वाराणसी (ब्यूरो)। एमएसएमई सेक्टर में 70 से ज्यादा ऑटोमेटिक प्लांट एवं 200 से ज्यादा सेमी ऑटोमेटिक प्लांट बनारस में चल रहे हैं। इनसे लगभग 50 हजार परिवारों का भरण पोषण होता है। लेकिन वर्तमान समय में कारुगेटेड बॉक्स उद्योग अपने मुख्य कच्चे माल क्राफ्ट पेपर एवं डुप्लेक्स बोर्ड के मूल्यों में अप्रत्याशित वृद्धि से कराह रहा है। एक हफ्ते के अंदर कच्चे माल की कीमतों में 25 प्रतिशत के उछाल ने इस इंडस्ट्री को संकट में डाल दिया है। इस सेक्टर से जुड़े उद्यमियों ने मूल्य वापस करने के लिए पेपर मिलों को 15 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया है। इसके बाद पैकेजिंग उद्योग को बंद करने के लिए बाध्य होंगे.
कम नहीं हो रही समस्याएं
गवर्नमेंट की तमाम स्कीम के बावजूद भी इंडस्ट्रीज की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सिटी में पैकेजिंग इंडस्ट्री 250 के ऊपर है। इन दिनों इस इंडस्ट्री की हालत काफी खराब चल रही है। उद्यमियों के अनुसार कच्चे माल की बढ़ती कीमत इसके लिए जिम्मेदार है। उनका कहना है कि एक हफ्ते के अंदर कारूगेटेड बाक्स के कच्चे माल की कीमतों में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी पेपर मिलों ने कर दी है.
उद्योग की तोड़ी कमर
उत्तर प्रदेश कारुगेटेड बॉक्स मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन वाराणसी के उपाध्यक्ष राजेश भाटिया ने बताया कि क्राफ्ट पेपर एवं डुप्लेक्स बोर्ड के मूल्यों में तेजी यूं तो विगत दो वर्षों से लगातार हो रही है, लेकिन इधर बीच एक हफ्ते में कच्चे माल के मूल्यों में 25 परसेंट से ज्यादा की जबरदस्त बढ़ोत्तरी ने इस उद्योग की कमर ही तोड़ दी है.
बंद होगी 70 परसेंट इंडस्ट्री
इस सेक्टर से जुड़े उद्यमियों का कहना है कि अगर दाम में कमी नहीं की गयी तो 70 परसेंट इंडस्ट्री बंदी के कगार पर पहुंच जाएंगे। कच्चा माल के अलावा इसमें उपयोग होने वाले स्टार्च, गर्म पाउडर एवं जी आई स्टीचिंग वायर आदि के मूल्य भी अपने उच्चतम स्तर पर है.
250 इकाइयां
अध्यक्ष सादीक का कहना है कि सूक्ष्म एवं लघु उद्योग की श्रेणी में आने वाला इस ईकोफ्रेंडली उद्योग की पूर्वांचल में लगभग 250 इकाइयां है। इन इकाइयों से प्रतिमाह 10000 टन से ज्यादा क्राफ्ट पेपर एवं लगभग 15000 टन डुप्लेक्स बोर्ड के उपयोग से गत्ता निर्माण किया जाता है। इन इकाइयों के माध्यम से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 50000 परिवारों का भरण पोषण कर प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया के सपनों को साकार करने में जुटा है.
पेपर मिलों की मनमानी
एसोसिएशन के सचिव महिपाल गुप्ता कहना है कि पेपर मिलों की मनमानी एवं सरकार के गलत निर्णयों के कारण आज यह गत्ता उद्योग वेंटिलेटर पर आखिरी सांसे गिन रहा है। लगभग आधी से अधिक इकाइयां बंदी के कगार पर है। उद्योग के मालिक एवं कामगार दोनों के समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सभी उद्यमियों ने पेपर मिलों को 15 फरवरी तक अल्टीमेटम दिया है। इसके बाद अगर दाम नहीं कम किया गया तो सभी उद्यमी इंडस्ट्री बंद कर हड़ताल पर चले जाएंगे।
प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार मिलकर पेपर उद्योग पर शीघ्र पालिसी बनाकर पेपर मिलों के कार्टेल पर नकेल कसे जिससे गत्ता उद्योग को बचाया जा सके.
मो। सादिक, अध्यक्ष, उप्र कारूगेटेरू बॉक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन
क्राफ्ट पेपर और डुप्लेक्स पेपर बोर्ड के मूल्यों को घटाया नहीं गया तो सभी उद्यमी इंडस्ट्री बंदकर हड़ताल करेंगे। इस इंडस्ट्री पर संकट गहराता जा रहा है.
राजेश भाटिया, उपाध्यक्ष, उप्र कारूगेटेरू बॉक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन
पेपर मिलों को 15 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया गया है। जब मन हो रहा तभी दाम बढ़ा दे रहे है। इससे कारोबार करना मुश्किल हो गया है.
महिपाल गुप्ता, सचिव, उप्र कारूगेटेरू बॉक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन
पैकेजिंग उद्योग अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस उद्योग पर संकट आने से सभी अन्य उद्योगों का उत्पादन प्रभावित होता है। पेपर मिलों द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के दाम बढ़ा दिया गया.
राजेश जायसवाल, कोषाध्यक्ष, उप्र कारूगेटेड बॉक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन