वाराणसी (ब्यूरो)। नगर निकाय चुनाव अब अंतिम दौर में पहुंचने लगा है। प्रचार के लिए मेयर व पार्षद प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। उधर, जिला प्रशासन ने भी सकुशल मतदान के लिए लगभग सारी तैयारी कर ली है, लेकिन शहर के करीब 177 बूथों पर मतदान कराना चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि इनमें से 115 बूथ संवेदनशील, 45 अति संवेदनशील की श्रेणी में आते हैं.
बाहर से आएगी फोर्स
यही नहीं 17 बूथ तो अति संवेदनशील प्लस की श्रेणी में आते हैं। फिर भी कमिश्नरेट पुलिस ने इन सभी बूथों पर शांति पूर्ण मतदान कराने के लिए बाहरी व स्पेशल फोर्स की तैनाती की प्लानिंग की है। सीसीटीवी कैमरे से इन बूथों की मॉनिटरिंग की तैयारी है।
सीसीटीवी कैमरे से निगरानी
अतिसंवेदनशील बूथों पर चौकस निगरानी रखने के लिए प्रशासन द्वारा स्पेशल फोर्स तैनात किया जाएगा। करीब एक-एक बूथों पर आधा दर्जन फोर्स को तैनात किया जाएगा, जो सुरक्षा-व्यवस्था के साथ ही मतदाताओं को कोई दिक्कत न हो इस के विशेष ध्यान देंगे। अच्छी तरह से मतदान हो इसके लिए सभी अतिसंवेदनशील बूथों पर चार सीसी टीवी कैमरा भी लगाया जाएगा.
रहेगी पैनी नजर
चुनाव को देखते हुए 115 बूथ को संवेदनशील और 45 को अति संवेदनशील के अलावा 16 मतदान केन्द्रों को अतिसंवेदनशील प्लस बनाए गए हैैं। इन बूथों पर मतदान के समय पर्याप्त मात्रा में पुलिस फोर्स को तैनात किया जाएगा। अराजक तत्वों पर पैनी नजर रखी जाएगी। मतदान में विघ्न डालने पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे लोगों की सूची भी बना ली गई है.
अतिसंवेदनशील बूथों पर बाहरी पुलिस फोर्स को तैनात किया जाएगा। यही नहीं सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे। ताकि शांतिपूर्वक मतदान हो सके.
मुथा अशोक जैन, सीपी
इन बूथों पर विशेष नजर
भेलूपुर -
संवेदनशील - 48
अति संवेदनशील 17
दशाश्वमेध
संवेदनशील- 19
अति संवेदनशील - 6
आदमपुर
संवेदनशील - 40
अति संवेदनशील -6
कोतवाली
संवेदनशील - 6
अतिसंवेदनशील -3
वरुणापार
संवेदनशील - 18
अतिसंवेदनशील - 11
महिला अपराध वाली खबर में जोड़
यहां भी अप्रैल में पहुंची 41 शिकायतें
पांडेयपुर स्थित वन स्टॉप सेंटर पर भी महिला संबंधित शिकायतें आती हैं। अप्रैल महीने में अभी तक कुल 41 शिकायतें पहुंची हैं, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष में कुल 438 शिकायतें आई थीं। काउंसलिंग व बातचीत के जरिए करीब 70 फीसद मामलों का निस्तारण कर दिया गया, लेकिन शेष मामलों में समझौता नहीं होने पर विधिक प्राधिकरण और पुलिस विभाग को ट्रांसफर कर दिया गया। सेंटर प्रभारी रश्मि दुबे ने बताया कि पति के अलावा सास-ससुर द्वारा भी उत्पीडऩ की शिकायतें आती हैं। लगभग 95 फीसद मामलों में पुरुष ही दोषी होते हैं, जबकि 5 फीसद में महिलाएं। कई मामलों में समझौता कराने में छह महीने तक लग जाते हैं। सुलह होने के बाद भी करीब दो साल तक हमारी टीम दंपति के संपर्क में रहती है। कोई समस्या होने पर तत्काल मदद पहुंचाई जाती है.