वाराणसी (ब्यूरो)। गांव की पगडंडियों से निकल कर महिलाओं के हौसले भी उड़ान भरने लगे हैैं। इसको साकार करने में वाराणसी की 9 महिलाएं जुटी हुई हैैं। बता दें कि बनारस की नौ ड्रोन दीदियों ने देशभर की ड्रोन प्रशिक्षित पायलटों के साथ सोमवार को बिहार के मोतिहारी में ड्रोन उड़ाया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित सशक्त नारी विकसित भारत कार्यक्रम में वर्चुअल देखा था। अब वह ड्रोन से खेतों में कीटनाशक से लेकर नैनो यूरिया आदि तक का छिड़काव करेंगी, जिससे उन्हें आमदनी भी होगी। इस संबंध में ड्रोन दीदियों से दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने बात की तो उन्होंने अपने एक्सपीरियंस को बताया.
रहा बेस्ट एक्सपीरियंस
अपने सपनों को उड़ान देने वाली ड्रोन दीदी सुनीता मौर्या जो कि 27 साल की है। उन्होंने पढ़ाई में बीए किया है। सुनीता ने बताया कि ड्रोन उड़ाने के लिए उनकी 15 दिन ट्रेनिंग चली थी। इसमें उन्हें ड्रोन उड़ाने, डेटा विश्लेषण और ड्रोन के रखरखाव से संबंधित जानकारी दी गई थी। इस दौरान उन्हें महसूस हुआ कि वह खुद के लिए और समाज के लिए कुछ करने की राह पर चल दी हैं और अपना पूरा मन लगा कर उन्होंने यह ट्रेनिंग ली.
फैमिली को देंगी फाइनेंशियल सपोर्ट
29 वर्षीय सिंदूर देवी जिन्होंने बीए की पढ़ाई की है। वह कहती हैैं कि उन्हें खुद के पैरों पर खड़ा होने का मौका मिला है। इससे वह अपनी फैमिली को फाइनेंशियल सपोर्ट दे पाएंगी। जैसा कि उनका सपना था कि उनके बच्चे शहर के अच्छे स्कूल में पढ़ें, अब पूरा हो जाएगा। हालांकि अभी ड्रोन रिसीव्ड नहीं हुए हैं। 4 दिन के बाद काशी की नौ महिलाओं को उनके ड्रोन उपलब्ध करा दिए जाएंगे.
15 दिन बाद उड़ेंगे ड्रोन
41 वर्षीय आशा देवी ने बताया कि उन्होंने बीए की पढ़ाई की है। आगे वह कहती है कि 10 दिन के बाद वह ड्रोन उड़ाने लगेंगी। 15 दिन की ट्रेनिंग में उन्होंने ड्रोन से जुड़ी सभी जानकारी प्राप्त की। ट्रेनिंग के दौरान ही वह बेहद खुश महसूस कर रही थी। उनको यहां तक पहुंचाने में उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। वह कहती हैं कि इससे न वह खुद के लिए बल्कि अपने शहर काशी के लिए भी कार्य कर पाएंगी.
दवा पहुंचाने के भी आएगा काम
40 वर्षीय अनीता पटेल ने एमए, बीएड किया है। उन्होंने जानकारी दी कि न सिर्फ एग्रीकल्चर में बल्कि अगर किसी गांव में कोई बीमारी फैलती है तो ऐसी स्थिति में भी ड्रोन से दवा का छिड़काव किया जा सकता है। साथ ही जरूरत पडऩे पर किसी हॉस्पिटल में दवा पहुंचाने के लिए भी काम आ सकता है। इससे न सिर्फ हमारा काम आसान होगा, बल्कि जरूरत पडऩे पर शहरवासियों की मदद भी हो सकती है.
क्या थी क्राइटेरिया
- महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी होनी चाहिए।
- कंप्यूटर की जानकारी होनी चाहिए.
- इंटर पास होनी चाहिए.
- कृषि का अनुभव होना चाहिए.
- कम्यूनिकेशन अच्छी होनी चाहिए।
- महिला एक्टिव होनी चाहिए।
महिलाओं का चयन उनकी पढ़ाई और कृषि की जानकारी होने के आधार पर किया गया है.
हिमांशु नागपाल, सीडीओ