वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस समेत आसपास जिलों में जिस तेजी से लोगों का लिविंग स्टैंडर्ड बढ़ रहा है, उसी रफ्तार से साइबर ठगों का जाल भी फैल रहा है। आप जैसे ही अपनी जरूरत के हिसाब से किसी सामान को लेकर गूगल पर सर्च करते हैं, वैसे ही साइबर ठगों के जाल में फंस जाते हैं। बैंक अधिकारी ने टाइल्स के लिए सर्च किया तो 30 हजार गंवा दिए। इसी तरह रिटायर्ड प्रोफेसर ने डेढ़ लाख तो कृषि वैज्ञानिक ने तीन लाख गंवा दिए। एक साल के अंदर करीब ऐसे 120 लोगों ने पांच करोड़ गंवा दिए। व्हाट्सएप, फेसबुक चैट और अनजान नंबर से आए वीडियो कॉल को उठाते ही साइबर अपराधियों की ठगी का खेल शुरू जाता है। हालांकि साइबर सेल की सक्रियता से कई केस में बैंक खाते में पैसा होल्ड कराकर करीब एक करोड़ रुपये वापस भी कराया गया है।
फोन पर इंगेज होते फंसते लोग
साइबर सेल प्रभारी की मानें तो साइबर ठग इस समय वीडियो कॉल, किरायेदार, और ओटीपी साझा करके घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। व्हाट्सएप पर अश्लील वीडियो बनाकर साइबर ठग गूगल पे, पेटीएम या अन्य माध्यम से पैसों की मांग करते हैं। पैसे नहीं देने पर अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दे रहे हैं। अगर आपने गलती से पैसे दे दिए तो यह सिलसिला चलता रहेगा। जितनी देर तक मोबाइल फोन इंगेज होंगे, उतना ही उसके गिरफ्त में फंसते चले जाएंगे.
140 पीडि़तों ने दर्ज कराया मुकदमा
सारनाथ स्थित साइबर क्राइम थाने में वाराणसी, जौनपुर, चंदौली और गाजीपुर के ठगी के मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। यह थाना अगस्त 2021 में खेला गया। डेढ़ लाख की ठगी होने पर पहला मुकदमा बीएचयू के प्रोफेसर ने दर्ज कराया था। अब पांच लाख या उससे अधिक की ठगी पर मुकदमा दर्ज किया जाता है। आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल वाराणसी से करीब 140 मुकदमे दर्ज हुए, जबकि चंदौली से 453, गाजीपुर से 230 व जौनपुर से 225 मामले साइबर ठगी के आए.
निशाने पर नेता और अफसर भी
साइबर ठगों के निशाने पर आम पब्लिक ही नहीं, बल्कि नेता और अफसर भी हैं। साइबर ठगों ने एडीजी जोन रामकुमार का ट्विटर एकाउंट तो यूपी सरकार के राज्यमंत्री डा। दयाशंकर मिश्र दयालु का फेसबुक एकाउंट हैक कर लिया गया था। बरेका की पूर्व जीएम अंजलि गोयर की फोटो का गलत इस्तेमाल कर कर्मचारियों से पैसे की डिमांड की गई थी। ह
यहां से मिलेगी मदद
अगर साइबर ठगी या ऐसे अन्य अपराध के शिकार हो जाएं तो हेल्पलाइन नंबर 7839876647, 1930 व डायल 112 पर कॉल करें। यूपी पुलिस के अधिकृत सोशल मीडिया अकाउंट और यूपी कॉप एप के जरिए भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
किसी भी कॉल पर डेबिट कार्ड, बैंक खाता संबंधी जानकारी किसी को न दें। ओटीपी व पिन किसी से साझा ना करें। प्रलोभन वाले किसी लिंक पर क्लिक नहीं करना है। किसी अनजान व्यक्ति से बैंक संबंधित विवरण, ओटीपी, पिन आदि साझा नहीं करना चाहिए। सोशल मीडिया का पासवर्ड मजबूत बनाएं। संभव हो तो हर माह बदलते भी रहे। यदि सावधान रहेंगे तो साइबर ठग कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। गलती करने के लिए आपको बार-बार उकसाया जाएगा। माइंड गेम खेला जाएगा, लेकिन सतर्क रहना है.
के सत्यनारायण, आईजी जोन
व्हाट्सएप, फेसबुक, जी मेल और इंस्टाग्राम के जरिए ठगी या फिर धमकाने के मामले बढ़े हैं। इन अकाउंट की सेटिंग में लॉगिन डिवाइस ऑप्शन में जाकर स्थिति देखी जा सकती है। अगर अनाधिकृत लिंक जुड़ा मिले तो उसे लॉग आउट किया जा सकता है.
अविनाश चंद्र सिन्हा, डिप्टी एसपी, साइबर क्राइम रेंज