलेलेज के दोस्तों को एड किया है। फ्रेंडशिप डे पर कुछ ऐसे ही खास ग्रुप की चर्चा तो होनी चाहिए। जिसमें वक्त से साथ शहर, प्रदेश और देश की सरहद को पार चुके दोस्तों को एक साथ जोड़ रखा है। उनकी लाइफ जितनी भी बिजी हो पर उनके बीच संवाद हर रोज होता है। कभी बच्चों जैसे चुलबुले संदेश तो कभी समाज को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण लेकिन गंभीर बातों का आदान-प्रदान होता है।

'सीएचएस क्99म् गैंग'

सीएचएस कमच्छा क्99म् बैच एक व्हाट्सएप ग्रुप है जिसे तीन साल पहले दांत के डॉक्टर शिवेंद्र ने बनाया था। इसका मकसद कालेज की दोस्ती को अटूट बनाना था और वह इसमें पूरी तरह कामयाब हुए। इस ग्रुप में ख्ख् मेंबर्स एड हैं। सभी सीएचएस के स्टूडेंट रह चुके हैं। खास बात की इस ग्रुप का हर मेंबर्स गु्रप एडमिन है। इस ग्रुप के मेंबर्स में से कुछ विदेश में हैं तो कुछ दूसरे प्रदेशों रहते हैं। लेकिन हर समय ग्रुप में एक्टिव रहते हैं।

दिल दोस्ती और ड्रामा

जैसा नाम है वैसा ही यह ग्रुप भी है। इसके एडमिन आशुतोष गुप्ता हैं जिन्होंने ग्रुप में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के बीए मास कॉम ख्0क्क् बैच के पंद्रह दोस्तों को एड किया है। दो साल पहले आशुतोष ने दिल दोस्ती और ड्रामा के नाम से गु्रप बनाया हैं। उस समय के दोस्त अब अलग-अलग स्टेट्स में हैं लेकिन ग्रुप में हमेशा एक्टिव रहते हैं। सभी मेंबर्स गुड मार्निग से गुड नाइट तक का मैसेज जरूर करते हैं। एक दूसरे का कुशलक्षेम भी पूछते हैं।

हम है बेस्ट फ्रेंड

इस ग्रुप को क्रिएट करते समय एडमिन अंशुल पांडेय का उद्देश्य यही था कि साथ पढ़ने वाले दोस्तों को एक साथ जोड़े रखा जाए। ग्रुप में कुल फ्0 मेंबर्स हैं। अंशुल बताते हैं कि ग्रुप के तीन-चार मेंबर को तो चंदा लगाकर एंड्रायड मोबाइल फोन सिर्फ इसलिए दिया गया कि वह ग्रुप में जुड़ सकें। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ख्00भ् बीएससी बैच के अंशुल पांडेय एक प्राइवेट इंस्टीट्यूट में मैनेजमेंट टीचर हैं। वह गु्रप के जरिए सोशल वर्क भी करते हैं। चंदा इकट्ठा करके गरीब बच्चों के लिए बुक्स व कॉपी भी अरेंज करते हैं।

साधना फाउंडेशन

ब्लड डोनेशन के जरिए दूसरों की जान बचाने के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले साधना फाउंडेशन के सेक्रेटरी सौरभ मौर्य ने भी एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है। साधना फाउंडेशन के नाम से बनाए ग्रुप में बचपन से लेकर अब तक के कुल तीस दोस्तों को जोड़ रखा है। ग्रुप के जरिए वह दोस्ती को मजबूत कर रहे हैं। साथ ही उन्हें सामाजिक कार्यो के लिए प्रेरित भी करते रहते हैं। सौरभ का ग्रुप बनाने का उद्देश्य पूरा हो रहा है। उन्हें हर कदम पर दोस्तों का साथ मिल रहा है।

फिर आप क्यों हैं पीछे?

आप भी अपना व्हाट्सएप ग्रुप बना सकते हैं। जिन दोस्तों का नंबर आपके पास होगा उन्हें ग्रुप में एड कर उन्हें एक मंच पर ला सकते हैं। उन्हें आप ग्रुप एडमिन भी बना सकते हैं। ग्रुप के जरिए जहां आपकी दोस्तों बरकरार रहेगी वहीं इसके जरिए ढेरों सकारात्मक उद्देश्य भी पूरा किया जा सकता है।

हमारे ग्रुप में यूकेजी से लेकर ग्रेजुएशन तक के सभी दोस्त हैं। दोस्तों से हम पुरानी यादों को ताजा करते हैं। साथ ही एक दूसरे की हेल्प भी करते हैं।

अंशुल पांडेय, ग्रुप एडमिन

हम हैं बेस्ट फ्रेंड

पुराने दोस्तों को आज एक साथ एक मंच पर जोड़कर एक अलग ही सुखद एहसास हो रहा है। दूर होने के बावजूद उनकी लाइफ से जुड़ी हर जानकारी एक-दूसरे के पास होती है।

डॉ। शिवेंद्र

ग्रुप एडमिन

सीएचएस क्99म् गैंग

वक्त के साथ जो दोस्त दूर हो जाते हैं उन्हें साथ जोड़े रखने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप क्रिएट किया है। इससे जुड़े सभी दोस्त ग्रुप को खूब इंज्वाय करते हैं।

आशुतोष गुप्ता

ग्रुप एडमिन

दिल दोस्ती और ड्रामा

सहायता करने के उद्देश्य से ग्रुप बनाया हूं। हम सभी दोस्त एक दूसरे की सहायता करने के साथ ही गरीबों और असहायों की भी हेल्प करते हैं।

सौरभ मौर्या

ग्रुप एडमिन

साधना फाउंडेशन