वाराणसी (ब्यूरो)। रसिया और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से करोड़ों के झटके से अभी यहां के एक्सपोर्टर्स उबर नहीं पाए थे कि इजरायल और हमास के बीच शुरू हुई लड़ाई ने सभी के माथे पर सिकन ला दिया है। इस युद्ध से वाराणसी मंडल के एक्सपोर्ट सेक्टर की इकॉनमी को तगड़ा झटका लगा है। इस कारण करीब 100 करोड़ का आर्डर डंप पड़ गया। अगर यह युद्ध लंबा चला तो आगे और नुकसान हो सकता है। फिलहाल एक्सपोर्टरों ने माल भेजना बंद कर दिया है। इन कंट्रियों से जो आर्डर मिले थे, वह भी कैंसिल हो गया है.
बड़ा मार्केट है इजरायल
फिलहाल एक्सपोर्टरों का कहना है कि वाराणसी मंडल भदोही कालीन का सबसे बड़ा बेल्ट है। इसके अलावा वाराणसी रेशम वस्त्रों के अलावा रेशमी साड़ी का हब है। यहां से इजरायल में बल्क में कालीन और वस्त्र का एक्सपोर्ट होता है। बल्क में आर्डर मिलते हैैं। यूक्रेन और रसिया युद्ध से काफी नुकसान हुआ है। इन कंट्रियों से अभी तक सीधे आर्डर नहीं मिल रहा है।
रेशमी पर्दा का अधिक एक्सपोर्ट
एक्सपोर्टर्स का कहना है कि वाराणसी रेशमी वस्त्रों में सबसे अधिक इजरायल में रेशमी पर्दा का एक्सपोर्ट होता है। इनमें एक से एक डिजाइन के पर्दे को पसंद किया जाता है। इसके अलावा वाल हैंगिंग और दरी को भी एक्सपोर्ट किया जाता है। इजरायल कंट्री इन प्रोडक्ट का बड़ा खरीदार है। आर्डर मिलने पर यहां के एक्सपोर्टर मन के मुताबिक डिजाइन तैयार कर प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट करते हैं.
जुलाई में मिला था आर्डर
एक्सपोर्टर दीनानाथ बरनवाल का कहना है कि इजरायल से जुलाई में करोड़ों रुपए के आर्डर मिले थे। इन आर्डर को तैयार कर लिया गया है। अक्टूबर के एंड में तैयार माल को भेजना था, लेकिन ऐन मौके पर शुरू हुए युद्ध ने कारोबार पर पानी फेर दिया है। करोड़ों का नुकसान हुआ है। इस सेक्टर से जुड़े 50 एक्सपोर्टर हैैं, जो रेशमी पर्दा, दरी और बनारसी साड़ी का एक्सपोर्ट करते हैं.
यूक्रेन और रसिया युद्ध से पड़ा इफेक्ट
एक साल पहले यूक्रेन और रसिया के बीच युद्ध शुरू हुआ था। इसके बाद आर्डर मिलना जो बंद हुआ, आज तक नहीं मिला। इन कंट्रियों की स्थिति सुधरने का एक्सपोर्टर इंतजार कर रहे हैैं। रसिया और यूक्रेन में भी बल्क में कालीन, दरी और रेशमी स्कार्फ वगैरह को एक्सपोर्ट किया जाता है।
कालीन के आर्डर डंप
एक्सपोर्टरों की मानें तो अभी लड़ाई की शुरुआत हुई है। इसका असर यहां के कारोबार पर पड़ रहा है। भदोही और मिर्जापुर से कालीन एक्सपोर्टरों को 50 करोड़ का कालीन तैयार करने को आर्डर मिला था, वह भी कैंसिल कर दिया गया है। इसके चलते एक्सपोर्टर डरे हुए हंै। लगातार नुकसान होने से कई एक्सपोर्टर सदमे में चले गए हैं। एक्सपोर्टरों को डर है कि युद्ध लंबा चला तो सप्लाई चेन प्रभावित होगा। साथ ही मिले हुए ऑर्डर का माल भी डिलीवर नही हो पाएगा। इससे कच्चे माल में लगाई गई रकम भी फंस गई है। वही नए ऑर्डर भी नहीं मिलेंगे।
यूपीया एक्स्पो में नहीं पहुंचे बायर
चौंकाने वाली बात यह है कि एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली में पांच दिवसीय एक्स्पो का आयोजन पूर्वांचल निर्यातक संघ ने किया है। इस एक्सपो में एक भी विदेशी बायर नहीं पहुंचे। इसको लेकर पूर्वांचल के एक्सपोर्टर काफी चिंतित हैं। एक्स्पो में 40 स्टाल पूर्वांचल के निर्यातकों ने लगाया है.
यूक्रेन और रसिया युद्ध के बाद इजरायल और हमास के बीच शुरू हुए युद्ध से एक्सपोर्ट काफी प्रभावित हो रहा है। इंडस्ट्री को करोड़ों का नुकसान हुआ है.
अमिताभ, पूर्व अध्यक्ष, पूर्वांचल निर्यातक संघ
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ही पूरे विश्व में मंदी जैसे हालात हैं। अमेरिका में पहले से ही महंगाई है। इसका असर यह है कि उत्पादों की मांग कम हो गई है।
राजेश सिंह, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती
वित्तीय वर्ष 2023 में लगभग 8.4 बिलियन डॉलर का निर्यात देश से किया गया है जबकि 2.3 बिलियन डॉलर का आयात किया गया है। युद्ध आगे बढ़ा तो जो थोड़ा बहुत एक्सपोर्ट हो रहा है वह भी ठप हो जाएगा.
सर्वेश श्रीवास्तव, साड़ी एक्सपोर्टर
लड़ाई लंबी चली तो पूरे मिडिल ईस्ट में सप्लाई चेन प्रभावित होगा। पूर्वांचल से लगभग 100 करोड़ रुपए का निर्यात होता है जिसमें कारपेट, दरी, बाल हैंगिंग, पर्दे का एक्सपोर्ट ठप हो जाएगा.
दीना नाथ बरनवाल, एक्सपोर्टर
एक कंट्री से दूसरे कंट्री में यूद्ध होगा तो इसका इफेक्ट मार्केट पर पड़ेगा। एक्सपोर्ट प्रभावित होगा। भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी से काफी प्रोडक्ट इन देशों में एक्सपोर्ट होता है.
संजय कुमार, अधिशासी निदेशक, कालीन निर्यात संवर्धन परिषद