वाराणसी (ब्यूरो)। शहर में हवा में लटकते तारों के जंजाल को हटाने और जर्जर तारों की बदलने की पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कस्टमर केयर कंट्रोल रूम में प्रतिमाह एक हजार शिकायतें पहुंची हैं, लेकिन कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो समाधान कहीं भी नहीं हो रहा। झूलते तारों के नीचे हर पल सिर पर मौत मंडराती है, लेकिन जिम्मेदारों को हादसों का इंतजार है.
केस-1
काशी विद्यापीठ एरिया राजेश सोनकर ने 4 माह पूर्व 1912 पर कॉल कर शिकायत की थी कि उनके एरिया में अभी भी हाईटेंशन के तार घर के बाहर लटक रहे हैं। इस मार्ग से डेली हजारों लोगों का आना जाना होता है। कभी भी हादसा हो सकता है, लेकिन समाधान अब तक नहीं हुआ।
केस 2
सिद्वगिरीबाग निवासी बाबूलाल ने 25 जनवरी को 1912 पर कॉल कर उनके क्षेत्र में जा रहे जर्जर तार को बदलकर केबल वायर लगाने की कंप्लेन दर्ज कराई थी। क्योंकि तार काफी नीचे से जाने के साथ जर्जर होने से खराबी आती रहती है। इससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
ये तो सिर्फ दो कंप्लेन हंै। हर महीने सेफ इलेक्ट्रिफिकेशन के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने का दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत दावों को खोखला साबित कर रही है।
नहीं चेत रहा पीवीवीएनएल
पिछले दिनों गाजीपुर में लटकते बिजली के तार के चलते हुए हादसे के बाद भी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम अभी नहीं चेता है। भले ही पुरानी काशी क्षेत्र में आईपीडीएस योजना के तहत 487 करोड़ की लागत से हवा में लटकते तारों के जंजाल को अंडर ग्राउंड कर दिया गया हो, मगर शहर के बाकी हिस्सों में लटकते तार लोगों की जान के दुश्मन बने हैं।
इन एरिया में ज्यादा संभलकर
लक्सा में पोल पर हाईटेंशन के तार लटक रहे हंै। अगर बारिश हो जाए तो पोल में कभी भी करंट उतर सकता है। यह पूरा टूरिस्ट एरिया है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ रोड पर बन रहे रोप-वे स्टेशन के पास भी हवा हाईटेंशन के तार झूल रहे हैं। ऐसी ही हालत मलदहिया क्षेत्र की भी है।
संकट में सिद्धगिरी बाग
सिद्धगिरी बाग क्षेत्र में भी हवा में बिजली के तार लटक रहे हैं। इस एरिया से करीब 200 मीटर की दूरी स्थित सिगरा रोड पर भी लोगों के घर और दुकान के बाहर बिजली के तार लटक रहे हैं। इसी तरह साजन चौराहा स्थित काशी विद्यापीठ रोड पर भी हाइटेंशन के तारों का झुंड लटक रहा है। यहां तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। नेवादा, चितईपुर, सुंदरपुर में भी घरों के ऊपर से हाइटेंशन तार गुजर रहे हैं।
कमिश्नर भी दे चुके हैं निर्देश
बिजली के जर्जर तारों को लेकर दिसंबर में ही कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया था कि सड़कों पर बाधक विद्युत तथा अन्य पोलों तथा उन पर लटकते तार व्यवस्थित किए जाएं। उन्होंने ये भी कहा था कि कहीं भी बांस बल्ली के सहारे विद्युत तार नहीं होने चाहिए। समुचित कार्य योजना बनाकर इसका समाधान किया जाए। लेकिन बिजली निगम की ओर से अब भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.
पुरानी काशी क्षेत्र के अलावा सारनाथ और पहडिय़ा क्षेत्र में आईपीडीएस वर्क के तहत लटकते तारों के जंजाल को खत्म कर दिया गया है। अब सभी क्षेत्रों में जाने वारी लाइन को चेंज कर केबल वायर लगाए जा रहे हैं। जल्द ही कहीं भी खुले तार नजर नहीं आएंगे.
अनिल जायसवाल, चीफ इंजीनियर, पीवीवीएनएल
बनारस भले ही स्मार्ट बन रहा है, लेकिन बिजली व्यवस्था अभी भी भगवान भरोसे है। क्षेत्र में अभी पुराने और जर्जर तारों का जंजाल फैला हुआ है, जिससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है। कई बार शिकायत के बाद भी सुनाई नहीं हुई।
शशांक साहू, हरतीरथ
कॉलोनी के बाहर रोड पर पोल के सहारे ओवरहेड तार इतने नीचे से जा रहे हैं कि ऐसा लगता कि कभी भी गिर सकते है। हमेशा मन में यह डर बना रहता है।
ऋचा गुप्ता, चितईपुर
इन नंबरों पर करें कंप्लेन
1912 टोल फ्री नंबर
9450963543
9450963568
कुछ इस तरह आईं कंप्लेन
15000 कॉल एक माह में विद्युतीकरण और बिजली आपूर्ति से जुड़ी
3000 कंप्लेन तीन माह में ट्रांसफॉर्मर, पोल और झूलते तारों से जुड़ी हुई आईं