वाराणसी (ब्यूरो)। बीएचयू के 103वें दीक्षांत समारोह के तीसरे दिन सोमवार को बीएचयू से संबद्ध डीएवी पीजी कॉलेज, वसंता कॉलेज फॉर वीमेन और आर्य महिला पीजी कॉलेज की ओर से संस्था के कैंपस में ही अलग-अलग सभागारों में उपाधि वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर गले में गोल्ड मेडल लटकते ही मेधावियों के होठ मुस्कुरा उठे और चेहरे पर चमक नजर आने लगी। सभी मेधावियों को गुरुजनों ने उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी.
डीएवी कॉलेज के 1132 छात्र-छात्राओं को उपाधि
विवि के मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र के सभागार में डीएवी पीजी कॉलेज की ओर से आयोजित समारोह के चीफ गेस्ट बीएचयू के कुलगुरु प्रो। वीके शुक्ला रहें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ धनार्जन मात्र नहीं है, यह जीवन सतत जिज्ञासा और सीखने के प्रति प्रतिबद्धता का ही दूसरा नाम है।
चरित्रवान बनाती शिक्षा
प्रो। शुक्ला ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ धनार्जन मात्र नहीं है अपितु शिक्षा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब वह आपको चरित्रवान भी बनाती है। विशिष्ट अतिथि वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो। जीसीआर जायसवाल ने कहा कि हम अत्यंत भाग्यशाली है जो महामना की संस्था से शिक्षा प्राप्त किए है। दीक्षांत के बाद वास्तविक जीवन अब शुरू होगा। महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो। सत्यदेव सिंह ने कहा कि डिजिटल युग मे शिक्षा को भी डिजिटल करना हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही.
पारंपरिक साफा में स्टूडेंट्स
इस दौरान स्नातक एवं स्नातकोत्तर के कुल 1132 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई। विद्यार्थियों ने पारंपरिक साफा और उत्तरीय धारण कर मंच से उपाधि प्राप्त किया। स्वागत उद्धबोधन कार्यकारी प्राचार्य प्रो। सत्यगोपाल व धन्यवाद ज्ञापन प्रो। समीर कुमार पाठक तथा संचालन डॉ। राकेश कुमार द्विवेदी, डॉ। तरु सिंह, डॉ। पारुल जैन एवं डॉ। महिमा सिंह ने किया। विभिन्न सत्रों में आयोजित समारोह में समाज संकायाध्यक्ष प्रो। बिंदा परांजपे, कला संकायाध्यक्ष प्रो। मायाशंकर पाण्डेय, प्रो। एनके मिश्रा, प्रो। उपेंद्र पाण्डेय, प्रो। मृत्युंजय मिश्रा, सहित समस्त विभागों के अध्यक्ष, समस्त अध्यापकगण उपस्थित रहे। इसी बीच अतिथियों द्वारा डीएवी पीजी कॉलेज की अकादमिक उपलब्धियों पर आधारित स्मारिका का विमोचन किया गया।
वसंता कॉलेज की 1083 छात्राओं को दी गई उपाधि
बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में वसंता कॉलेज फॉर वीमेन की छात्राओं के बीच उपाधि वितररित की गई। इसमें महाविद्यालय की कला, सामाजिक विज्ञान, शिक्षा और वाणिज्य विषयों की यूजी व पीजी की 1083 छात्राओं को उपाधि से नवाजा गया।
किया गया सम्मानित
बीएचयू के विशेष पदक प्राप्त महाविद्यालय की 13 छात्राओं को भी सम्मानित किया गया। जिसमें शुभांगी त्रिपाठी (फ्र ंच विभाग) को बीएचयू पदक, शाम्भवी भारद्वाज (दर्शनशास्त्र विभाग) को अघोराचार्य बाबा कीनाराम स्वर्ण पदक, बाबा राजेश्वर राम स्वर्ण पदक, बीएचयू पदक, डॉ। भगवान दास पुरस्कार एवं प्रो। टी। आर। वी। मूर्ति पुरस्कार, नजीफा जिया (उर्दू विभाग) को बीएचयू पदक, तन्वी बाजपाई (मनोविज्ञान विभाग) को स्वर्गीय शेफाली नन्दी मेमोरियल स्वर्ण पदक, स्वर्गीय चन्द्र बाल द्विवेदी मेमोरियल स्वर्ण पदक एवं बीएचयू पदक, शोखी श्रीवास्तव (मनोविज्ञान विभाग) को पूनम मेमोरियल स्वर्ण पदक, बीएचयू पदक तथा रबिया जावेद (शिक्षा संकाय) को सुदृढ़ महिला डॉ। करुणा शाह मेमोरियल स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। साथ ही सर्वाधिक सीजीपीए के लिए परास्नातक भूगोल की छात्रा शतरूपा घोष को डॉ। काशीनाथ सिंह मेमोरियल अवार्ड (10,000 नकद राशि) प्रदान की गयी।
स्त्री शिक्षा का सपना साकार
कार्यक्रम का शुभारंभ बीएचयू के कुलगीत एवं महाविद्यालय के वसंत गीत से किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो। अलका सिंह ने अंगवस्त्रम् व पौधा प्रदान कर अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि स्त्री शिक्षा की दिशा में उपाधि प्राप्त छात्राओं की बड़ी संख्या महामना मालवीय, एनी बेसेंट और जे कृष्णमूर्ति के सपनों के भारत को साकार कर रहा है और 1913 में स्थापित वसंत महिला महाविद्यालय इसके लिए कृतसंकल्पित है। चीफ गेस्ट केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान के वीसी प्रो। वांगचु दोर्जे नेगी ने कहा कि बीएचयू में प्रवेश अत्यंत गौरव की बात है। महामना जी ने विद्यार्थियों को शिक्षा का स्वर्णिम अवसर प्रदान किया है। समारोह में विवि के प्रो। के शशि कुमार, प्रो एमएस पांडेय, प्रो वीरेंद्र नाथ मिश्र, प्रो। आद्य प्रसाद पांडेय, प्रो वसिष्ठ अनूप, केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान की रजिस्ट्रार डॉ। सुनीता चंद्र के अलावा महाविद्यालय के सभी शिक्षक उपस्थित रहे। महाविद्यालय के 110 वर्षों की यात्रा पर बनाए गए वृत्त चित्रों का भी प्रदर्शन किया गया।
आर्य महिला कॉलेज में 1104 को मिली उपाधियां
बीएचयू के केएन उडप्पा सभागार में आर्य महिला पीजी कॉलेज की विभिन्न संकायों की कुल 1104 छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गई। चीफ गेस्ट सामाजिक विज्ञान संकाय की संकाय प्रमुख प्रो। बृंदा परांजपे, कला संकाय के प्रमुख प्रो। एमएस पांडेय एवं वाणिज्य संकाय प्रमुख प्रो। जीसीआर जायसवाल थे। इनके साथ तीनों संकायों के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों तथा महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो। रचना दुबे द्वारा छात्राओ को उपाधि प्रदान की गयी। वहीं आर्य महिला पीजी कॉलेज के बीएड विभाग का उपाधि वितरण बीएचयू के शिक्षा संकाय के सभागार में हुआ। जिसमें संकाय प्रमुख प्रो। अंजली बाजपेई ने महाविद्यालय की 51 छात्राओं को उपाधि दी। इस कार्यक्रम का संयोजन डॉ। नमिता सिन्हा ने किया।
इन्हें मिला 18 गोल्ड मेडल
18 गोल्ड मेडल प्राप्त कर कॉलेज का गौरव बढ़ाने वाली छात्राओं में बीकॉम छात्रा की आद्रिका को बीएचयू गोल्ड मेडल, श्रीमती चंपा देवी गोल्ड मेडल ,श्री अजय जैन मेमोरियल गोल्ड मेडल, श्री अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल मेमोरियल गोल्ड मेडल, स्वर्गीय श्री सत्यनारायण प्रसाद गोल्ड मेडल, द इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया गोल्ड मेडल ,ठाकुर रतन पाल सिंह मेमोरियल गोल्ड मेडल, श्रीमती पार्वती देवी कनोडिया और श्री देविका नंदन कनोडिया समेत कुल कुल 8 गोल्ड मेडल मिले। इसके अलावा देवी प्रसाद अग्निहोत्री प्राइज मिला। स्नातकोत्तर में राजनीतिशास्त्र विभाग की पूर्वा शर्मा को बीएचयू गोल्ड मेडल, कर्ण सिंह गोल्ड, नरसिंहग्रह महाराज भानु प्रकाश सिंह और महारानी लक्ष्मी कुमारी गोल्ड मेडल, ठाकुर संग्राम सिंह और सूर्यमुखी देवी गोल्ड मेडल, रमाशंकर शुक्ल गोल्ड मेडल, ठाकुर जयपाल सिंह स्वर्ण पदक,कुंवर चैन सिंह समेत कुल 7 गोल्ड मेडल मिले। इसी तरह इतिहास विभाग की सौम्या सिंह* को स्नातक में बीएचयू गोल्ड मेडल तथा स्नातकोत्तर की अंजली मणि को बीएचयू गोल्ड मेडल तथा स्वर्गीय प्रोफेसर हीरालाल सिंह मेमोरियल गोल्ड मेडल प्रदान किया गया।
तीन सत्रों में समारोह
तीनों सत्रों में आयोजित समारोह में अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय की प्रचार्या प्रोफेसर रचना दुबे ने किया। सामाजिक विज्ञान वर्ग के सत्र का संचालन डॉक्टर मीनाक्षी बाजपेई तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो। भावना त्रिवेदी ने, कला वर्ग के सत्र का संचालन प्रो। सुचिता त्रिपाठी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर बिंदु लाहिड़ी व वाणिज्य वर्ग के सत्र का संचालन डॉ शिवेंद्र पाठक ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ.विभा सिंह ने किया। कार्यक्रम का संयोजन प्रो। भावना त्रिवेदी, प्रो.बिंदु लाहिड़ी, प्रो। सुचिता त्रिपाठी, डॉ। विभा सिंह तथा डॉ। मीना सिंह द्वारा सम्मिलित रूप से किया गया.