वाराणसी (ब्यूरो)पिछले हफ्ते कानपुर में स्कूली बच्चों से भरे ई-रिक्शा को तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी, जिससे एक मासूम की जान चली गई और तीन जख्मी हो गएयूपी में यह कोई पहला हादसा नहीं थाइससे पहले बनारस, हाथरस, नोएडा, सहारनपुर, गढ़मुक्तेश्वर समेत कई शहरों में ई-रिक्शा दुर्घटनाग्रस्त होने से मासूमों पर कहर टूट चुका हैदर्दनाक हादसों के बावजूद शहर में ई-रिक्शा बेरोकटोक स्कूली बच्चों को ढो रहे हैंगंभीर सवाल ये उठता है कि परिवहन विभाग स्कूल के अन्य वाहनों की जांच करता है मगर ई-रिक्शा की जांच नहीं होतीवैसे भी ई-रिक्शा स्कूली बच्चों के लिए अलाउड नहीं हैं, फिर भी संबंधित विभाग आंखें बंद किेए रहते हैं

12 सीटर से ऊपर वाले वाहन ही मान्य

वाराणसी परिवहन विभाग ने 12 सीटर से ऊपर वाले वाहनों से ही बच्चों को घर से स्कूल लाने-ले जाने अनुमति दी हैबावजूद इसके शहर की सड़कों पर स्कूली बच्चों को ढोने वाले वाहनों की भरमार हैइसमें ई-रिक्शा सबसे खतरनाक साधन हैअपने अभियान के तहत सोमवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने पड़ताल की तो बेहद चौंकाने वाली तस्वीर सामने आईस्कूल पहुंचने वाला हर पांचवां व्हीकल ई-रिक्शा ही मिलाघर से स्कूल तक बेधड़क, बेखौफ होकर ये ई-रिक्शा आते-जाते दिखेअधिकतर ई-रिक्शा की स्टेयरिंग अनाड़ी और नाबालिगों के हाथों में दिखी-रिक्शा पर बच्चे धमाचौकड़ी करते दिखेकई बार ऐसा लगा कि कहीं ये बच्चे ई-रिक्शा से गिर न जाएं.

पीछे फुल तो आगे भी बच्चे

-रिक्शा में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाना उनकी जिंदगी से खिलवाड़ है-रिक्शा पूरी तरह कवर्ड नहीं होते, जिससे उसमें सवार बच्चों के गिरने की आशंका रहती हैआठ सवारियों वाले रिक्शे में 10 से 12 बच्चे बैठाकर सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा हैपीछे की सीटों पर छह सवारियों को बैठाने के बजाय आठ-आठ बच्चे बैठाए जाते हैंकुछ ई-रिक्शों पर सीटों पर बैठाने के साथ ही बच्चों को खड़ा भी कर दिया जाता हैइसके अलावा चालक के साथ भी दो बच्चे बैठे हुए देखे जा सकते हैंदो बच्चे बैठे होने के कारण चालक को हैंडल मोडऩे तक में दिक्कत आती हैअधिक बच्चे होने के कारण ई-रिक्शों के पलटने की आशंका बनी रहती है.

-रिक्शा हटाने की योजना ठंडे बस्ते में

पिछले साल तय हुआ था कि शहर के ट्रैफिक को स्मूद बनाने के लिए शहर के मुख्य मार्गों ई-रिक्शा हटाए जाएंगेइन्हें हटाने से पहले इनके लिए एक रूट भी निर्धारित किया जाएगाप्रमुख सचिव परिवहन व आयु1त की ओर से डीएम को जारी पत्र में सर्वे कराकर फीडर रूट तय करने के निर्देश दिए गए थेमगर इस पर कोई काम नहीं हो सकाशहर के मुख्य मार्गों से लेकर गलियों तक में ई-रिक्शा का जाल फैला हुआ हैशहर में ई-रिक्शा की तादाद 20 हजार को पार कर चुकी हैजब ई-रिक्शा के लिए लाइसेंस और परमिट बांटे जा रहे थे, तब 6,500 से 7,000 हजार की संख्या की योजना बनाई गई थीमगर देखते ही देखते ई-रिक्शा की बाढ़ आ गई.

लाइव: मंडुवाडीह, समय: सुबह 7 बजे

मंडुवाडीह से मढ़ौली और लहरतारा तक तमाम बड़े स्कूल हैंइन सभी स्कूलों में ई-रिक्शा से बच्चे आ रहे थेकई ई-रिक्शा पर बच्चों के साथ पैरेंट्स भी दिखे, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम थीसमय से पहले स्कूल पहुंचने की होड़ में कई ई-रिक्शा वाले तो बहुत ही स्पीड से भागते दिखेज्यादातर ई-रिक्शा ओवरलोडेड थे.

लाइव: मढ़ौली, समय: सुबह 11 बजे

गर्मी के चलते इस समय अधिकतर स्कूलों का टाइम सुबह सात से 11.30 बजे तक हैइसी बीच टीम सुबह करीब 11 बजे मढ़ौली पहुंचीइसी समय एक नामी स्कूल में छोटी क्लास के बच्चों की छुट्टी हुई थीबड़ी संख्या में छोटे बच्चे ई-रिक्शा से घर जाते हुए दिखेकिसी भी ई-रिक्शा में बच्चों की सेफ्टी के इंतजाम नहीं थेकुछ ई-रिक्शा पर बच्चों के साथ पैरेंट्स भी दिखे

लाइव: लंका, समय: सुबह 11.30 बजे

मढ़ौली के बाद टीम लंका पहुंचीजहां भी ई-रिक्शा से स्कूली बच्चे सफर करते दिखेलंका से सामनेघाट व सुंदरपुर तक कई निजी स्कूल हैंइन मार्ग पर स्कूलों के बच्चे ई-रिक्शा से घर जाते दिखेइन रोड पर भी किसी भी ई-रिक्शा पर बच्चों की सेफ्टी नजर नहीं आईनरिया के पास ई-रिक्शा पर कुछ बच्चे आपस में खेलते हुए भी दिखे

लाइव: मैदागिन, समय: दोपहर 12 बजे

टीम जब मैदागिन पहुंची तो कई बच्चे ई-रिक्शा से घर जाते दिखेकई बच्चे तो ड्राइवर के पास वाली सीट के दोनों तरफ बैठकर सफर कर रहे थे, जबकि समान्य सवारी को भी ड्राइवर अपने बगल में नहीं बैठा सकतामौके पर ट्रैफिक पुलिस भी थी, लेकिन ई-रिक्शा वालों को किसी ने टोका नहींमैदागिन चौराहे से लगातार बच्चों को लेकर ई-रिक्शा जा रहे थे

-रिक्शा से बच्चों को घर से स्कूल ले जाना गलत हैसिर्फ 12 सीटर से ऊपर वाले वाहनों में स्कूली बच्चों को बैठने की अनुमति हैपुलिस की मदद से सड़कों पर दौड़ रहे इलीगल वाहनों के खिलाफ जल्द अभियान चलाया जाएगा.

-सर्वेश चतुर्वेदी, एआरटीओ