वाराणसी (ब्यूरो)। बनारसी पुड़ी और सब्जी के क्या कहने। सुबह-सुबह जब कढ़ाईयों में पुडिय़ां छनती हैं और उसकी भीनी-भीनी खूशबू लोगों की नाकों तक पहुंचती है तो बनारसी अपने आपको रोक नहीं पाते, सीधे दुकानों तक खींचे चले जाते हैं। फिर क्या, जब तक चार पुड़ी और सब्जी खाकर अघा नहीं जाते, वहां से वह आगे नहीं बढ़ते। गरमागरम पुडिय़ां खाने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती है। कढ़ाई में से पुडिय़ां निकलती नहीं है कि लोग दोना आगे बढ़ा देते हैं। यह नजारा अमूमन शहर की सभी पुड़ी और सब्जी की दुकानों पर देखने को मिलता है। पुड़ी और सब्जी की खींच ने फास्ट फूड को भी पीछे छोड़ दिया। सिटी में करीब एक हजार से अधिक पुड़ी और सब्जी की दुकानें चल रही थी कि बढ़ते डिमांड ने एक साल के अंदर करीब पांच सौ से अधिक और दुकानें खुल गई। इन दुकानों पर परडे करीब 20 टन से अधिक आटा की खपत होती है.
कहीं 6 तो कहीं 20 रुपये पर पीस
बनारस में पुड़ी-सब्जी के स्वाद के दीवाने काफी हैं। सुबह-सुबह पुड़ी-सब्जी खाने की तलब जब चढ़ती है तो क्या सस्ता क्या महंगा, कुछ भी नहीं देखते। सीधे खाने के लिए पहुंच जाते हैं। जब तक वहां की कचौड़ी खा नहीं लेते तब तक वह आगे नहीं बढ़ते। यही वजह है कि शहर में पुड़ी और सब्जी की दुकानें दिन पर दिन बढ़ती गयी। इन दुकानों पर कहीं 6 रुपए प्रति पीस तो कहीं 20 रुपए प्रति पीस की दर से कचौडिय़ां बिक रही हैं.
एक साल में खुलीं नई दुकानें
पुड़ी और सब्जी की डिमांड को देखते हुए बनारस में एक साल के अंदर करीब पांच सौ से अधिक दुकानें खुल चुकी हैं। किसी ने गली में खोल रखा है तो कोई लबे रोड पर दुकानें चला रहा है। ताज्जुब की बात है कि जितनी भीड़ सड़क पर होती है, उतनी ही भीड़ गलियों में भी होती है.
फास्ट फूड के दुकानों को भी पीछे छोड़ा
पुड़ी-सब्जी की दुकानों ने फास्ट फूड के कारोबार को भी पीछे छोड़ दिया है। चाऊमीन, बर्गर, पिज्जा से अधिक पुड़ी और सब्जी का कारोबार बढ़ रहा है। दुकानों पर तो खाते ही हैं, साथ में पैक कराकर भी ले जाते हैं। कई तो ऐसे प्रेमी है जो नामचीन दुकानों पर खाने के लिए सिर्फ 50 से 60 किलोमीटर की दूरी तय करके आते हैं। खाते भी हैं साथ ही अपने रिश्तेदारों के लिए पैक भी कराते हैं.
कई रेस्टारेंट ने भी कर दी शुरुआत
पुड़ी और सब्जी की डिमांड को देखते हुए शहर के कई नामी-गिरामी रेस्टोरेंट ने भी पुड़ी और सब्जी का अलग से काउंटर की शुरुआत कर दी हैं। पहले बाहर की दुकानों से लोकर अपने कस्टमर्स को खिलाते थे अब वह खुद ही पुड़ी और सब्जी बनाकर खाते हैं। परडे उनकी अच्छी-खासी सेलिंग भी होती हैं.
ढाई सौ ग्राम आटा में होती है चार कचौड़ी तैयार
पुड़ी-कचौड़ी दुकानदारों की मानें तो चार कचौड़ी बनाने के लिए करीब एक पाव आटे की खपत होती हैं। एक किलो में करीब 20 से 22 पुडिय़ां तैयार होती हैं। यह पुडिय़ा थोड़ी हैवी होती हैं इसलिए रेट अधिक रखते हैं। कई ऐसे दुकानदारों हैं जो एक पाव में करीब पांच पुडिय़ा तैयार करते हैं। इसी प्रकार से वह रेट भी कम रखते हैं.
ढाई हजार से अधिक दुकानें सिटी में
मिठाई विक्रेताओं की मानें तो सिटी में करीब ढाई हजार से अधिक दुकानें चल रही हैं। नामी-गिरामी से लेकर छोटे तबके के दुकानदार शामिल हैं। इन दुकानो में सुबह-सुबह पुड़ी, सब्जी और जलेबी तैयार की जाती हैं.
नामचीन दुकानों पर पर डे दस हजार कचौडिय़ों की बिक्री
करीब दस हजार से अधिक कचौडिय़ां का कारोबार हो रहा हैं जबकि आम दुकानों पर 4 हजार से पांच कचौडिय़ां बिकती हैं। यहीं नहीं सिटी में कई ऐसे दुकान हैं जहां पर दिन भर पुड़ी-कचौड़ी की डिमांड रहती हैं.