वाराणसी (ब्यूरो)। केंद्र सरकार देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतरीन बनाने की दिशा में भले ही हर संभव प्रयास कर रही हो, लेकिन बनारस में आधी आबादी का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। शहर की 50 फीसदी महिलाएं खून की कमी से जूझ रही हैं। ये हम नहीं स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट बता रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) की रिपोर्ट में बताया गया है कि बनारस में करीब 50 फीसद महिलाएं एनीमिक हैं। इस रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की लगभग 50.9 परसेंट नॉन प्रेग्नेंट विमेंस और इसी एज ग्रुप की 50.8 परसेंट प्रेग्नेंट विमेंस एनेमिक हंै। इसके अलावा ओवरऑल 19 से 49 एज ग्रुप की सभी विमेंस की बात करें तो इनमें भी 50.9 परसेंट विमेंस एनेमिक पाई गई हंै। वहीं 15 से 19 साल की 50.3 परसेंट फीमेल्स एनीमिक हैं.
जीरो फिगर की चाहत भी है वजह
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ। नेहा सिंह बताती हैं कि समाज में आज भी बेटे और बेटी में फर्क समझा जाता है। बेटियों की सेहत पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है जितना कि बेटों पर दिया जाता है। आज की फीमेल्स में पोषण की बेहद कमी है। पीरियड्स के दौरान काफी ब्लड लॉस होता है। बावजूद इसके वे पोषण वाले भोजन साग-सब्जी नहीं खाती। वहीं दूसरी ओर जीरो फिगर और अपनी पर्सनॉलिटी मेंटेन रखने की चाह में भी कुछ विमेंस जानबूझकर पौष्टिक आहार नहीं लेतीं। इस कारण उनमें खून की कमी हो जाती है, जिससे वह एनीमिया की गिरफ्त में आ रही हैं.
बेटी स्वस्थ होगी तभी स्वस्थ्य मां बनेगी
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के आंकड़े बताते हैं कि कुपोषित बच्चों में लड़कियों की संख्या अधिक है, फिर भी परिवार के सदस्य उनको पोषण पुनर्वास केंद्र तक ले जाने में आनाकानी करते हैं। अब यह समझने की जरूरत है कि अगर बेटी पूरी तरह स्वस्थ होगी तभी वह स्वस्थ मां बन सकेगी।
कम उम्र में शादी तो बढ़ जाएगी मुसीबत
चिकित्सा अधिकारियों का कहना है कि कुपोषण का एक प्रमुख कारण लड़की की कम उम्र में शादी और एक साल पूरा होने से पहले प्रेग्नेंट होना भी है। एनएफएचएस के अनुसार बनारस में 19.9 फीसदी लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती है, जबकि 4.1 फीसद महिलाएं 19 साल की उम्र से पहले मां बन जाती हैं। डॉ। रश्मि पाठक का कहना है कि 19 साल से कम उम्र में प्रेग्नेंसी से अविकसित बच्चे को जन्म देने की सम्भावना अधिक रहती है। इन स्थितियों में ज्यादातर बच्चे या तो समय से पहले जन्म लेते हैं या कुपोषित होते हैं.
5634 प्रेग्नेंट विमेंस में खून की कमी
बता दें कि महीने की हर 9 तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना के तहत जिले के हर सरकारी अस्पताल व सीएचसी, पीएचसी में कैंप लगाकर प्रेग्नेंट विमेंस की हेल्थ चेकअप की जाती है। जुलाई माह में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार वाराणसी मंडल की 24359 प्रेग्नेंट विमेंस में खून की कमी पाई गई थी। इसमें तीसरे नंबर पर रहे बनारस की 5634 विमेंस में खून की कमी देखी गई। वहीं दूसरे नंबर पर गाजीपुर की 5668, जबकि पहले स्थान पर जौनपुर है जहां 10446 विमेंस में खून की कमी पाई गई थी.
ये सब भी है एनीमिक होने की वजह
-एक से अधिक बार कम अंतराल पर प्रेग्नेंट होना
-फस्र्ट डिलीवरी होने के छह माह बाद प्रेग्नेंट होना
-लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले कर देना
-हरी-सब्जी, साग और पोषण वाला भोजन न करना
-भोजन में आयरन, फोलिक एसिड की कमी रहना
-पीरियड्स के दौरान अत्याधिक ब्लीडिंग होना
फैक्ट फाइल
50
लाख से ज्यादा बनारस जिले की जनसंख्या
22
लाख के करीब है विमेंस की जनसंख्या
50
फीसदी विमेंस में है खून की कमी
सरकार फीमेल्स की सेहत को लेकर जननी सुरक्षा, पीएमएमएसवाई जैसी योजनाओं से उन्हें देखभाल के लिए प्रोत्साहन राशि भी दे रही है। बावजूद ये सेहत पर ध्यान नहीं देतीं। डिलीवरी में तीन साल का गैप होना जरूरी है, लेकिन कुछ तो 6 माह के गैप होते ही प्रेग्नेंट हो जा रही हंै।
डॉ। रश्मि पाठक, गायनोलॉजिस्ट, पीएचसी नपरपतपुर
विमेंस में पोषण और खून की कमी न हो, इसके लिए शासन की तरफ से आयरन और कैल्सियम के पिल्स भी दिए जाते हैं, लेकिन वे इसका इस्तेमाल नहीं करतीं। जिसका नतीजा सबके सामने है। पीरियड्स के दौरान काफी ब्लड लॉस होता है। ऐसे में उन्हें ज्यादा से ज्यादा पोषण युक्त भोजन लेने की जरूरत होती है.
डॉ। नेहा सिंह, गायनोलॉजिस्ट