वाराणसी (ब्यूरो)। ज्ञानवापी से जुड़े आठ मुकदमे एक साथ जिला जज की अदालत में सुने जाएंगे। शृंगार गौरी मुकदमे की चार वादी महिलाओं मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी, सीता साहू के प्रार्थना पत्र पर जिला जज डा। अजय कृष्ण विश्वेश ने मंगलवार को यह आदेश दिया। आदेश में उन्होंने कहा कि जिन मुकदमों को एक साथ सुनने की मांग की गई है, वे सिविल जज (सीनियर डिवीजन) और सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट में लंबित थे। सभी मुकदमे एक ही प्रकृति के हैं। अलग-अलग अदालतों में सुनवाई पर विरोधाभासी आदेश आ सकते हैं। इसलिए इन सभी की सुनवाई एक साथ की जानी चाहिए। इनमें राखी ङ्क्षसह समेत पांच वादी महिलाओं की ओर से दाखिल शृंगार गौरी का मुकदमा प्रमुख है.
ये मामले एक साथ सुने जाएंगे
- राखी ङ्क्षसह समेत पांच महिलाओं की ओर से 18 अगस्त, 2021 को दाखिल प्रार्थना पत्र। इसमें ज्ञानवापी परिसर में मौजूद मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन समेत अन्य मांग की गई है।
- सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री व अन्य की ओर से 18 फरवरी, 2021 को दाखिल प्रार्थना पत्र में काशी विश्वनाथ मंदिर का मूल स्थान, भगवान आदि विश्वेश्वर और शृंगार गौरी की अनवरत सेवा-पूजा का अधिकार बहाल किए जाने की मांग
- 19 मार्च, 2019 को दाखिल महाराष्ट्र निवासी सुरेश चह्वाण के प्रार्थना पत्र में आदि विश्वेश्वर नाथ को आराध्य बताते हुए उनकी पूजा का अधिकार देने की मांग है।
- शीतला माता मंदिर के महंत पं। शिव प्रसाद पांडेय व अन्य की ओर से 14 सितंबर, 2021 को दाखिल वाद। इसमें ज्योर्तिङ्क्षलग भगवान आदि विश्वेश्वर का पूजा-पाठ और बाबा विश्वनाथ को ज्ञानवापी का स्वामित्व देने के अधिकार की मांग है।
- दशाश्वमेध के मीर घाट निवासी सितेंद्र चौधरी एवं अन्य ने नंदी जी महाराज का वादमित्र बताते हुए 14 सितंबर, 2021 को वाद दायर किया। इसमें ज्ञानवापी परिसर में पूजा-पाठ करने का अधिकार देने की मांग है।
- लखनऊ निवासी सत्यम त्रिपाठी, पवन पाठक आदि की ओर से दो मार्च, 2021 को दाखिल प्रार्थना पत्र। विश्वेश्वर नाथ एवं अन्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन का अधिकार देने की मांग।
- भगवान आदि विश्वेश्वर की ओर से विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरन ङ्क्षसह व अन्य द्वारा 24 मई, 2022 को दाखिल प्रार्थना पत्र। ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवङ्क्षलग के पूजा-पाठ का अधिकार देने समेत अन्य मांग की गई है।
- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा 22 जुलाई, 2022 को दाखिल प्रार्थना पत्र में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवङ्क्षलग के पूजा-पाठ, रागभोग समेत अन्य धार्मिक कार्य का अधिकार देने की मांग है।
एक अदालत में सुनवाई होने से निचली अदालत का समय बचेगा। मुकदमों की कार्यवाही में सहूलियत होगी और कोई विरोधाभासी प्रार्थना पत्र पड़ता है तो उसका समय से निस्तारण हो सकेगा। सभी मुकदमों का उद्देश्य एक जैसा है, इसलिए सुनवाई एक साथ होनी चाहिए थी.
सुधीर त्रिपाठी, वकील, वादी पक्ष
अदालत के आदेश में यह तो बताया गया है कि सभी मुकदमों की प्रकृति एक जैसी है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि एक जैसी कैसे है? राखी ङ्क्षसह के मुकदमे को प्रमुख बताया गया है तो अन्य मुकदमों में बाधा उत्पन्न होगी। इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे.
शिवम गौड़, किरन ङ्क्षसह के वकील