वाराणसी (ब्यूरो)। कभी कोरोना तो कभी रहस्यमयी बुखार तो फिर कभी वायरल संक्रमण जैसी बीमारियों को लोग पिछले तीन-चार साल से जूझ रहे हैं। इन सब के बीच अब एक ऐसी बीमारी भी सामने आ रही है जो सबसे ज्यादा महिलाओं को प्रभावित कर रही है। हम बात कर रहे हैं थायरायड की। एक उम्र के बाद होने वाली यह बीमारी अब जवां उम्र में भी महिलाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। बीपी, यूरिक एसिड के अलावा अब महिलाओं में थायराइड की समस्या अब काफी बड़े पैमाने पर देखने को मिल रही है। अस्पतालों में आने वाली करीब-करीब हर महिला में यह मर्ज देखने को मिल रहा है। इस बीमारी की वजह से महिलाओं में वजन बढऩा या अचानक कम होना, थकान और कमजोरी, कब्ज और नींद न आना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। एक्सपर्ट के अनुसार इस रोग के पीछे कई वजह है। अगर समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
मैरीड विमेन में सबसे ज्यादा समस्या
'हाइपरथायरायडिज्मÓ या 'हाइपोथायरायडिज्मÓ जिसे आसान भाषा में अक्सर लोग थायराइड की बीमारी कहते हैं। इसके पीछे एक हार्मोन होता है, जिसका उत्पादन हमारे गले में स्थित ग्रंथि से होता है। तितली के आकार की इस ग्रंथि को थायराइड ग्रंथि के नाम से जानते हैं। इस ग्रंथि से जब हार्मोन का उत्पादन ज्यादा या कम मात्रा में होने लगे तो इससे शरीर में कई तरह की समस्याएं होने लगती है। जैसे ज्यादा वजन बढऩा या फिर वजन कम होना। इस स्थिति को थायराइड कहा जाता है। पुरुषों की तुलना में यह महिलाओं में सबसे ज्यादा होता है। स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि थॉयराइड अब एक नार्मन बीमारी जैसी हो गई है। अगर कायदे से जांच हो जाएं तो 75 फीसदी मैरीड विमेन में इस यह बीमारी देखने को मिल जाएंगी। इनकी पहचान सबसे ज्यादा प्रेग्नेंसी चेकअप के दौरान हो रही है। राजकीय महिला चिकित्सालय से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिंग होम और मैटरनीटी सेंटर में जांच कराने के लिए आने वाली हर दूसरी व तीसरी महिला थॉयरायड से पीडि़त पाई जा रही है। गाइक्नोलॉजिस्ट का कहना है कि थॉयराइड की समस्या बढऩे के पीछे कई अलग-अलग वजहें हो सकती हैं। इसका ट्रीटमेंट आसान नहीं होता है।
थायराइड की वजह
महिलाओं में थायराइड के मामले ज्यादा होने को लेकर गाइक्नोलॉजिस्ट डॉ। नेहा सिंह का कहना है कि महिलाओं में एस्ट्रोजन नाम का हार्मोन पुरुषों की तुलना में ज्यादा होता है। बॉडी में प्रोजेस्टेरॉन (प्रजनन के लिए जरूरी) नाम का हार्मोन भी होता है। इन दोनों हार्मोन के असंतुलित होने पर या उतार-चढ़ाव होने की वजह से थायराइड के फंक्शन पर भी बुरा असर पड़ सकता है। जिसकी वजह से थायराइड की समस्या होती है। उनकी ओपीडी प्रेग्नेंसी चेकअप के लिए आने वाली महिलाओं के पहले ही चेकअप में यह क्लियर हो जाता है कि वे इस बीमारी से पीडि़त है या नहीं। जांच के बाद 10 में से 8 महिलाओं में यह समस्या देखने को मिल रही है।
थायराइड ज्यादा होने की वजह
महिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ। रश्मि पाठक का कहना है कि प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं और इसका असर थायराइड फंक्शन पर भी पड़ता है। यह वजह है कि कई महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड की समस्या देखने में आती है.
ये प्रोडक्ट्स भी बन सकता कारण
ब्यूटी को संवारने के लिए कई तरह के प्रोडक्ट इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनमें मौजूद केमिकल से आपके एंडोक्राइन सिस्टम (कई ग्रंथियों से मिलकर बना होता है जिससे हार्मोन बनते हैं) पर असर डाल सकते हैं, जिससे बॉडी में हार्मोन फंक्शन इंबैलेंस हो सकता है। इस वजह से महिलाओं की बॉडी में थायराइड बढऩे का भी डर रहता है.
थॉयरायड अब जवां उम्र में भी महिलाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। इनमें यह समस्या अब काफी बड़े पैमाने पर देखने को मिल रही है। अस्पताल में ंआने वाली करीब-करीब हर महिला इससे पीडि़त है। प्रेग्नेंसी चेकअप के दौरान सबसे ज्यादा यह बीमारी आईडेंटीफाई हो रही है। इस बीमारी की वजह से महिलाओं में वजन बढऩा या अचानक कम होना, थकान और कमजोरी, कब्ज और नींद न आना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। लेकिन समय पर ट्रीटमेंट शुरू होने पर इसे कंट्रोल भी किया जा सकता है.
डॉ। नेहा सिंह, गाइक्नोलॉजिस्ट, स्वास्तिक हॉस्पिटल