वाराणसी (ब्यूरो)। पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में यातायात सुगम के लिए लगातार सड़कों का चौड़ीकरण और संवारने का काम लगातार चल रहा है। सड़कों को उखाड़कर नई तकनीक से बनाई जा रही है। ऐसे में सड़क की उखाड़ी गई ऊपरी परत को रीसाइकिल कर दुबोरा इस्तेमाल में लिया जाएगा। ईको फ्रेंडली तकनीक को लोक निर्माण विभाग सड़कें बनाने में प्रयोग करेगा। इसमें पुरानी सड़क की उखाड़ी गई ऊपरी परत ब्लैक टॉप को रीसाइकिल करके दोबारा उपयोग में लाया जाएगा। इसके लिए प्लांट भी बनेगा। जहां रिसाइक्ंिलग होगी। वहीं, ईटीए इमल्शन ट्रीटेड एग्रीगेट टेक्नोलॉजी से जिले में दो सड़कें बन चुकी हैं। इस तकनीक में लगभग 20 से 30 फीसदी तक गिट्टी की बचत होती है.
दोबारा सड़क निर्माण में अब तक सड़कों की ऊपरी परत ब्लैक टॉप को उखाड़कर फेंक दिया जाता है। जिले में पहली बार शुरू होने वाली रिसाइकिल तकनीक से इनका फिर उपयोग हो सकेगा। उखाड़ी गई परत को राजातालाब में बनने वाले प्लांट में ले जाकर इस पर विटमिन डॉमर चढ़ाया जाएगा। जिससे यह फिर से उपयोग में आ सके। ऐसे में ब्लैक टॉप फेंकने से होने वाला नुकसान भी नहीं होगा। इस तकनीक से 60 से 80 फीसदी तक परतों वेस्ट का फिर से उपयोग किया जा सकेगा.
ईटीए से कम गिट्टी में भी बन रही मजबूत सड़क
इमल्शन ट्रीटेड एग्रीगेट ईटीए टेक्नोलॉजी में गिट्टी कम लगती है, लेकिन सड़क उतनी मजबूत बनती है। लागत ाी कम हो जाती है। इस तकनीक से सीर गेट से सामनेघाट और धरसौना से सिंधोरा तक सड़क बनाई जा चुकी है। आगे अन्य सड़कों पर भी यह तकनीक आजमाने की तैयारी है। इस तकनीक में गिट्टी की मात्रा कम करके इमल्सन विटमिन का मिश्रण और सीमेंट मिलाते हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार बड़ी सड़कों को बनाने में लागत भी लगभग दस फीसदी तक कम हो जाती है। अधिकारियों के मुताबिक प्राकृतिक सम्पदा पहाड़ पत्थर आदि की बचत करना इस टेक्नोलॉजी का मुख्य उद्देश्य है.
दोनों तकनीकों के प्रयोग से सड़कों की गुणवत्ता और बेहतर होगी। साथ ही उखाड़ी गई ऊपरी परतों का रीयूज भी हो सकेगा.
केके सिंह, अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी