वाराणसी (ब्यूरो)। एसएस हॉस्पिटल-बीएचयू में पिछले दो साल से हार्ट पेशेंट के बेड पर लगे डिजिटल लॉक को लेकर सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट प्रो। ओमशंकर दूसरे दिन भी आमरण अनशन पर रहे। उन्होंने पूरी रात अस्पताल के अपने चेंबर में ही धरना दिया। वहीं पर कंबल ओढ़कर आराम भी किया। प्रोफेसर के साथ उनके समर्थक और मरीज भी थे। इसके बाद सुबह उठे और संडे की छुट्टी में भी मरीजों को देखने के लिए बैठ गए। यह सिलसिला दिन भर जारी रहा। इस बीच कई मरीज उनके चेंबर में आए। उन्होंने 25 से 30 मरीजों का उपचार करने के साथ सलाह दी। दो दिन से आमरण अनशन पर बैठे प्रो। ओम शंकर सिर्फ नींबू पानी ही ले रहे हैं। पिछले 48 घंटे से वे अन्न का त्याग कर चुके हैं। अनशन स्थल पर जहां उनके समर्थक साथ दे रहे हैं, वहीं संडे को उनसे मिलने कई नेता भी पहुंचे। इसमें कांग्रेस कैंडिडेट अजय राय, सपा एमएलसी आशुतोष सिंह, जिला अध्यक्ष सुजीत यादव, पूर्व प्रत्याशी पूजा यादव और लोकल नेता अमन यादव शामिल थे.
एमएस को हटाने पर अड़े
प्रो। ओमशंकर शनिवार से ही सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में लॉक्ड बेड और अस्पताल के मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट को हटाने की मांग पर अड़े हैं। उनका कहना है कि एमएस के कार्यकाल की समय सीमा पूरी होने के बाद भी अस्पताल के एमएस नहीं बदले, जबकि नियम सिर्फ तीन ही साल का है। इस मसले पर उन्होंने वीसी से लेकर पीएम तक को चि_ी लिखी है, लेकिन कोई सॉल्यूशन नहीं निकला। उनका कहना है कि आज स्थिति ये हो गई है कि चलते-फिरते लोग गिरकर मर रहे हैं। इसके पीछे वजह कार्डियक अरेस्ट ही दिख रहा। ऐसे में नई बिल्डिंग में पूरे कार्डियोलॉजी विभाग को शिफ्ट किया जाए, जिससे सही समय पर ज्यादा से ज्यादा मरीजों को इलाज मिल सके। उन्होंने बताया कि कोविड और कोविड शील्ड के वैक्सीनेशन के बाद हार्ट पेशेंट की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। अस्पताल में मरने वाला हर तीसरा पेशेंट हार्ट का है.
35 हजार रोगियों को बेड नहीं
अस्पताल में ज्यादा से ज्यादा बेड हार्ट पेशेंट के लिए होना चाहिए। पीएम ने जिन सेवाओं को हार्ट पेशेंट के लिए अपने संसदीय क्षेत्र में शुरू किया था, वहां के अधिकारी उसे जनता तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। पीएम मोदी और रोगियों के बीच एक दीवार खड़ी कर दी गई है। पिछले 2 साल से चल रही इस लड़ाई में 35 हजार से ज्यादा हार्ट पेशेंट को बेड नहीं मिल पाया, जबकि बेड खाली था, लेकिन इसे डिजिटली लॉक्ड किया गया है। डॉ। शंकर ने कहा कि मैंने पिछले 2 साल में 50 से ज्यादा बार बड़े अधिकारियों को चि_ियां लिखी है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। मेरे माता-पिता ने मुझे इसीलिए डॉक्टर बनाया कि मैं आम और गरीब मरीजों की सेवा कर सकूं.
दान में मिला खून भी बेच दिया
डॉ। ओम शंकर ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाते हुए पत्र में ये भी कहा है कि एमएस अपने गैर-शैक्षणिक अनुभवों को शैक्षणिक बताकर मेडिसिन के प्रोफेसर बन गए। बिना किसी सक्षम अधिकारी की संस्तुति के खुद को ब्लड बैंक का इंचार्ज घोषित कर उस पर कब्जा कर लिया। बीएचयू जैसे सम्मानित संस्थान में स्वघोषित ब्लड बैंक इंचार्ज बनकर बिना आधिकारिक मान्यता के ब्लड बैंक को सालों तक संचालित करते रहे। यही नहीं ब्लड की मान्यता प्राप्त करने के लिए पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर के नामों का दुरुपयोग, बिना उनकी अनुमति के करते रहे। एमएस मेडिसिन के प्रोफेसर है, जबकि ब्लड बैंक का इंचार्ज सिर्फ पैथोलॉजी के प्रोफेसर ही बन सकते हैं। इनके ऊपर आईआईटी के बच्चों द्वारा दान दिए गए ब्लड को बेचने के जब आरोप लगे तो तत्कालीन कुलपति द्वारा इनको पहले चिकित्सा अधीक्षक के पद से हटा दिया गया। फिर इनके विरुद्ध ब्लड बैंक इंचार्ज के तौर पर की गई अनियमितताओं की जांच के आदेश दे दिए। जांच समिति ने जांच में इनको दोषी पाया और इनके विरूद्ध कारवाई की अनुशंसा की, फिर इनको ब्लड बैंक इंचार्ज के पद से भी हटा दिया गया.
सुविधाएं बढऩे के बदले घटा दी गई
उन्होंने ये भी कहा कि एमएस की प्रशासनिक अक्षमता, भ्रष्टाचार के लिए इनके ऊपर कारवाई करने के बजाय इन्हें चिकित्सा अधीक्षक के पद पर पदोन्नति मिल गई। प्रो। शंकर ने ये भी बताया कि फायदे में चल रहे सीसीआई जांच केंद्र को एक ऐसी कंपनी के हाथों बेच दिया जो कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड है। यह जांच केंद्र मरीजों की गलत जांच रिपोर्ट देकर इस संस्थान की गरिमा और विश्वसनीयता रोज गिरा रहा है। विटामिन डी और किडनी की रिपोर्ट तो अक्सर गलत पाई जाती है। ज्यादातर जांच की दरों को बढ़ाकर निजी जांच केंद्रों में होने वाले दरों के लगभग बराबर कर दिया है, जिससे यहां मरीजों की सुविधाएं बढऩे के बदले घटा दी गई है।
ये है मांग
-नई बिल्डिंग में डेढ़ फ्लोर हृदय रोगियों को मिले.
-बिल्डिंग में चौथा फ्लोर पूरा और 5वें फ्लोर का आधा हिस्सा दिया जाए.
-पुरानी बिल्डिंग की ओपीडी, वार्ड और जांच एरिया भी छोडऩे को हैं तैयार.
-एमएस को इस पद से हटाया जाए.
-एमएस ने अब तक जितने भी भ्रष्टाचार किए है सब की जांच कर कार्रवाई की जाए।
अगर नई बिल्डिंग में डेढ़ फ्लोर कॉर्डियोलॉजी विभाग को दिया जाए। इससे हार्ट पेशेंट को सारी सुविधाएं एक जगह पर मिल जाएंगी। इस पर जांच कमेटियों ने भी इस पर सहमति जताई है। लेकिन, एमएस इसे मानने से इनकार कर चुके हैं। बेड डिस्ट्रीब्यूशन का अधिकार सिर्फ आईएमएस डायरेक्टर और डॉक्टर्स की कमेटी का है। जब तक उन्हें बेड नहीं मिल जाता तब तक अनशन जारी रहेगा.
प्रो। ओम शंकर, एचओडी-कॉर्डियोलॉजी डिपार्टमेंट, बीएचयू
डॉ। शंकर की ओर से लगाए जा रहे सारे आरोप बेबुनियाद हंै। वो सिर्फ पब्लिसिटी के लिए ये सब कर रहे हैं। आखिर क्या वजह है कि उन्हें चुनाव या जब कोई बड़ा नेता शहर में आता है तब ही इस बेड की याद आती है। उनसे जाकर ये पूछिए कि किस मामले में उन्हें डेढ़ साल के लिए सस्पेंड किया गया था। ये अपनी बात क्यों नहीं बताते हैं.
प्रो। केके गुप्ता, एमएस, एसएस हॉस्पिटल, बीएचयू