वाराणसी (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का राजनी 'टीÓ कैंपेन गुरुवार को लमही पहुंचा। जहां कीर्ति हास्पिटल में मौजूद उत्साहित यंगस्टर्स से आगामी लोकसभा चुनाव में कौन-कौन से मुद्दे सबसे ज्यादा उठाए जाएंगे। लड़कियों-महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर मौजूदा कानून पर्याप्त है, आप पार्टी को वोट देते हैं या कैंडिडेट को, जातिगत जनगणना होनी चाहिए या नहीं, ऑनलाइन वोटिंग का विकल्प भी मिलना चाहिए, यूथ के लिए राम मंदिर एक मुद्दा है, मौजूदा शिक्षा प्रणाली और एजुकेशन क्वालिटी से आप कितने संतुष्ट हैं, दुनिया की नामी यूनिवर्सिटीज के कैंपस भारत में भी खोलने की बात चल रही हैजैसे तमाम मुद्दों पर खुलकर परिचर्चा हुई। इस दौरान यंगस्टर्स ने बेबाकी से अपनी बातें रखीं.
बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
राजनी 'टीÓ कैंपेन में यंगस्टर्स ने कहा कि आगामी आम चुनाव में युवाओं के लिए बेरोजगारी ही बड़ा मुद्दा होगा। सबसे बड़ी समस्या रोजगार है। सरकार में आने से पहले हर साल 2 करोड़ नौकरी देने की बात कही गई थी, लेकिन दो लाख भी नहीं मिल रही है। सरकार वैकेंसी निकालती है, एग्जाम भी होता है, लेकिन पेपर आउट सब पर पानी फेर देता है। सरकार तमाम दावें करती हैं, लेकिन हकीकत में वह दिखती नहीं है। युवा वर्ग कब तक बेरोजगारी का दंश झेलती रहेगी.
महंगाई पर दिखे मुखर
डिजिटल युग में सड़कों पर महंगाई को लेकर कोई विरोध नहीं दिखता है, लेकिन हर चुनाव में मुद्दा होता है। इसका सबसे ज्यादा असर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार पर पड़ता है। परिचर्चा के दौरान युवाओं में महïंगाई को लेकर सरकार के प्रति जबर्दस्त नाराजगी दिखी। अधिकतर लोगों ने महïंगाई के मुद्दे पर सरकार की नीतियों का विरोध किया और इसे कंट्रोल करने में नाकाम बताया.
पार्टी को ही देंगे वोट
परिचर्चा के दौरान युवा वर्ग ने दागी कैंडिडेट पर खुलकर अपने विचार रखे। यंगस्टर्स ने कहïा कि 80 फीसद वोटर पार्टी को ही देखकर वोट करते हैं। यही वजह है कि अब निर्दल प्रत्याशी चुनाव नहीं जीतते हैं। हां जरूर है कि किसी भी कीमत पर हïम लोग दागी कैंडिडेट को वोट नहïीं देंगे। चाहïे वहï हïमारी पसंदीदा पार्टी से हïी क्यों न खड़ा हïो। कहïा कि ऐसे लोग क्षेत्र व समाज का विकास नहïीं करते हïैं.
जाति जनगणना पर जोर
बनारस समेत पूरे देश में दिन-ब-दिन शैक्षणिक स्तर का ग्राफ 90 फीसद तक पहुंच गया है। बावजूद इसके जाति की जाल में यंगस्टर्स फंसा है। परिचर्चा के दौरान जाति जनगणना के सवाल पर युवाओं ने कहा कि जाति जनगणना होना चाहिए। देश के सामने यह सच्चाई आनी चाहिए कि किस वर्ग की संख्या कितनी है। जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। ऑनलाइन वोटिंग के सवाल पर यंगस्टर्स ने कहा कि यह व्यवस्था लोकतंत्र के लिए खतरा साबित होगा। ईवीएम से छेड़छाड़ की वीडियो अक्सर वायरल होती है। अब हाईटेक युग में सीसीटीवी की निगरानी में बैलेट से चुनाव कराया जा सकता है।
विचारधारा व विकास दोनों की जरूरत हïै। जहïां विचारधारा अच्छी हïोगी, वहीं विकास संभव हïै। एक युवा हïोने के नाते राष्ट्र और देश हिïत में सोचना हïमारी जिम्मेदारी हïै। विचारधारा से हïी हïमारे देश का भविष्य तय हïोता हïै.
डॉ। एसके विश्वकर्मा
रोजगार ही चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा होना चाहिए। अगर बेरोजगारी की समस्या खत्म तो देश की कई समस्याएं खुद खत्म हो जाएंगी। महंगाई जितनी तेजी से बढ़ रही है। उतनी ही धीमी गति से वेकेंसी निकाली जा रही है.
डॉ। सीएल यादव
ऑनलाइन वोट देश हित में नहीं है। इसके हैक होने की आशंका ज्यादा रहती है। लोकतंत्र को बेहतर करने के लिए बैलेट से मतदान की प्रक्रिया पर वापस आने की जरूरत है। हर बार ईवीएम पर सवाल उठाया जाता है.
आनंद पटेल
महिला सुरक्षा को लेकर सरकार बहुत सजग है, लेकिन पुलिस की लापरवाही से सड़कों पर आए दिन बहन-बेटियों से छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हंै। कानून इम्प्लीमेंट सख्ती के साथ करने की जरूरत है। हेल्पलाइन पर कॉल का रिस्पांस भी मिलना चाहिए.
डा। विकास कुमार
बिहार की तर्ज पर पूरे देश में जातिगणना होनी चाहिए। 1931 में जातिगणना हुई थी। जातिगणना होने से एक्चुअल फिगर सामने आ जाएगा। फिर जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी ही भागीदारी होगी। संख्या कम होने के बावजूद कुछ खास वर्ग का विकास हो रहा है.
अक्षय विश्वकर्मा
महïंगाई चरम पर हïै। हïम उसी सरकार को चुनेंगे, जो बुनियादी जरूरतों पर काम करेगी। गैस, राशन, तेल समेत हर चीजों के दाम बढ़ रहïे हïैं। विकास के खूब वादे किए जाते हïैं, लेकिन हïकीकत कुछ और हïै।
दिनेश कुमार