वाराणसी (ब्यूरो)। पिछली स्व'छता रैंकिंग में सिटी 29वें स्थान पर रहा। शहर को स्व'छ बनाने के लिए स्मार्ट सिटी के तहत शहर भर में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन रिजल्ट खराब ही है। वजह कहीं भी कचरा फेंकने के लिए डस्टबिन नहीं हैं। कोरोना काल के पहले सिटी में 1320 प्लास्टिक के डस्टबिन लगवाए गए थे, लेकिन अब इन स्थानों पर एक भी डस्टबिन देखने को नहीं मिल रहा.
केस 1
दो दिन पहले लक्सा क्षेत्र के रोहित वर्मा ने नगर निगम के कमांड सेंटर में कूड़ा न उठने की शिकायत की। उन्होंने कहा कि यहां संडे के दिन न तो सफाई की गई और न ही कूड़े का उठान हुआ। इससे यहां काफी गंदगी फैली है। इस एरिया में कई सारे डस्टबिन लगाए गए थे, लेकिन सभी गायब हैं। इस एरिया का कचरा सड़क किनारे पड़ा रहता है.
केस 2
गोदौलिया एरिया के दुकानदार प्रशांत शुक्ला ने कमांड सेंटर के 1533 पर कॉल कर कंप्लेन दर्ज कराई कि इस मार्ग से काफी संख्या में टूरिस्ट का आना जाना होता है, लेकिन एक भी डस्टबिन न होने से यात्री जहां-तहां कचरा फेंक रहे हैं। क्षेत्र में स्टैंड पर दो हैंगिंग डस्टबिन लगाए गए थे, ताकि लोग सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग डाल सकें, लेकिन अब ये गायब हैं।
ये दो कंप्लेन यह बताने के लिए काफी हैं कि पब्लिक प्लेसेस पर डस्टबिन न होने से किस तरह शहर की स्वच्छता का कचरा हो रहा है। नगर निगम के कमांड सेंटर में डेली 8 से 10 लोग गंदगी और सफाई न होने की शिकायत कर रहे हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी और पब्लिक में अवेयरनेस न होने से पॉवर सेंटर वाराणसी स्वच्छ सर्वेक्षण में टॉप ऑर्डर से कई कदम दूर है।
तो राहगीर कहां फेकेंगे कचरा
स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का कहना हैं कि जब से डोर टू डोर कूड़ा उठान शुरू कराया गया है तब से शहर में डस्टबिन लगाने का काम बंद है। अब सवाल ये है कि कूड़ा उठान और साफ-सफाई तो सिर्फ सुबह होती है, लेकिन दिनभर राहगीरों से जो कचरा निकलता है। उसे कहां फेंका जाए। टूरिज्म सिटी होने के नाते सिटी में हर एरिया में क्राउड है, लेकिन डस्टबिन न होने से ये चिप्स, बिस्किट, सॉफ्ट ड्रिंक के बॉटल आ अन्य चीजों के पैकेट सड़क किनारे या नालियों में फेंक दे रहे हैं।
पब्लिक भी जिम्मेदार
नगर निगम ने दो-दो बार 2 हजार से ज्यादा बड़े और छोटे डस्टबिन लगवाए थे। इनकी जियो टैगिंग भी करवाई गई थी, लेकिन जितना पैसा नगर निगम ने डस्टबिन को लगवाने के लिए खर्च किया। वो सब बर्बाद हो गए। शहर में निर्माण कार्य के चलते ये बिखर गए या चोरी हो गए। अधिकारियों का कहना है कि इसके नष्ट होने की वजह यहां की पब्लिक ही है। कोई इसमें कूड़ा जला देता तो कोई जलता हुआ सिगरेट फेंक देता था। कई सारे डस्टबिन तो लोग घरों में उठा ले गये.
फाइल में दबी है स्मार्ट डस्टबिन
बता दें, तत्कालीन नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। एनपी सिंह ने जून 2023 में कहा था कि पुराने डस्टबिन प्लास्टिक के थे, इसलिए उसे दोबारा नहीं लगाया गया। स्मार्ट सिटी होने के नाते यहां स्टिल की स्मार्ट डस्टबिन लगाने की प्लानिंग है। निगम चुनाव के बाद ये डस्टबिन लगने शुरू हो जाएंगे। मगर यह प्लान फाइलों में ही दबा है।
फैक्ट फाइल
16 कूड़ाघर हैं शहर में
600 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है डेली
350 के करीब कूड़ा वाहन हैं नगर निगम के पास
2 बार सफाई होती है दिनभर में
1 एक प्राइवेट कंपनी डोर टू डोर करती है कूड़ा कलेक्शन
4700 सफाईकर्मी हैं नगर निगम के पास
216 लोगों की साफ-सफाई न होने की दर्ज कराई शिकायत