वाराणसी (ब्यूरो)। मंगलवार को धनतेरस की पूजा सूर्यास्त के पश्चात रात्रि 7:20 से लेकर 8:16 के अंदर करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इस बाबत ज्योतिषाचार्य उमंग नाथ शर्मा ने बताया कि इस दिन चांदी के बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है। हालांकि यह यमराज से संबंध रखने वाला व्रत है। धनतेरस को सायं घर के बाहर मुख्य द्वारा पर एक पात्र में अन्न रखकर उसके ऊपर यमराज के निमित्त दक्षिणाभिमुख दीपदान करना चाहिए। शास्त्रों में वर्णित है कि यमुना यमराज की बहन है। इसलिए धनतेरस के दिन यमुना-स्नान का भी विशेष महात्म्य है। यदि पूरे दिन का व्रत रखा जाय तो अत्युत्तम है किन्तु संध्या के समय दीपदान अवश्य करना चाहिए। यमराज का स्वयं कहना है कि धनतेरस पर्व पर जो मेरे निमित्त दीपदान करेगा, उसकी मृत्यु असामायिक नहीं होगी।
भगवान धनवंतरी का प्राकट्य
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनवंतरि का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरी का प्राकट्य माना गया है। देव-दानवों द्वारा क्षीर सागर का मंथन करते समय भगवान धनवंतरी संसार के समस्त रोगों की औषधियों को कलश में भरकर जिस दिन प्रकट हुए वो त्रयोदशी तिथि थी। इसलिए उक्त तिथि को सम्पूर्ण देश सहित अन्य देशों में भगवान धनवंतरी की जयंती मनायी जाती है। विशेषकर आयुर्वेद के विद्वात तथा वैद्य समाज की ओर से सर्वत्र भगवान धनवंतरी की प्रतिमा प्रतिष्ठित की जाती है और पूजन के अनंतर निरोग बने रहने की कामना भी की जाती है।
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा खरीदना शुभ
इस दिन लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा खरीदना शुभ माना जाता है। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में मिट्टी से बने लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जाता है। एक साल तक लाभ ही लाभ मिलता है। पुरानी मूर्ति को गंगा में विसर्जित करने का विधान है।
पूजन का शुभ मुहूर्त
प्रात: 8:34 से 9:51 तक वृश्चिक लग्न
दोपहर 1:44 से 3:15 तक कुंभ लग्न
सायं 7:20 से 8:16 वृष लग्न
मध्यरात्रि 12:48 से 3:12 सिंह लग्न