वाराणसी (ब्यूरो)। जे खाई बाजरा, जौ, ज्वार, रागी, मक्का और चना उ रही शरीर सेे बना, ह्रदयरोग, स्ट्रोक, डायबिटीज कोलेस्ट्राल को भगाना हो दूर और आंत रखनी हो साफ तो खाएं मोटा अनाज। पुरनियों की यह कहावत एक बार फिर से सच साबित होने लगी है। वर्ना मैगी, पिज्जा और बर्गर के जमाने में मोटा अनाज को कौन पूछता है। जी हां अब लोग अपनी लाइफ स्टाइल में मिलेट्स को अपना पार्टनर बना लिए हैं। इसकी बानगी देखनी हो तो मार्केट में जाकर देखा जा सकता है। एक साल के अंदर करीब पांच हजार से अधिक फैमिली ने मोटा अनाज से अपनाकर बीमारियों को दूर भगाया है.
बदलती लाइफ स्टाइल ने मिलेट्स को बनाया दोस्त
पिछले दो दशक में मार्केट में पिज्जा, बर्गर, मैगी का चलन काफी तेजी से हावी हुआ। डिमांड इतना अधिक बढ़ा की गली, मुहल्ले से लेकर सिटी में बड़े-बड़े आउटलेट्स खुल गए। बच्चों के साथ बड़ों की भी पहली पसंद बन गयी। धीरे-धीरे इसके चलन ने लोगों की बॉडी में बीमारी की फैक्ट्री बना दी। अब लोग इससे बचने के लिए डाक्टरों के यहां दौड़ लगा रहे हैं। आयुर्वेद के डाक्टर अब खान-पान में मोटा अनाज का सेवन करने को एडवाइज दे रहे हैं.
क्यों बढ़ी मोटे अनाज की मांग
बदलते लाइफ स्टाइल में आम आदमी ज्वार, बाजर, मक्का, रागी को अपनी थाली से दूर कर दिया था। खाने की थाली में सिर्फ मसालेे दार सब्जियां और ओकेजन पर पनीर दो प्याजा, पनीर बटर मसाला समेत कई चटपटेदार सब्जियों ने अपनी जगह बना ली। पर डे सेवन से आज हर आदमी कोलेस्ट्राल, डायबिटीज, हार्ट और सुगर का पेंशेंट बन चुका हैं। इन बीमारियों से अब छुटकारा पाने के लिए फिर से अपने पुरनियों के अनाज को अपनाना शुरू कर दिया हैं। मार्केट में मोटे अनाज की डिमांड काफी बढ़ गयी हैं.
सिटी में हजारों फैमिली यूज कर रहे मिलेट्स
बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए सिटी के करीब पांच हजार ऐसे फैमिली है जो गेहूं की जगह मोटा अनाज का सेवन कर रहे हैं। जब से मोटा अनाज अपने खाने में शामिल किए हैं उनकी बीमारियों करीब 70 से 80 परसेंट तक ठीक हो चुकी हैं। इसके फायदे को देखते हुए अब लोगों में मोटे अनाज का चलन तेजी से बढ़ रहा हैं.
क्या हैं मोटा अनाज
ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), मक्का, जौ, कोदो, सामा, बाजरा, सांवा, लघु धान्य या कुटकी, कांगनी और चीना जैसे अनाज मिलेट्स यानी मोटा अनाज होते हैं। इनको अपने भोजन में शामिल करने से हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज एवं मोटापे की समस्या काफी कम हो जाती है.
2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स
वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर आफ मिलेट्स घोषित किया गया है। मिलेट्स से सम्बंधित जागरूकता फैलाने के लिए देशभर में अनेक कार्यक्रम हो रहे हैं। मोटे अनाज ना केवल बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं बल्कि गुड कोलेस्ट्राल को बरकरार रखते हैं.
बीमारों के लिए रामबाण
मोटा कोलेस्ट्राल को बढ़ात हैं। इंसुलिन के स्तर को संतुलित करते हैं जिससे रक्त शर्करा कम होती है, ब्लड प्रेशर कम होता है इसके कारण ह्रदयरोग, स्ट्रोक,डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है। मोटे अनाज में विभिन्न प्रकार के मिनरल एवं फाइबर होते हैं जोकि आंतों की शुद्धि करते हैं।
क्यों खाएं मिलेट्स
ये मिलेट्स हजारों सालों से उगाये जा रहे हैं। किसी भी मिट्टी में आसानी से उग जाते हैं इनमें खाद एवं पानी की आवश्यकता भी बहुत कम होती है। आयुर्वेद में महर्षि चरक ने (जौ)को मधुमेह के रोगी के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार के रूप में माना है। मिलेट्स खून में बड़ी हुई शुगर को कम करने में कारगर होते हैं। मोटे अनाज में मुख्य रूप से ब्रेन या चोकर होता है यह अनाज के सबसे ऊपर का हिस्सा होता है। इसमें अनाज का सर्वाधिक फाइबर होता है साथ ही विटामिन एवं मिनरल होता है।
रागी, जौ (बार्ली), बाजरा, कोदो, कंगनी को आयुर्वेद में महर्षि चरक ने रोगियों के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार बताया हैं। बदलते लाइफ स्टाइल में लोग इसे भूल चुके हैं, इसलिए बीमार पड़ रहे हैं। अब मोटापा, मधुमेह, ब्लड प्रेशर, शुगर को कम करने के लिए लोग तेजी से मोटा अनाज का इस्तेमाल कर रहे हैं.
डा। श्याम सुंदर पांडेय, चिकित्साधिकारी आयुर्वेद