वाराणसी (ब्यूरो)महज एक ओटीपी और टोकन के चक्कर में समय पर इलाज न मिलने से भीषण गर्मी में दूर-दराज से आने वाले मरीजों में जो सक्षम हंै वे तो प्राइवेट हॉस्पिटल में चले जा रहे हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर और सरकारी अस्पताल के भरोसे इलाज कराने वाले लोग वापस लौट रहे हैंक्योंकि यहां उन्हे कोई दूसरा विकल्प नहीं दिया जा रहा कि वे अपनी पर्ची बनवाकर इलाज करा सकें.

केस-1

जैतप़ुरा के मोनसीम शनिवार को पेट दर्द की शिकायत लेकर मंडलीय अस्पताल पहुंचे थेपर्ची बनवाने काउंटर पर गए तो वहां एप के माध्यम से पहले टोकन लेने को बोला गयासारा प्रॉसेस करने के बाद ओटीपी के इंतजार में आधे घंटे तक बैठे रहे लेकिन ओटीपी नहीं आयाऐसे में उनकी पर्चा नहीं बनी और अगले दिन आने को बोल दिया गया.

केस-2

लल्लापुरा के सुरेश कुमार डायरिया से पीडि़त अपने बीमार बच्चे का इलाज कराने पर्ची काउंटर पर पहुंचे तो उनसे भी पहले टोकन लाने को बोला गयाउन्होंने भी एप तो डाउनलोड कर लिया, लेकिन ओटीपी नहीं आने से वे आगे का प्रॉसेस नहंी कर पाएलिहाजा उन्हें भी टरका दिया गया और वे बच्चे का बगैर इलाज कराए लौट गए.

यह दो केस तो सिर्फ उदाहरण हैइन दिनों कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल में आने वाले दर्जनों मरीजों और उनके तीमारदारों को इस तरह की समस्या झेलनी पड़ रही हैइस कारण उन्हें बिना इलाज कराए वापस लौटना पड़ रहा है

सुविधा के साथ मुसीबत भी बढ़ी

दरअसल यहां आने वाले मरीजों को पर्ची बनवाने के लिए लाइन में न लगना पड़े, इसके लिए यहां पिछले साल से ही ऑनलाइन व्यवस्था के तहत पर्ची बनवाने से पहले टोकन सिस्टम की शुरुआत की गई हैइसके लिए पर्ची काउंटर के बाहर डॉइफकेस एप के लिए लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर इस पर रजिस्ट्रेशन करवाना होता हैआधार नंबर और मरीज का डिटेल डालने के बाद ओटीपी आता हैउस ओटीपी को डालने के बाद मरीज को एक टोकन नंबर मिलता है, जिसके बाद पर्ची काउंटर से मरीज का पर्चा बनता हैयह सुविधा भले ही मरीजों को लाइन में लगने से बचा रहा है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह मुसीबत बन रहा है.

टोकन के सिवाय नहीं कोई दूसरा विकल्प

मोबाइल नेटवर्क की समस्या होने की वजह से मरीज का डिटेल भरने के बाद भी कई घंटे तक मरीज के मोबाइल पर ओटीपी नहीं आ रहाजब तक ओटीपी नहीं आएगा तब तक उस मरीज को टोकन नहीं मिलेगा और जब तक टोकन नहीं मिलेगा, तक तक मरीज का पर्चा नहंी बन पाएगाइसके अलावा अस्पताल में ऐसी कोई अलग से सुविधा उपलब्ध नहंी कराई गई है कि जिन्हें टोकन नहीं मिल रहा उसकी पर्ची बनाई जा सकेओटीपी न आने पर मरीज काउंटर पर बगैर टोकन के पर्ची बनाने का अनुरोध करते रहते है, लकिन उनकी पर्ची नहीं बनाई जातीऐसे में इस तरह के दर्जनों मरीज रोजाना इस समस्या से परेशान होकर इलाज कराए बिना लौट रहे है.

दूरदराज से भी आते मरीज

इतनी भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में भी इस अस्पताल में रोजाना करीब दो हजार से ज्यादा मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैइसमें आसपास के साथ दूरदराज क्षेत्र के मरीज भी होते हैंबावजूद इसके हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से क्यूआर कोड स्कैन कर टोकन प्राप्त कर पर्ची बनाने के अलावा कोई दूसरी व्यवस्था नहंी की गई हैऐसे सिर्फ टोकन न मिलने पर अगर मरीज वापस लौटता है तो वह कितनी मुसीबत का सामना करता होगा शायद इसे बताने की जरुरत नहीं है.

फैक्ट फाइल

2000

के करीब मरीज डेली आते हैं इलाज के लिए

41

डॉक्टर ओपीडी में बैठते हैं जांच के लिए

200

बेड का है मंडलीय अस्पताल

ऐसा नहीं हैं कि कुछ मोबाइल में नेटवर्क की वजह से कभी-कभी ओटीपी नहीं आता हैअगर किसी मरीज को ऐसी समस्या आती है तो वह मुझसे आकर मिल सकता हैसमाधान किया जाएगा.

डॉएसपी सिंह, एसआईसी, मंडलीय अस्पताल