वाराणसी (ब्यूरो)। डाफी टोल प्लाजा पर फिर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इस बार शातिर ने फर्जी नंबर प्लेट से फास्टैग में खेल किया। इससे दूसरे ट्रक मालिक को पांच लाख 70 हजार रुपये का चूना लगाया गया। हैरत की बात है कि कोई मामला पकड़़ नहीं पाया। इसके बाद भु1तभोगी ट्रक मालिक ने खुद इस खेल का खुलासा कर दिया। इससे पहले घटौली के खेल भी यहां पकड़े जा चुके हैं। ट्रक चालक की पिटाई के बाद उसे लंका पुलिस के हवाले कर दिया गया है। इस संबंध में धोखाधड़ी समेत विभिन्न आरोपों में मुकदमा दर्ज हुआ है। चार महीने में यह दूसरा बड़ा खेल सामने आया है.
कैसे हुआ खुलासा
चौबेपुर के जुझारपट्टी निवासी सराजुद्दीन वसई महाराष्ट्र में करीब 15 ट्रक चलवाते हैं। इनका एक ट्रक यूपी 50 बीटी 4762 है। इसी रजिस्ट्रेशन नंबर से फास्टैग बनाकर यूपी 83 टी 7914 नंबर का ट्रक अप्रैल में 10 बार डाफी टोल प्लाजा से गुजरा था। इस संबंध में ट्रक मालिक सराजुद्दीन का कहना है कि छह महीने में उनका ट्रक सिर्फ दो बार डाफी टोल प्लाजा से पटना के लिए गुजरा, जिस पर दवा लदी थी। जब सराजुद्दीन को पता चला कि उनके ट्रक पर डाफी टोल प्लाजा से ओवरलोड के नाम पर पांच लाख 70 हजार रुपये चालान कटा है तो वह हैरान रह गए। इसके बाद सराजुद्दीन मुंबई से आकर सोमवार की दोपहर डाफी टोल प्लाजा पर सहयोगियों के साथ पहुंचे और उस ट्रक को चालक सहित पकड़ लिया, जिससे यह खेल हो रहा था। बाद में पुलिस को बुलाकर चालक और ट्रक को सौंप दिया। आजमगढ़ के दीदारगंज थाना क्षेत्र के लनवासी खरसहन निवासी आरोपित ट्रक चालक रोहित कुमार को पुलिस ने जेल भेज दिया है.
बड़ा शातिर निकला खिलाड़ी
सराजुद्दीन ने बताया कि वह अपनी टीम के संग बनारस पहुंचे और पांच दिन तक टोल प्लाजा पर डेरा डाले रहे। इस बीच सीसीटीवी फुटेज से ट्रक का फोटो मिला तो पता चला कि उस पर लाल बालू लादकर चालक चलता है। इसके बाद किसी तरह से फास्टैग के माध्यम से चालक का मोबाइल नंबर मिला। ट्रक मालिक ने ग्राहक बनकर चालक के मोबाइल पर बात की और लगातार उसकी लोकेशन लेता रहा। चालक जब बिहार से बालू लेकर चला तो सैयदराजा से एक बाइक सवार को पीछे लगाया और बाकी दोस्तों के साथ डाफी टोल प्लाजा पर उसका इंतजार करते रहे। सराजुद्दीन ने बताया कि ट्रक जब टोल प्लाजा पहुंचा तो जैसे ही फास्टैग से टोल कटा तत्काल चालक को पकड़ लिया.
जनवरी में भी हुआ था यही घपला
ऐसा ही मामला जनवरी में मथुरा के रहने वाले प्रेमपाल का था। उन्होंने लंका थाने में फर्जी मालिक के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। प्रेमपाल का कहना था कि इनका एलपीजी (इंडेन) गैस टैंकर यूपी 70 एफटी 9131 गुजरात से अलीगढ़ चलता था। 16 जनवरी को इसी गाड़ी का चालान परिवहन विभाग द्वारा डाफी टोल प्लाजा में कर दिया गया, जबकि उस दिन गाड़ी मुंद्रा अदाणी कोट गुजरात में थी। प्रेमपाल का आरोप था कि हमारी गाड़ी का नंबर लगाकर कोई फर्जी तरीके से वाराणसी में चला रहा है, जिसने एक बैंक से फास्टैग ले रखा है। उसका नाम कार्तिक है। प्रेमपाल ने बताया था कि हमारी सभी गाडिय़ों पर दूसरी बैंक का फास्टैग लगा है। प्रेमपाल के अनुसार उनकी 10 गाडिय़ां हैं, जिसमें जीपीएस भी लगा है। उन्होंने सभी गाडिय़ों की सूची जीपीएस और माल की बिल्टी पुलिस को सौंपी। तब जाकर मामला खुला.
दस गुना चार्ज लगा दिया
पिछले साल भी डाफी टोल प्लाजा पर बड़ा खेल हुआ था। झारखंड के ट्रक (जेएच02 बीएच 7678) में माल लोडकर बिहार टोल प्लाजा से होते हुए चालक सतीश बनारस पहुंचा था। डाफी टोल प्लाजा के ट्रक का वजन इनमोशन ब्रिज पर 57,750 किलोग्राम आया। आरोप लगा कि 4900 किग्रा अधिक वजन बताकर दस गुना चार्ज कर दिया। शिकायत के बाद मामले की जांच बाट-माप विभाग की टीम ने की तो पाया कि कांटे का सत्यापन सितंबर 2021 में किया गया था। इसके बाद अप्रैल 2021, दिसंबर 2021 और जुलाई 2022 में कांटे की मरम्मत दिखाई गई। इसके बाद बाट-माप विभाग द्वारा वजन का सत्यापन नहीं किया गया। जांच में टेस्ट बाट पर 2019 की सील लगी मिली। ट्रक चालक सतीश की तत्परता से इस खेल का खुलासा हुआ.