वाराणसी (ब्यूरो)। भगवान श्रीगणेश के पिता की नगरी काशी में गणेश चतुर्थी को लेकर भक्तों में उत्साह बढ़ता जा रहा है। आज काशी के विभिन्न पूजा पंडालों में श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित हो जाएंगी। गणेश चतुर्थी पर यहां करीब आधा दर्जन से ज्यादा पूजा पंडालों में गणपति बप्पा विराजेंगे। इसमें श्री काशी मराठा गणेशोत्सव समिति, शारदा भवन श्री गणेशोत्सव व नूतन बालक गणेशोत्सव समाज सेवा मंडल की तरफ से स्थापित होने वाले गणेश प्रतिमा सबसे पुरानी है। गणेश चतुर्थी के मौके पर बनारस में आज से अगले सात दिनों तक गणेशोत्सव की धूम रहेगी। विधिवत मंत्रोचारण, पूजन अर्चन के साथ भगवान की प्रतिमा स्थापित किये जाएंगे।
जोर-शोर से चल रही तैयारी
गजानन के आगमन को लेकर समितियों व क्लबों की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। कुछ में लगभग पूरी भी हो चुकी है। काशी मराठा समिति हर साल की तरह इस बार भी गणेश चतुर्थी का भव्य आयोजन कर रही है। समिति के अध्यक्ष आनंद सूर्यवंशी ने उत्सव को लेकर बताया कि हर बार की तरह इस बार भी गजानन की मूर्ति मुंबई से मंगवाई गई है। खास बात यह है कि यह मूर्ति वही मूर्तिकार तैयार करते हैैं, जो मुंबई के लालबाग के राजा की मूर्ति बनाते हैं। समिति के लोग वैसी ही मूर्ति तैयार करवाते हैं, जैसी एक वर्ष पहले लालबाग के राजा की प्रतिमूर्ति होती है। वहीं नूतन बालक गणेशोत्सव समिति खास तरह की प्रतिमा स्थापित करने के साथ कई कार्यक्रम आयोजित करेगी.
गणेश मंदिरों में सफाई व पूजन की तैयारी शुरू
मान्यता के अनुसार काशी में छप्पन विनायक स्थापित हैं। गणेश चतुर्थी पर यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इन सभी मंदिरों में भी सफाई व पूजन की तैयारी चल रही है। बड़ा गणेश मंदिर के पुजारी रामनाथ दुबे ने बताया कि गणेशोत्सव पर मंदिर दर्शन पूजन के लिए भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है.
23 को भव्य शोभायात्रा
काशी मराठा समिति के संरक्षक संतोष पाटिल ने बताया कि इस बार भी महाराष्ट्र से लालबाग के राजा की प्रतिमूर्ति काशी आएगी। 23 सितंबर को भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। जिसमें काशी में पहली बार तासगांव सांगली महाराष्ट्र के 60 सदस्यीय दल द्वारा झांझ पतक की भव्य प्रस्तुति की जाएगी.
ब्रह्माघाट पर उत्सव का 126वां वर्ष
काशी के ब्रह्माघाट स्थित श्री काशी गणेशोत्सव कमेटी जिसकी स्थापना 1898 में बाल गंगाधर तिलक ने की थी। समिति द्वारा 19 सितंबर को विधि विधान से गणपति की पूजा की जाएगी। कमेटी के उपाध्यक्ष विलास विजय डींगरे ने बताया कि इस वर्ष हम लोग उत्सव का 126वां वर्ष मना रहे हैं। हर वर्ष की तरह हम लोग दूधविनायक से गणेशजी की प्रतिमा को पालकी में बैठाकर वंदना के साथ भवन में लाते हैं और 126 सालों से एक ही डिज़ाइन की मूर्ति को इस प्रांगण में एक निश्चित स्थान पर बैठाया जा रहा है.
शारदाभवन में 1929 से मन रहा गणेशोत्सव
गोदौलिया क्षेत्र स्थित अगस्त कुंडा में सन् 1929 से शारदाभवन में गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव की शुरुआत स्व। पं गोरेनाथ पाठक ने की थी। विनोद राव पाठक कहां की गणेश का यह उत्सव शारदा भवन में 95वां वर्ष है। उन्होंने बताया कि यह आयोजन बिना किसी से चंदा लिए किया जाता है। यहां स्थापित होने वाली मूर्ति महाराष्ट्र के सिद्ध विनायक गणेश जी के स्वरूप की स्थापित की जाती है। या प्रतिमा काशी के ही मूर्ति द्वारा बनाया जाता है.