वाराणसी (ब्यूरो)महा मूर्ख सम्मेलन, ठलुआ सम्मेलन, उलूक महोत्सव के बाद भयंकर दंत निपोर महासम्मेलन हास्य में शुमार हैकाशी के बुद्धिजीवी हों या फिर खाटी बनारसी, सभी ठहाके लगाने के लिए इस सम्मेलन में शामिल होते हैंहो भी न क्यों, आज के जमाने में भागदौड़ के जीवन से ठहाका गायब हो चुका हैहर आदमी आज हंसना भूल गया हैदंत निपोर जैसे महासम्मेलन ही है काशी के हास्य को जीवित कर रखे हैंअगर इसे आगे भी जीवित रखना है तो शहर में हास्य भवन बनना जरूरी हैअपने इस मांग को लेकर भयंकर दंत निपोर के पदाधिकारी सरकार से मांग कर रहे हैं.

2000 में दंत निपोर की स्थापना

सन 2000 में काशी की मस्त जीवन मेें और मस्ती घोलने के लिए भयंकर दंत निपोर की नींव रखी गयीभागमभाग की जिंदगी में अधिक धन कमाने के चक्कर में लोग हंसना भूलकर रोगग्रस्त हो रहे हैं, ऐसे मे लोकतंत्र सेनानी स्वपं संकठा प्रसाद पांडेय ने होलियाना माहौल में हंसना हंसाना कितना जरूरी है, इस संदेश को आंदोलन बनाने की नियत से अंतरराष्ट्रीय दंत निपोर महा संघ की स्थापना की

काशी में महा मूर्ख सम्मेलन, ठलुआ सम्मेलन, उलूक महोत्सव जैसे कार्यक्रम हर साल निमित्त आयोजित होते हंैदंत निपोर महासम्मेलन के पदाधिकारी बताते हैं कि हंसना प्रकृति प्रदत्त सिर्फ मनुष्य को मिला गिफ्ट है जो समाज को बिना दवा चिकित्सा के स्वास्थ्यकारी सिद्ध हो सकता हैअत: काशी कला साहित्य संस्कृति की राजधानी है इसलिए यहा एक लाफ्टर हाऊस मतलब हास्य भवन बनाकर दुनियाभर को एक नया संदेश दे सके हैंहम सभी महासंघ के लोग भारत के प्रधान मंत्री से अपेक्षा करते है कि इस विचार कर अवश्य कदम उठाएं.

हास्य भवन के लिए दो एकड़ जमीन

जीवन में हंसने और हंसाने के लिए हास्य भवन होना जरूरी हैंइसके लिए कही भी दो एकड़ जमीन मिल जाए तो हास्य भवन बनकर तैयार हो सकता हैंइसके लिए सरकार को आगे आना होगासरकार ने शहर में सभी के लिए कुछ न कुछ किया हैंऐसे में हास्य भवन के लिए भी सोचना चाहिएइससे लोगों को ही फायदा होगा.

बजट के अभाव में चली गई जमीन

भयंकर दंत निपोर महासम्मेलन एवं शिव मेला के अध्यक्ष नामवर राय ने बताया कि एक दशक पहने पंचक्रोशी क्षेत्र में जमीन मिल रही थी लेकिन भवन बनाने के लिए किसी के पास कोई बजट नहीं थाइसके बाद वह भी जमीन चली गयी

हास्य भवन को मिले पांच करोड़

आयोजक सुनील कुमार पांडेय का कहना है कि हास्य भवन के निर्माण में करीब पांच करोड़ का खर्च आएगाअगर सरकार शहर में हास्य भवन बनाव दे तो जितने भी ठहाका लगाने वाले लोग उनको काफी सहूलियत होगीएक छत के नीचे हास्य से संबंधित सभी कार्यक्रम होंगेसिफ हंसन के लिए लोग यहां आएंगे और प्रोग्राम देखने के बाद वापस चले जाएंगे

शहर में हंसने वालों की कमी

शहर में हंसने वालों की कमी नहीं हैे बशते वह अपने भागदौड़ की जीवन में हंसना भूल गए हैंऐसे लोग जब हास्य भवन में आएंगे उनके लाइफ में काफी सुधार आएगाबीमारी दूर भागेंगी और लोग स्वस्थ्य होंगे.