वाराणसी (ब्यूरो)। नगर निगम के 177 पार्कों में से 100 से अधिक पार्कों का हाल बदहाल है। लाखों रुपए लगाकर पार्कों में ओपेन जिम खोले गए, लेकिन देखरेख के अभाव में ओपन जिम के कई पाट्र्स गायब हो गए हैं। चरखी टूटकर कहीं और चली गई है तो झूला टूटकर कहीं और रख दिया गया।
सीन 1 : रामकटोरा पार्क की दुर्दशा
मैं रामकटोरा पार्क हूं। यहां सुबह हो या शाम, लोगों की भीड़ रहती है। लेकिन, मेरी दुर्दशा पर तरस खाने वाला कोई नहीं है। दोपहर के समय जगह-जगह बैठकर लोग सिगरेट पीते हैं। शाम को शराब पीने वालों की लाइन लग जाती है। पीने के बाद जगह-जगह शीशी और बोतल फेंक कर चले जाते हैं। पार्क के पिछले हिस्से में गोबर का अंबार लगा रहता है। दुर्गंध से बुरा हाल है.
सीन 2 : संकुलधारा पार्क में मेंटेनेंस नहीं
मेरा नाम संकुलधारा पार्क है। मेरी दुर्दशा हो रही है। मेंटेनेंस के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। जगह-जगह झूला वगैरह लगाया गया है, लेकिन टूटकर कोने में पड़ा है। आधा सामान जुआड़ी बेचकर खा गए तो आधा सामान कोने में पड़ा है। पार्क में जुआरियों और शराबियों का बोलबाला है। रखरखाव नहीं होने के कारण घास सूख गई है।
सीन-3 : रविंद्रपुरी पार्क में जुटते जुआड़ी
मैैं रविंद्रपुरी पार्क हूं। मेरी हालत तो एकदम खराब है। दोपहर हो या शाम चारों तरफ जुआरियों का मजमा रहता है। बदहाल होने के चलते बच्चे आते नहीं हैं। सुबह के समय पहले लोग टहलने के लिए आते थे पर अब वह भी बंद कर दिए हैं। हर तरफ सूखी घास का अंबार है। माली के न रहने से अवांछनीय तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। पार्क में एक नल है, जिसे तोड़ दिया गया है।
शहर के इन तीन पार्कों की यह कहानी यह हाल है। ऐसे में बच्चे पार्क में खेलने नहीं पहुंच रहे हैैं। कहने को नगर निगम ने पार्कों के मेंटेनेंस के लिए 50 कर्मचारी और 130 माली हैं, लेकिन मौके पर एक भी पार्क में नजर नहीं आता।
1.90 करोड़ का बजट खर्च
1.90 करोड़ के बजट से शहर के पार्कों के सुंदरीकरण के साथ ही ओपन जिम बनाए गए थे, ताकि लोग खुले माहौल में एक्सरसाइज कर सकें। योग के लिए अलग से परिसर बनाया गया, जोकि मरम्मत मांग रहा है। टहलने वाले पाथवे में इतने गड्ढे हैं कि थोड़ा सा भी चूके तो पैर चोटहिल हो जाए.
भेजा गया प्रस्ताव
शहर के पार्कों के मेंटेनेंस के लिए नगर निगम ने प्रस्ताव बनाकर भेजा है। आलोक विभाग से लेकर सामान्य विभाग ने प्रस्ताव बनाकर भेजा है। बजट कितना आएगा, यह कहा नहीं सकता है। बजट आने के बाद ही पार्कों के सुंदरीकरण का कार्य किया जाएगा। पार्कों को मेनटेन रखने के लिए नगर निगम ने 50 कर्मचारियों को लगा रखा है.
निगम की है जवाबदेही
आंकड़ों के मुताबिक सिटी में कुल 177 पार्क हैं। वीडीए के पास एक भी पार्क नहीं है। जिस किसी भी पार्क में खामियां सामने आती हैं, उसके लिए जवाबदेही नगर निगम की ही बनती है.
फैक्ट एंड फीगर
177 पार्क हैं नगर निगम के
50 से ज्यादा पार्क हैं कॉलोनियों में
180 कर्मचारी हैं पार्कों की देखरेख के लिए
130 माली लगाए गए हैं
50 अन्य स्टाफ
30 लाख सालाना है मेंटेनेंस बजट
79 पार्कों की बाउंड्री दीवार की मरम्मत
120 पार्कों में लाइट की व्यवस्था
रामकटोरा पार्क का बुरा हाल है। शाम होते ही अवांछनीय तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। गंदगी तो फैलाते ही हैं, साथ ही शराब की बोतल भी फेंककर चले जाते हैं.
अनूप श्रीवास्तव, एडवोकेट
पार्कों की देखरेख करने के लिए केयर टेकर होना चाहिए, लेकिन पार्क में एक भी केयर टेकर नहीं हैं। नगर निगम को इसका ध्यान देना चाहिए.
सुशील लखमानी, शिवाला
पार्कों में सारे जिम टूट चुके हैं। बच्चे खेलेंगे तो कैसे। लगाकर छोड़ दिया जाता है। मेंटनेंस नहीं किया जाता है। अगर रखरखाव हो तो पार्क की दुर्दशा न हो.
विकास गुप्ता, कमच्छा
आचार संहिता का ब्रेक हट चुका है। अब जल्द ही पार्कों के सुंदरीकरण का कार्य होगा। पार्कों के रखरखाव के लिए 50 स्टाफ के साथ 130 मालियों को तैनात किया गया है। एक दर्जन से अधिक पार्कों को कब्जे से मुक्त कराया गया है.
संदीप श्रीवास्तव, पीआरओ, नगर निगम