वाराणसी (ब्यूरो)। भगवान शिव की नगरी काशी यानी बनारस अपने आप में अनूठा शहर है। वैसे ही यहां के मुहल्ले, गलियां व कुंड भी इतिहास समेटे हुए है। कुछ मुहल्ले तो राजाओं-महाराजाओं के नाम से जाना जाता है तो कुछ ऐसे मुहल्ले भी हैं जो महादेव के गणों के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह मार्केट नीचीबाग से बुलानाला जाने वाले मार्ग पर कर्णघंटा के नाम से स्थित है जो सैकड़ों वर्ष पूर्व घंटाकर्ण के नाम से प्रसिद्ध था। अब यह मार्केट स्टेशनरी और डिस्पोजल का सबसे बड़ा हब बन गया है। घंटाकर्ण का नाम कैसे कर्णघंटा हो गया। आइए इस क्षेत्र के ऐतिहासिक पहलू से लेकर कारोबार पर नजर डालते हैं.
धीरे-धीरे बन गया डिस्पोजल का हब
सौ साल पहले कर्णघंटा क्षेत्र में प्रिटिंग और पेपर का कारोबार होता था, वहीं अब पेपर का कारोबार की जगह डिस्पोजल का कारोबार होने लगा है। अब चार से पांच प्रतिष्ठान ही कागज के बचे हैं। बाकी जगहों शादी-विवाह और बर्थडे पार्टी में यूज होने वाले डिस्पोजल और सजावट के सामान ने ले रखा है.
सौ साल पहले वीरान थी जगह
सौ वर्ष पहले यह जगह वीरान थी। धीरे-धीरे यहां एक-दो प्रिंटिंग प्रेस खुले। इसके बाद पेपर का कारोबार होने लगा। तब उस समय क्षेत्र में पेपर का कारोबार जबरदस्त होता था। नो इंट्री लगने के बाद अब क्षेत्र में पेपर व प्रिंटिंग की एक दो प्रतिष्ठान ही बची है। नो इंट्री के चलते क्षेत्र में वाहनों का आना बंद हो गया। धीरे-धीरे यहां से थोक कारोबारी पलायन कर गए। जो बचे तो उन्होंने डिस्पोजल के कारोबार में किस्मत आजमाना शुरू कर दिया.
दो सौ दुकानें
कर्णघंटा में इस समय दो सौ दुकानें हैं। सजावट के आइटम के अलावा शादी-विवाह और बर्थडे पार्टी में यूज होने वाले डिस्पोजल, डिब्बा, थाली और प्लेट के प्रतिष्ठान हैं। वर्तमान में यह मार्केट डिस्पोजल का सबसे बड़ा बाजार बन गया है। यहां पर पूर्वांचल के जिलों से भी लोग खरीदारी के लिए आते हैं.
डेढ़ करोड़ का कारोबार
कर्णघंटा मंडी में कापी, डिब्बा के कारोबार में करीब 70 फीसदी दुकानों पर डिस्पोजल का कारोबार होता है। प्रतिदिन करीब डेढ़ करोड़ का कारोबार होता है। सड़कें संकरी होने के कारण भी भीड़ कम नहीं रहती है। सुबह दस बजे जैसे ही दुकानें खुलती हैं, खरीदारों की भीड़ लग जाती है.
कर्णघंटा मंडी में करीब डेढ़ सौ दुकानें हैं। इनमें 80 परसेंट दुकानों पर डिस्पोजल का कारोबार होता है, जहां शादी-विवाह के सीजन में काफी डिमांड रहती है.
अशोक सिंह, अध्यक्ष, कर्णघंटा सप्तसागर व्यापार मंडल
कर्णघंटा में तीन तरह के कारोबार होते हैं। स्टेशनरी, डिस्पोजल और सजावट के कारोबार का सबसे बड़ा हब है। वैवाहिक सीजन में काफी भीड़ रहती है.
अनिल गुजराती, संरक्षक, कर्णघंटा सप्तसागर व्यापार मंडल
इस मार्केट में पूरे पूर्वांचल से लोग खरीदारी के लिए आते हंै। शहालग का सीजन एक महीने बाद शुरू होने जा रहा है। अब मार्केट में और तेजी आएगी.
अशोक जायसवाल, कारोबारी
डिस्पोजल के अलावा सजावट के सामान का हब है। इस मार्केट में करीब डेढ़ सौ से अधिक दुकानें हैं। यहां पर थोक व फुटकर की दोनों दुकानें हैं.
सुनील अरोरा, टे्रजरार