वाराणसी (ब्यूरो)बदलते दौर के लिहाज से मानव स्वास्थ्य के खतरों में भी इजाफा हुआ हैमेडिकल साइंस में कैंसर के कई रूपों के बाद अब रेटिनोब्लास्टोमा यानि बाल्य काल में नेत्र कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैैंझारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, वेस्ट बंगाल और नेपाल समेत अन्य राज्यों से आंखों का इलाज कराने बीएचयू के नेत्र विभाग में पहुंचे प्रति महीने 1200 से 1400 पेशेंट में 5 से 6 बाल नेत्र रोगियों को चिह्नित किया जा रहा है, जिनकी आंखों में रेटिनोब्लास्टोमा नामक कैंसर पाया जा रहा हैचिकित्सा विज्ञान संस्थान में नेत्र कैंसर व प्लास्टिक सर्जरी यूनिट के इंचार्ज डॉराजेंद्र प्रकाश मौर्य ने बताया कि रेटिनोब्लास्टोमा बच्चों की आंखों के पर्दे में होने वाला कैंसर हैयह आंख की दृष्टिपटल (रेटिना) की प्रकाश संवेदी कोशिकाओं से उत्पन्न होता हैयह 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाया जाता हैरोग के पहचान की औसत उम्र 18 माह हैएक आंख में (यूनिलेटरल) रेटिनोब्लास्टोमा की पहचान दो वर्ष की उम्र में तथा दोनों आंखों में रोग की पहचान एक वर्ष से पहले हो जाती हैसही समय पर इलाज न होने पर यह जानलेवा हो जाती है.

केस-1

चंदौली जनपद के मिर्जापुर की सीमा से लगे एक गांव के दो साल के बच्चे में जेनेटिक म्यू़टेशन की वजह से एक बच्चे में रेटिनोब्लास्टोमा के कारण प्रोप्टोसिस और गले में कैंसर की गिल्टी बन गईइसके पैरेंट्स देर इलाज के लिए आईएमएस पहुंचेलिहाजा, क्रिटिकल स्टेज में होने चलते इलाज के बाद बच्चे को बचाया नहीं जा सका.

केस-2

रॉबटर््सगंज के मधुपुर क्षेत्र के दो साल बच्चे मोनू (बदला हुआ नाम) में जेनिटिक म्यूटेशन के चलते कैटस आई रिफ्लैक्स की पहचान समय पर हो गईऑपरेशन कर मोनू की इफेक्टेड आंख को निकाल कर आर्टिफिशियल आंख लगाई गई हैअब मोनू आम बच्चे की तरह हैैवाराणसी के बाबतपुर में कई पेशेंट का इलाज चल रहा है.

बाल कैंसर पेशेंट में तीन फीसदी रेटिनोब्लास्टोमा

दुनिया में बच्चों में होने वाले सभी कैंसर का तीन प्रतिशत रेटिनोब्लास्टोमा हैलगभग प्रत्येक 18000 जीवित जन्म लेने वाले बच्चों में से एक बच्चे में रेटिनोब्लास्टोमा होने की दर दर्ज की गई है। 25-35 फीसदी बच्चों में ट्यूमर दोनों आंखों को प्रभावित करता हैरेटिनोब्लास्टोमा एक आनुवंशिक (जेनेटिक) नेत्र विकार हैइसमें रेटिना की कोशिका विभाजन के समय जींस-13 में विकृति (म्यूटेशन) हो जाता हैयह म्यूटेशन एक चैथाई मामलों में अगली पीढ़ी में ट्रांसफर हो जाती हैगुणसूत्र-13 की विकृति के फलस्वरूप परदे (रेटिना) की तंत्रिकीय कोशिकाओं का विभाजन अनावश्यक, अनियंत्रित रूप से होने लगता है, जिससे रेटिना में ट्यूमर बनने लगता हैगुणसूत्र की विकृति के लिए विकिरण व प्रदूषण मुख्य रूप से जिम्मेदार है

रेटिनोब्लास्टोमा के लक्षण क्या हैैं?

बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आकुलर आंकोलाजी एंड आकुलोप्लास्टी यूनिट के प्रभारी के अनुसार रेटिनोब्लास्टोमा के सिम्पटम्स में लगभग 56 प्रतिशत बच्चों को आंख में काली पुतली के पीछे सफेद या पीली चमक (ल्यूकोकोरिया) दिखाई देती हैजिसे 'कैटस आई रिफ्लैक्सÓ भी कहते हैंसाथ ही लगभग 20 प्रतिशत रोगियों में आंखों का तिरछापन या भेगापन, लाल आंख, नजर की कमी या पूर्ण दृष्टिहीनता और आंख का बाहर निकल आना (प्रोप्टोसिस) आदि हैइतना ही नहीं लगभग तीन फीसदी बच्चों में कोई लक्षण नहीं होता हैरोग का पता नियमित जांच के दौरान चलता हैकैंसर दृष्टि तंत्रिका तन्तु के माध्यम से मस्तिष्क में भी फैल सकता हैबहुत बढ़े हुये अवस्था में कैंसर बच्चों के कपाल व शरीर की अन्य हड्डियों में फैल जाता हैयह रोग की जानलेवा अवस्था होती है.

क्या कहते हैं आंकड़े

-नेत्र विभाग की ओपीडी- 1400 प्रति माह

-बाल पेशेंट चिह्नित- 20 से 25 प्रति माह

-रेटिनोब्लास्टोमा की पुष्टि- 5 से 6 बच्चों में

रेटिनोब्लास्टोमा इलाज की विधियां

-फोकल ट्रीटमेंट (थर्मोथेरेपी)

-लोकल ट्रीटमेन्ट (रेडिशएन)

-सिस्टेमीक ट्रीटमेंट (कीमोथेरेपी)

सही समय पर इलाज मिलने से रेटिनोब्लास्टोमा पूर्णरूप से ठीक होने योग्य कैंसर हैइलाज का तरीका एवं कामयाबी मुख्यत: रोग की अवस्था पर निर्भर करता हैलिहाजा, बच्चों के आंखों में किसी तरह के लक्षण होने पर तत्काल बीएचयू नेत्र कैंसर क्लीनिक में दिखाएं.

प्रोआरपी मौर्य, इंचार्ज, नेत्र कैंसर व प्लास्टिकसर्जरी यूनिट, बीएचयू