वाराणसी (ब्यूरो)पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल व मंडलीय अस्पताल के मानसिक ओपीडी में इस समय भूलने की बीमारी से पीडि़त मरीजों की तादात लगातार बढ़ रही हैमनोचिकित्सकों की मानें तो मानसिक तनाव, टेंशन और स्ट्रेस थोड़ा बहुत सभी को होता है, लेकिन जब यह ज्यादा हो जाता है तो इससे गंभीर मानसिक और शारीरिक नुकसान होने लगते हैंएक रिसर्च में सामने आया है कि दिमाग का वह हिस्सा जो चीजों को याद रखने का काम करता है, वह सिकुड़ता जा रहा हैइसे मेडिकल की भाषा में हिपोकैंपस कहते हैयह समस्या यंग एज में ज्यादा पाई जा रही हैइससे भूलने जैसी बीमारियां भी हो रही हैं.

केस-1

सिगरा एरिया में रहने वाले संदीप एक प्राइवेट बैंक में सेल्स मैनेजर की जॉब करते हैंपिछले कुछ दिनों से वे काफी परेशान थेजब किसी से बात करते थे तो दूसरे दिन भूल जाते थे कि उन्होंने किस टॉपिक पर बात की थीयह समस्या लगातार बढ़ती जा रही थी, इसके बाद वे मनोचिकित्सक के पास पहुंचेवहां पता चला कि वे अर्ली डिमेंसिया की तरफ बढ़ रहे हैं.

केस-2

चौक निवासी राकेश सिंह एक शॉप कीपर हैंपिछले कुछ दिनों से उन्हें भी भूलने की बीमारी परेशान कर रही हैग्राहकों को क्रेडिट पर सामान देने के बाद दूसरे दिन वे भूल जाते थे कि उसे क्या सामान दिया थाइस परेशानी से उबरने के लिए वे मनोचिकित्सक के पास पहुंचे तो पता चला कि वे तनाव से गुजर रहे हैंदिमाग पर लोड ज्यादा होने से यह समस्या है.

ये तो सिर्फ दो केस हैंऐसे न जाने कितने लोग खासकर यंगस्टर्स हैं जो इस तरह की समस्या से परेशान होकर मनोचिकित्सक के पास पहुंच रहे हैंजांच के बाद ज्यादातर तनाव और दिमाग पर बोझ की समस्या के साथ अर्ली डिमेंसिया जैसी बीमारी से पीडि़त पाए जा रहे हैं

भागदौड़ से सभी परेशान

मंडलीय अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉरविन्द्र कुशवाहा बताते हैं कि भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई परेशान हैकिसी को परिवार की चिंता है तो किसी को प्रोफेशन कीकिसी को पैसा कमाने की तो किसी को शादी कीइन सब चीजों से यंगस्टर्स परेशान हैंएक समय पर व्यक्ति के दिमाग में कई सारी चीजें चलती रहती हैंऐसे में जब वह किसी से बात करता है तो उसका दिमाग कहीं और दिल कहीं और रहता हैऐसी स्थिति में वह जो बात कहा होता है कुछ घंटे या दिन बाद उसे भूल जाता है

ब्रेन के सेल्स हुए डेथ

इस तरह के मामले लगातार बढ़ रहे हैंइसमें 25 परसेंट मामलों में अर्ली डिमेंसिया जैसे केस हैंइसमें ब्रेन के कुछ सेल्स डेथ करने लग जाते हैंजिससे भूलने की समस्या बढऩे लगती हैवैसे तो यह बीमारी 60 के बाद के एज में होती है, लेकिन अब ये 35 से 50 तक के एज ग्रुप में भी हो रहा है

हिपोकैंपस सिकुड़ रहा

डॉकुशवाहा बताते हैं कि चार साल पहले डिप्रेशन में रहने वाले 70 मरीजों पर एक रिसर्च किया गया थाजिसका मकसद यह देखना था कि कितने प्रतिशत लोग तनाव में हैंयह दिमाग पर क्या असर करता हैकरीब डेढ़ साल तक चले इस रिसर्च के नतीजे बेहद चिंताजनक रहेरिसर्च में यह बात सामने आई है कि उन मरीजों में 30 प्रतिशत ऐसे पाए गए जिन्हें तनाव हैइस तनाव की वजह से उनके दिमाग का हिपोकैंपस सिकुड़ता जा रहा थाअब तो यह आंकड़ा और ज्यादा बढ़ गया हैयही चीज यंगस्टर्स को और ज्यादा प्रभावित कर रहा है.

हिपोकैंपस की माप

उस रिसर्च में सभी मरीजों के दिमाग का एमआरआई किया गया इसके बाद उनके हिपोकैंपस को मापा गयाजिन लोगों में तनाव न के बराबर था, उनका हिपोकैंपस का साइज सामान्य था और जिन्हें तनाव था, उनका हिपोकैंपस सिकुड़ चुका थाइसकी वजह से ही यंग एज में भूलने जैसी बीमारी हो रही है.

अकेलापन है कारण

साइकोलॉजिस्ट बताते हैं कि बहुत से लोग ऐसे हैं जो हर वक्त उदास रहते हैंइस उदासी का कारण कुछ भी हो सकता हैइसके साथ जो लोग अकेले रहते हैं या परिवार में होते हुए भी केवल मोबाइल में बीजी रहते हैं और किसी से बात नहीं करते, उनमें भी तनाव का स्तर काफी हाई देखा जा रहा हैइसके साथ ही नाकारात्मक विचार, चिड़चिड़ा होने से भी तनाव का खतरा बढ़ जाता है.

ऐसे सिकुड़ता है

जब हम किसी चीज के बारे में ज्यादा सोचते हैं और उस चीज को लेकर तनाव में आ जाते हैं तो हमारे दिमाग में सिरम कोटिसोल बढ़ जाता हैसिरम कोटिसोल तनाव का हॉर्मोन होता है, जिसके बढऩे से तनाव भी बढ़ता हैयह हॉर्मोन लोगों को आत्महत्या करने तक मजबूर कर देता है, इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि ऐसी किसी चीज के बारे में न सोचें जिससे तनाव बढ़े.

ऐसे करें बचाव

तनाव को दूर करने के लिए सबसे बड़ी और अहम बात यह है कि दिल और दिमाग में यदि बात आती है तो उसे लोगों के साथ शेयर किया जाएयदि सब के साथ शेयर नहीं करना चाहते तो कोई एक व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिस पर आपको विश्वास हो और अपनी बातें शेयर कर सकेइसके साथ ही योग, मेडिटेशन और एक्सरर्साइज का भी सहारा लेना चाहिए.

अर्ली डिमेंसिया क्या?

- इसमें पुरानी चीजें और बातें याद रहती हंै.

- इमिडिएट सेल की मेमोरी लॉस होती है.

- घर में कुछ सामान कहीं रख दिया तो याद नहीं रहता.

- ब्रेन में कुछ सेल्स डेथ करने लगते हैं.

आज के यंगस्टर्स के दिमाग पर पैसा कमाने, फैमिली संभालने, सबकी ख्वाहिशें पूरी करने जैसी चीजों से लोड बहुत ज्यादा बढ़ गया हैऐसे में जब वे किसी से बात करते हैं तो दिमाग पर कंसनट्रेशन नहीं रहताइस कारण वे तनाव में रहते हैं जो इन्हें अर्ली डिमेंसिया की ओर ले जा रहा है.

डॉआरपी कुशवाहा, मनोचिकित्सक, मंडलीय अस्पताल

दिमाग की प्रॉपर प्रॉसेसिंग नहीं हो रही हैकिसी भी इंफार्ममेशन की प्रॉसेसिंग नहीं होने से हम उसे भूल रहे हैंजब तक कोई इंफार्मेशन लांग टर्म मेरोरी में नहीं जाएगी उसे हम भूल जाएंगेअब इंफार्मेशन भी बहुत ज्यादा मिलने लगे हैंएक ही समय में बहुत सी चीजें दिमाग में चलती रहती हैंइसलिए भी भूलने के चांसेस बढ़ गए हंै.

डॉअपर्णा सिंह, साइकोलॉजिस्ट