वाराणसी (ब्यूरो)। अब टूर करने वाले लोगों के लिए सबसे फेवरेट टूरिस्ट प्लेस में स्थान बना चुके दुनिया के सबसे पुराने शहर बनारस में टूरिस्टों की सेफ्टी भगवान भरोसे है। यहां आने वाले पर्यटक जिन होटल्स में ठहरते हैं उनमें ज्यादातर के पास फायर सेफ्टी को लेकर कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में अगर किसी होटल में अचानक से आग लग गई तो कितनी बड़ी तबाही मचेगी, इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है। अगर आप भी बनारस घूमने से पहले होटल बुक करा रहे हैं तो पहले उस होटल की जांच कर लें कि वहां फायर सेफ्टी को लेकर मुकम्मल इंतजाम है या नहीं है। अगर ऐसा नहीं है तो आपकी जान खतरे में पड़ सकती है.
कॉरिडोर के बाद बढ़ी होटल्स की संख्या
काशी में लगातार बढ़ते पर्यटकों की संख्या के चलते होटल्स कम पड़ गए। पर्यटकों को आसानी से होटल उपलब्ध कराने के साथ ही इस अवसर को भुनाने के लिए लक्सा, गोदौलिया, सोनारपुरा, भदैनी, अस्सी, लंका, बांसफाटक, चेतगंज, सिद्धगिरीबाग, सोनिया, लगहतारा, मंडुआडीह समेत तमाम एरिया में लोग होटल बनाकर अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। यही नहीं इन दिनों यहां के गली-गली में होटल खुल गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक इन दिनों शहर में करीब तीन हजार से ज्यादा होटल संचालित हो रहे हैं। इनमें कुछ बड़े और चुनिंदा होटल्स को छोड़ दिया जाए तो शायद ही ऐसा कोई होटल मिले, जहां अग्निशमन के पर्याप्त इंतजाम हो.
सेफ्टी रजिस्ट्रेशन तक नहीं
कुछ माह पहले अग्निशमन विभाग ने होटलों की जांच की तो कई होटलों में आग से लडऩे के पर्याप्त इंतजाम नहीं मिले। विभाग के अधिकारियों की मानें तो कैंट क्षेत्र में कई ऐसे होटल मिले, जिसके संचालकों ने फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए रजिस्ट्रेशन तक नहीं कराया था। जबकि इन होटल्स में काफी कमियां भी पाई गईं। यहां आग से लडऩे के लिए न अंडर ग्राउंड टैंक तो दूर पंप तक नहीं हैं। नियम के अनुसार होटल की ऊंचाई 15 मीटर से अधिक होने पर इनका होना अनिवार्य है। कई होटल ऐसे भी हैं जो, संकरे रास्ते में है। स्पेस ज्यादा नहीं है। फायर एग्जिट कहीं अलग से नहीं बनाया गया है.
फायर इंस्टीग्यूशर बड़े आग में नहीं करेगा काम
परेड कोठी स्थित होटलों में फायर फाइटिंग के लिए पंप तक नहीं लगे हैं। अंडर ग्राउंड वाटर टैंक भी नहीं बनाया गया है। बेसमेंट भी होटल में नहीं है। फायर एग्जिट के नाम पर एक सीढ़ी है। इसके अलावा कोई ऐसा रास्ता नहीं है जिससे आग लगने की घटना के दौरान बचाव के लिए बाहर निकला जा सके। कुछ होटल के गलियारों में फायर इंस्टीग्यूशर जरूर लगाए गए हैं, लेकिन किसी बड़े हादसे के दौरान बहुत काम नहीं आएंगे। होटल का पार्किंग एरिया भी काफी बड़ा नहीं है। कुछ बड़े होटलों की भी ऐसी ही हालत है। यहां तो आग से लडऩे के प्रशिक्षित स्टाफ भी नहीं हैं.
सिर्फ 100 होटल ने प्राप्त की एनओसी
शहर में वर्तमान में एक अनुमान के मुताबिक तीन हजार से ज्यादा होटल संचालित हो रहे हैं। फायर डिपार्टमेंट के पास सिर्फ करीब 100 ऐसे होटल की लिस्ट है, जिन्हें फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट दिया गया है। पिछले 6 माह में 250 से ज्यादा होटल संचालकों को नोटिफाई कर नोटिस भी भेजा गया, लेकिन नोटिस प्राप्त होने के बाद भी किसी भी होटल संचालक ने फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेने की जहमत नहीं उठाई.
शार्ट सर्किट से होटल के कमरे में लगी आग, हजारों की क्षति
सोनिया पुलिस चौकी (सिगरा) के सामने एक होटल के कमरे में मंगलवार की सुबह शार्ट सर्किट से आग लगने से हजारों रुपये के फर्नीचर व अन्य सामान नष्ट हो गए। सूचना के बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड के जवानों ने होटल की खिड़की के शीशे तोड़कर दो गाडिय़ों की मदद से आग पर काबू पा लिया। इस दौरान किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.
यह होटल नियमह एवं ब्लैक पर्ल रेस्टोरेंट पटना, बिहार निवासी अजय वर्मा का है। फायर अफसर लालजी गुप्ता ने बताया कि होटल में अग्नि शमन के एनओसी की जांच की जा रही है। यहां आग बुझाने के उपकरणों को भी चेक किया जा रहा है। होटल में ठहरे दक्षिण भारतीय दल ने सुबह 5.30 बजे ही कमरा खाली कर दिया था। वरना किसी प्रकार की अनहोनी से इन्कार नहीं किया जा सकता था.
यह सही है कि बनारस में ज्यादातर होटलों में फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं हंै। इन पर शिकंजा कसने के लिए लगातार जांच कर नोटिस भी भेजा जाता है। शासन से अगले माह नियमावली आने के बाद इन सभी होटलों पर कार्रवाई की जाएगी.
आनंद सिंह राजपूत, सीएफओ