वाराणसी (ब्यूरो)इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) रिटर्न में सिटी व आसपास जिलों के कारोबारियों के करोड़ों रुपये वाणिज्य कर विभाग में फंसे हुए हैंइसके चलते आयातकों पर भी मार पड़ रही हैसाथ ही टर्नओवर भी गड़बड़ा गया हैविभागीय अफसरों की बेपरवाही और कागजी कार्रवाई के फेर में हजारों कारोबारियों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है.

वाणिज्यकर विभाग में 24 खंड

24 खंडों में बंटे जोनल वाणिज्य कर दफ्तर में वाराणसी समेत आसपास क्षेत्रों के करीब एक लाख से अधिक कारोबारी पंजीकृत हैंजीएसटी लागू होने के बाद आनलाइन कार्रवाई इतना अधिक हो गया है कि इसका खामियाजा कारोबारियों को भुगतना पड़ रहा हैजीएसटी के पहले व्यापारियों को पुराने ढर्रे पर ही आईटीसी का लाभ लेने के लिए काफी कागजी कार्रवाई करनी पड़ रही थी.

रिफंड अधर में लटका

जीएसटी लागू होने के बाद जितने भी कारोबारी आईटीसी के लिए अप्लाई किए थे, इनमें से करीब 50 परसेंट कारोबारियों का रिफंड अधर में लटका हुआ हैंवजह कागजों में कमियां बताई जा रही हैइनपुट टैक्स क्रेडिट के तौर पर आयातकों, निर्यातकों और दूसरी ट्रेडों के कारोबारियों के करोड़ों रुपये फंसे हैं.

कागजों के फेर में फंसे कारोबारी

कारोबारियों को कागजी फेर में फंसने से नुकसान होता है तो तीन साल तक इनपुट टैक्स क्रेडिट की रकम वापसी का प्राविधान समस्या बना हुआ हैसबसे अधिक मार आयातकों पर पड़ी है जबकि आयातकों के मामले में पहले सिर्फ 21 दिन के अंदर इनपुट टैक्स क्रेडिट की रकम वापसी के नियम हैआईटीसी का लाभ लेने के लिए कई व्यापारियों व अधिवक्ताओं ने मुद्दा भी उठाया लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला.

मिलान करने में परेशानी

कंप्यूटर फीडिंग न होने से मिलान में परेशानी होती हैइसके चलते दूसरे जोनों से सूची मिलान करनी होती हैंरिटर्न में देरी होने पर खंड में मामला लटका रहता हैंटारगेट पूरा करने के लिए खंडों में ही फाइलों को होल्ड कर दिया जाता हैंइसका खामियाजा व्यापारियों को भुगतना पड़ता है.

जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों की समस्या कम नहीं हो रही हैंबल्कि विसंगतियों में फंसती जा रही हैंआईटीसी में रिफंड लेना काफी टेड़ी खीर हैंतमाम कागजी कार्रवाई करने के बाद भी व्यापारियों को समय से रिफंड नहीं मिल पाता.

प्रेम मिश्रा, अध्यक्ष महानगर व्यापार समिति

विभागों में रिफंड का मामला नया नहीं हैंजीएसटी लागू हुई थी तो हम लोगों ने काफी राहत की सांस ली थी कि इसमें अब सहूलियत मिलेगी लेकिन इसमें काफी जटिल हो गया हैंआईटीसी में आज भी करोड़ों रुपया कई व्यापारियों का फंसा हुआ हैं.

नीरज पारिख, उद्यमी

जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट इसलिए लाया गया कि कारोबार करने के बाद व्यापारियों को आसानी से रिफंड हो सकेडिपार्टमेंट के उच्च अधिकारियों को इस समस्या को गंभीरता से देखना चाहिए

राजेश सिंह, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती

रिफंड की प्रक्रिया को आसान किया जा रहा हैंकई कारोबारियों का रिफंड भी हुआ हैं जिसके कागजों में गड़बड़ी हैं और टर्नओवर को छिपाया उनके साथ दिक्कत हैंफिर भी अगर वह सारे दस्तावेज जमा कर देते हैं उनको रिफंड मिलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.

प्रदीप कुमार, वाणिज्यकर कमिश्नर ग्रेड-2