-होली के मद्देनजर खाद्य पदार्थो के लिए जा रहे सैम्पल लेकिन जांच रिपोर्ट आएगी एक महीने बाद
-रिपोर्ट आने व कार्रवाई होने तक मिलावटी चीजें शरीर का कर चुकी होंगी सत्यानाश
होली पर मिलावट खोरी पर शिकंजा कसने के लिए भले ही फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से शहर में ताबड़तोड़ छापेमारी हो रही हो। लेकिन इसका फायदा क्या जब मिलावटी मिठाइयां बिक कर लोगों के शरीर में भी समा चुकी होंगी। जिन मिलावटी मिठाइयों के खाने से लोगों की सेहत को चोट पहुंचनी होगी वो तो हो चुका होगा। ऐसे में इस सैंपलिंग का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा। क्योंकि इसकी रिपोर्ट आने में लंबा समय लगेगा। हर साल की तरह इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।
होली बाद रिपोर्ट का क्या फायदा
फूड एंड सेफ्टी विभाग की टीम शहर भर में खोवा व्यापारियों व मिठाई विक्रेताओं द्वारा तैयार की जा रही मिठाइयों के सैंपल कलेक्ट कर रही है। इसकी रिपोर्ट आने में लंबा वक्त लगेगा। यानी तब तक होली पर लाखों टन मिठाइयों की खपत हो चुकी होगी।
त्योहार पर मिलावटखोर सक्रिय
ऐसा नहीं है कि सैंपल रिपोर्ट आने की परेशानी सिर्फ होली पर ही होती है। होली, दिवाली, रक्षाबंधन, ईद जैसे बड़े त्यौहारों में खोवा, छेना के सैंपल लिए जाते हैं, लेकिन रिपोर्ट आती है त्योहार बीत जाने के बाद। अधिकारी भी इस खामी को स्वीकार कर रहे हैं। उनकी मानें तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि शहर में मिलावटी मिठाइयां नहीं बिक रही हैं। अक्सर ऐसा होता है जब त्योहारी सीजन में मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं।
अब तक 140 सैंपल कलेक्ट
12 फरवरी से चल रहे अभियान के दौरान अब तक 140 से ज्यादा सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया है। अगर ये सैंपल फेल पाया जाता है तो न केवल दुकानदारों का रजिस्ट्रेशन निरस्त होगा, बल्कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होगी। आपको बता दें कि 15 दिन पहले जिन सैंपल्स को भेजा गया है। उनकी रिपोर्ट भी अब तक नहीं आई है।
48 घंटे में जारी हो रिपोर्ट
वहीं विभाग के ही कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह सैंपलिंग सिर्फ खानापूर्ति के लिए की जा रही है। इस सैंपलिंग का उपभोक्ताओं को लाभ तभी मिलेगा, जब इसकी रिपोर्ट 48 घंटे में सार्वजनिक की जाए ताकि उपभोक्ताओं को जागरूक किया जा सके कि किस विक्रेता की मिठाइयां मिलावटी हैं।
जिले के लैब में नहीं होती जांच
अधिकारियों का कहना है कि खाद्य पदार्थो की जांच के लिए बनारस समेत पूरे प्रदेश में 6 लैब बनाए गए हैं। किसी भी जिले के सैंपल की जांच उसके गृह जिले में नहीं होती। खाद्य पदार्थ बेचने वाले विक्रेताओं से लैब अधिकारियों की सांठ गांठ न हो, इसलिए सैंपल को दूसरे जिले में भेजा जाता है।
क्यों लगती है देरी
आम दिनों में लिए जाने वाले सैंपल की रिपोर्ट 14 दिन में आ जाती है, लेकिन होली पर अभियान के दौरान लिए जा रहे सैंपल की रिपोर्ट आने में एक माह से ज्यादा का वक्त लग जाएगा। अधिकारियों का कहना है कुछ मिठाइयां जिनसे किसी प्रकार की बदबू आती है तो शिकायत मिलने पर मिठाई को फेंकवा दिया जाता है। चूंकि होली के समय सैंपल की संख्या हजारों में पहुंच जाती है जिसकी वजह से रिपोर्ट आने में एक माह से ज्यादा का वक्त लग जाता है।
वर्जन--
जिस मिठाई में बदबू वगैरह की शिकायत आती है, वहां कार्रवाई कर तुरंत मिठाइयों को नष्ट करा दिया जाता है। फास्ट ट्रैक लैब की व्यवस्था की जा रही है जिससे जल्द नमूनों की रिपोर्ट आ सके।
डॉ। दीनानाथ यादव, डीओ, फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट
कहां-कहां है लैब
वाराणसी
लखनऊ
गोरखपुर
झांसी
मेरठ
आगरा
एक नजर
31
सैंपल लिए पिछले साल होली में
11
सैंपल हुए फेल
140
लिए जा चुके हैं इस साल होली में