वाराणसी (ब्यूरो)गंगा नदी में मिड अप्रैल से ही रेत के टीले उभरना शुरू हो गए हैैंतेजी से वाटर लेवल भी खिसकता जा रहा हैगंगा जल और ग्राउंड वाटर के अंधाधुंध दोहन से वैज्ञानिक और नदी प्रेमी प्राकृतिक संसाधनों के अस्तित्व को लेकर चिंतित हैैंइस बदलाव के कारण गंगा के इकोसिस्टम के साथ राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन पर संकट गहरा गया हैसीवीसी के आंकड़ों में फिलवक्त गंगा का जलस्तर 59.15 मीटर हैइसमें भी अस्सी से लेकर कैथी तक गंगा के जल की डेप्थ हरेक स्पाट पर एक समान नहीं हैयही कारण है कि अस्सी से राजघाट के बीच गंगा में अब डॉल्फिन की अठखेलियां नहीं दिखती हैंअधिकारियों का कहना है कि डॉल्फिन गंगा के गहरे और शांत एरिया में रहती हैराजघाट से कैथी तक गंगा में इनके संरक्षण के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.

चुलबुली डॉल्फिन को शांति पसंद

गंगा के प्रदूषित होने का सिलसिला थम नहीं रहाप्लास्टिक, डीजल बोट और क्षमता से अधिक सैलानियों का गंगा में वोट सर्फिंग गंगा के इकोसिस्टम को कई सालों से चुनौती दे रहा हैऐसे में कैसे चुलबुली डॉल्फिन गंगा में दिखेइसको गहरा, साफ और शांत जल पसंद हैजिसे कई दशकों से खतरा मंडरा रहा है

फ्री के गंगा जल की मची है लूट

डेवलप कंट्री की तरह देश में गंगा जल के पब्लिकली और प्राइवेट इस्तेमाल के लिए अभी तक पॉलिसी नहीं बन सकी हैइस वजह से जलकल, नागरिक, सैकड़ों लिफ्ट कैनाल, इंडस्ट्रियल इस्तेमाल, डैम, बैराज, हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट समेत कई आवश्यकताओं के लिहाजा से बेरोकटोक क्षमता से अधिक मात्रा में गंगा से पानी निकालने का क्रम बदस्तूर जारी हैइससे गंगा का जलस्तर गिरता जा रहा हैइसका सीधा असर गंगा के जलीय जीवों पर देखने को मिल रहा है.

कम फ्लो से खतरा अधिक

उत्तराखंड में गंगा को कई स्थानों पर रोककर दो दर्जन से अधिक बैराज और हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजक्ट काम कर रहे हैैंइससे गंगा के नेचुरल प्रवाह में बाधा आ रही हैइस तरह से पानी के ब्लॉक होने से गंगा रिवर बेसिन के मिडल और लास्ट में पानी स्थिर हो जा रहा हैइससे बनारस में गंगा का पानी सड़कर नीला-काला और बदबूदार हो जाता हैइसमें जलीय जीव क्या, यह पानी आचमन के लायक नहीं रह जाता है.

कैथी में दिखी थीं 22 डॉल्फिन

फरवरी 2021 में डीएफओ महावीर कौजालगी ने दावा किया था कि ढाका से लेकर गंगा और गोमती के संगम तक डॉल्फिन की सक्रियता सबसे ज्यादा देखी जाती हैयहां जलधाराएं आपस में टकराती हैंकैथी क्षेत्र में पिछले दो सालों में 22 डॉल्फिन की गिनती की गई थी

हकीकत डराने वाली है

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार रामनगर से राजघाट तक गंगा जल की गुणवत्ता में लगातार सुधार हो रहा हैलेकिन, हकीकत डराने वाली हैप्रोविश्वभर नाथ ने हाल ही में ट्विटर पर एक वीडियो शेयर कर लिखा है कि नगवां और रविदास घाट पर गंगा का पानी गंदगी से बदतर हो गया हैपानी में घुलनशील आक्सीजन घट रहा है। 100 मिली जल में 24,000,000 फीकल कॉलीफार्म काउंट आ रही हैजबकि नहाने-धोने के लिए 500 फीकल कॉलीफार्म काउंट का मानक निर्धारित है.

हाल के दशक में गंगा तंत्र और इसके जल क्वालिटी का स्तर गिरता ही जा रहा हैतमाम प्रयासों के बाद भी जो सुधार होने चाहिए थे, वह नहीं हो पाए हैंगंगा बेसिन के अबाध प्रवाह के लिए पानी छोड़ा जाएसाथ ही गंगा जल के इस्तेमाल के लिए जल्द ही पॉलिसी बनाई जाए.

प्रोबीडी त्रिपाठी, साइंटिस्ट, बीएचयू