वाराणसी (ब्यूरो)सरकारी अस्पतालों में मरीजों की फजीहत कम होने का नाम नहीं ले रही हैकभी सिटी स्कैन मशीन खराब होती है तो कभी इंडोस्कोपी ही नहीं चलती हैइसका खामियाजा दूर-दराज से आए मरीजों को भुगतना पड़ रहा हैसुबह आठ बजे ही बिना खाए-पीए इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे मरीजों की दुर्दशा देखने लायक रहती हैकोई जमीन पर लेटा रहता है तो कोई टेबल पर एक कोने में बैठा रहता हैजब ओपीडी में डाक्टर के दिखाने के बाद जांच की बारी आती है तो मशीनें खराब मिलती हंैयह हालात है पंदीनदयाल राजकीय अस्तपाल के जहां पिछले एक साल से इको और इंडोस्कोपी की मशीनें बंद पड़ी हैंअब अल्ट्रासाउंड की मशीन खराब हो गयी हैयह कहकर सभी मरीजों को मंगलवार को वापस कर दिया गयाकई मरीज तो बाहर जाकर अल्ट्रासाउंड कराए तो कई कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल मेंफिलहाल अस्पताल में इस लाइलाज बीमारी का कोई इलाज नजर नहीं आ रहा हैलिहाजा इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है

दो दिन बंद रहती है मशीन

पंदीनदयाल अस्पताल में मंगलवार और गुरुवार को मरीज अल्ट्रासाउंड कराने न जाए, क्योंकि इस दिन मशीनें बंद रहती हंैअल्ट्रासाउंड करने वाले डाक्टर की डयूटी ग्रामीण क्षेत्र में लगा दी जाती हैडाक्टरों की संख्या कम होने की वजह से अल्ट्रासाउंड मशीन को बंद कर दिया जाता हैइसके पहले करीब चार से पांच दिन तक अल्ट्रासाउंड की मशीनें खराब थी, दो दिन पहले की ठीक किया गयाइसके चलते पेडेंसी बढ़ गयी थी.

मरीजों को भेज दिया जाता कबीरचौरा

अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्था से हर मरीज परेशान हैफिलहाल मरीजों का कहना था कि मंगलवार और गुरुवार को जब अल्ट्रासाउंड नहीं होता है तो यह सूचना बाहर चस्पा कर देना चाहिए था, लेकिन अस्पताल के स्टाफ यह कहकर वापस कर देते है कि मशीनें खराब है जाओ कबीरचौरा से अल्ट्रासाउंड करवा लोइससे मरीज को दिक्कत होती हैबाहर से अल्ट्रासाउंड कराने को मजबूर होते है.

बंद पड़ी हैं मशीनें

पंदीनदयाल अस्पताल में सिर्फ नाम की इंडोस्कोपी और इको मशीन लगायी हैजब से यह मशीन लगी है, तभी से बंद पड़ी हैमरीजों को यह बता दिया गया है कि यहां सभी तरह के इलाज होते हंैइसलिए मरीज जब डाक्टर को ओपीडी में दिखाने के बाद जांच के लिए पहुंचते हंै तो इको और इंडोस्कोपी मशीन बंद मिलती हैइसके चलते मरीजों को भारी फजीहत झेलनी पड़ती है.

जांच के लिए डाक्टर ही नहीं

अस्पताल में सिर्फ शोपीस के लिए इको और इंडोस्कोपी मशीन लगाया है जबकि इसे आपरेट करने के लिए डाक्टर ही नही हैअस्पताल प्रबंधन ने बीएचयू के डाक्टर से अस्पताल के कुछ लोगों को मशीन चलाने के लिए प्रशिक्षण देने की बात कही थी, लेकिन बीएचयू ने साफ मना कर दिया कि यहां पर कोई भी खाली नहीं हैलिहाजा मशीन ऑपरेट करने वाला स्टाफ न होने की वजह से मशीनें पिछले एक साल से बंद पड़ी है.

कॉर्डियोलॉजिस्ट ही चला सकता मशीन

अस्पताल के डाक्टरों का कहना है कि इको मशीन सिर्फ कार्डियोलाजिस्ट डाक्टर ही चला सकता हैइंडोस्कोपी मशीन भी इसके विशेषज्ञ ही चला सकते हैहर किसी को मशीन चलाना आसान नहीं है इसलिए मशीन को बंद करके रखा गया हैमरीज समझते कि मशीन खराब है.

इको और इंडोस्कोपी मशीन चलाने के लिए डाक्टर ही नहीं हैइसलिए मरीजों को वापस कर दिया जाता हैअल्ट्रासाउंड विभाग में भी मंगलवार और गुरुवार को डाक्टर की डयूटी कहीं और रहती है, इसलिए दिक्कत होती है.

-डाआरके सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी