वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी : वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत की परिकल्पना पर दवाओं की कमी पानी फेर रही हैप्रदेश भर में टीबी की दवाओं का टोटा हो गया हैप्रदेश में कुछ जिलों के पास ही दवा शेष बची हैंवाराणसी में अभी 15 दिन की दवा का रिजर्व स्टाक मौजूद हैअधिकारी बताते हैं कि दवाओं की खरीदारी के लिए शासन के निर्देशानुसार आर्डर दे दिया गया है जो जल्द ही उपलब्ध हो जाएगा.

वर्तमान में जिले में लगभग 7400 टीबी मरीजों का उपचार हो रहा है, जिन्हें दवा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की हैटीबी मरीजों को दी जाने वाली प्रमुख दवाओं में थ्री एफडीसी और फोर एफडीसी होती हैं, जो हर टीबी मरीज को दी जाती हैंपूरे प्रदेश में इन्हीं दवाओं की कमी हो गई हैंइसके अलावा मरीजों को उनके लक्षण के आधार पर कुछ अन्य दवाएं भी डाक्टर अपने अनुसार देते हैंविभागीय अफसरों की मानें तो हर साल टीबी की दवाओं का टेंडर केंद्र से ही होता है, वहां से राज्य औषधि भंडरा पर दवाओं की सप्लाई की जाती है और प्रदेश से जिलों के औषधि भंडार तक भेजी जाती हैंजिला स्तर के अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि हर टीबी यूनिट तक दवाओं की सप्लाई करें, तकि सभी मरीजों को दवाएं मिल सकेंइस बार केंद्र से ही दवाओं की सप्लाई चेन गड़बडा गई हैअधिकारी बताते हैं कि जब केंद्र से दवा सप्लाई नहीं हो सकी तो वहां से प्रदेश सरकार को आदेश जारी कर दिए गए कि सभी जिले दवाओं की लोकल खरीदारी कर लेंइसके लिए बजट भी जारी किया जा रहा है.

सभी जिलों को जारी किया बजट

प्रदेशभर में कुल चार ड्रग हाउस बनाए गए हैंइनमें वाराणसी के ड्रग स्टोर से पूर्वांचल के 10 जिलों की दवाइयां खरीदने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति ने बजट जारी किया हैजब तक स्टेट ड्रग स्टोर से दवाओं की खरीदारी नहीं की जाती है तब तक के लिए लोकल स्तर पर खरीद करनी है.

दवाओं की खरीदारी के लिए कोटेशन लेकर के संबंधित को आर्डर दे दिया गया हैजल्द ही दवाओं की खरीदारी कर ली जाएगीजिले में अभी 15 दिन का रिजर्व स्टाक मौजूद है.

डॉपीयूष राय, जिला क्षय रोग अधिकारी वाराणसी