वाराणसी (ब्यूरो)मलदहिया लोहामंडी में आशीष कन्नौजिया का घर हैवहां पर बंदरों का आतंक कुछ इस कदर है कि लोगों ने छतों पर जाना ही बंद कर दिया हैकारण यह है कि 15 दिन पहले आशीष बंदरों का भगाने के लिए छत पर गए, लेकिन बंदरों के झुंड ने उन्हें घेर लिया और पैर में काट लियाआनन-फानन में परिजन उन्हें मंडलीय अस्पताल ले गए और इलाज करायायह सिर्फ एक कॉलोनी का मामला नहीं हैबल्कि शहर की 20 से अधिक कॉलोनियों में बंदरों का राज हैकपड़ा, गमला, छत पर रखे सामान को नुकसान पहुंचा ही रहे हैंसाथ ही कई लोगों को अपना शिकार भी बना चुके हैं.

बालकनी में लगवाई जाली

अधिकतर कॉलोनीवासियों ने बंदरों के डर से अपने घर की खिड़कियों और बालकनी में लोहे की जाली लगवा ली है, ताकि बंदर उनके घर के अंदर न घुस सकेंयही नहीं छतों को भी जाली से पूरा घेर दिया हैबंदरों का इतना अधिक आतंक बढ़ गया है कि घरों से लोगों का निकलना मुश्किल हो गया हैगांधीनगर कालोनी में तो सड़क के बीचों-बीच बंदर बैठे रहते हंैइसके डर से कई लोग आने-जाने में कतराते हंै

कंट्रोल रूम में कंप्लेन

जनवरी और फरवरी में पांच सौ से अधिक लोगों को बंदर काट चुके हैंमंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में वैक्सीन लगाने के लिए इन दिनों लंबी कतार लग रही हैजनवरी में 230 तो फरवरी में 280 लोगों को बंदर के काटने का इंजेक्शन लगाया गयाबंदरों के आतंक से बचने के लिए नगर निगम के कंट्रोल रूम में भी काफी शिकायतें आयी हंैइसके बाद भी बंदरों के आतंक पर आज तक अंकुश नगर निगम नहीं लग पाया.

इन कॉलोनी, मोहल्लों के लोग त्रस्त

साकेत नगर, दुर्गाकुंड, अस्सी, कबीरनगर, लंका, निराला नगर, चंद्रिका नगर, मलदहिया लोहा मंडी, चेतगंज, पिपलानी कटरा, प्रह्लादघाट, मच्छोदरी, गांधीनगर, सोनिया, छित्तूपुर, मानस नगर, शंकर धाम कॉलोनी, भेलूपुर, रविंद्रपुरी, साकेत नगर, बीएचयू कैंपस, लक्सा, चौक, कचौड़ी गली समेत चेतगंज, हबीबपुरा, शिवपुर, सिगरा, श्रीनगर कॉलोनी

पकडऩे को फुल प्रूफ प्लान नहीं

बंदरों को पकडऩे को लेकर अब तक कोई फूल प्रूफ प्लान तैयार ही नहीं हुआ हैलगभग तीन महीने पहले बंदरों को पकडऩे के लिए नगर निगम ने लखनऊ से टीम बुलाई थीनिगम अफसरों का कहना है कि टीम ने कुछ दिन पहले बंदरों को पकडऩे की कार्रवाई की और लगभग 150 बंदरों को पकड़ा गयासभी बंदरों को पकड़कर नौगढ़ के जंगलों में छोड़ा गया

प्लान बनाने में जुटा निगम

महापौर अशोक कुमार तिवारी का कहना है कि बंदरों को पकडऩे को लेकर पशु चिकित्सा अधिकारी को प्लान बनाने के लिए कहा गया हैइसके लिए परमानेंट सॉल्यूशन निकाला जाना जरूरी है, क्योंकि शहर के अधिकतर इलाकों में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा हैइन इलाकों में बंदरों को पकडऩे के लिए टीम को लगाने के लिए कहा गया हैजल्द ही इस पर कार्रवाई शुरू की जाएगीइसके लिए इस बार मथुरा और लखनऊ से टीम को बुलाया गया है.

हर क्षेत्र में दहशत

- सितंबर 2023 में सिगरा क्षेत्र में एक बंदर के दौडऩे की वजह से 10 साल की बच्ची छत से गिर गई, जिसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती करवाया गया

- सितंबर 2020 में बड़ा गणेश निवासी सीए कंचन कुमार कुशवाहा की बंदरों से बचाव में छत से नीचे गिरकर मौत हो गई थी

- नवंबर 2020 में अस्सी क्षेत्र में बंदरों ने 20 से अधिक बच्चों को काटकर जख्मी कर दियाकई बच्चों का अस्पताल में इलाज कराना पड़ा

फैक्ट एंड फीगर

230 लोगों को जनवरी में बंदर के काटने का इंजेक्शन लगाया गया

280 लोगों को फरवरी में बंदर के काटने का इंजेक्शन लगाया गया

20 कॉलोनियों में बंदरों ने मचा रखा है उत्पात

शहर की कॉलोनी के लोग हों या फिर दूसरे मोहल्ले केबंदरों से हर कोई परेशान हैछत पर जाने में कई बार सोचना पड़ता है.

आदित्य वर्मा, सुंदरपुर

बंदरों को पकडऩे के लिए नगर निगम में कई बार शिकायत की गईटीम आई और सिर्फ एक-दो बंदरों को पकड़कर चली गई.

ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, नगवां

बंदरों को पकडऩे के लिए मथुरा और लखनऊ से टीम बुलाई गई हैशिकायत आ रही हैनगर निगम की टीम बंदरों को पकड़ भी रही है.

अजय प्रताप सिंह, पशु चिकित्सा अधिकारी