-दिवाली पर पटाखों की वजह से बढ़ जाता है प्रदूषण का स्तर
-शहर को सेहतमंद रखने में ईको फ्रेंडली पटाखे करेंगे मदद
दुनिया के प्रदूषित शहरों में बनारस भी शामिल है। यहां पॉल्यूशन का लेवल प्रमुख शहरों के बराबर पहुंच गया है। दिवाली पर पटाखों के इस्तेमाल से तो प्रदूषण काफी बढ़ जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा क्योंकि मार्केट में इको फ्रेंडली पटाखे आ गए हैं। दिल्ली से इन पटाखों की बड़ी खेप शहर में पहुंच रही है। प्रशासन की ओर से तेज आवाज और धुआ रहित पटाखों पर रोक को लेकर हुई सख्ती और तमाम अवेयरनेस प्रोग्राम का असर है जो बाजार में नजर आ रहा है। आतिशबाजी कारोबारियों की मानें तो बढ़ते पॉल्यूशन और प्रशासन की सख्ती की वजह से पिछले दो सालों की तुलना में करीब बीस फीसदी कारोबार में गिरावट हुई है।
कम होता है पॉल्यूशन
-ईको फ्रेंडली पटाखे से अन्य पटाखों की तुलना में 50 परसेंट तक पॉल्यूशन कम होता है।
सामान्य पटाखों से आवाज भी कम करते हैं।
यही नहीं ईको फ्रेडली पटाखे सामान्य पटाखों से काफी किफायती भी होते है।
-सामान्य पटाखों में एल्यूमिनियम, बेरियम, पोटैशियम, कार्बन का इस्तेमाल किया जाता है
-स्ट्रोनियम कार्बोनट रेड फायर वर्क्स में यूज किया जाता है
-कैल्सियम क्लोराइड का इस्तेमाल होता है आरेंज फायरवर्क्स में
-सोडियम नाइट्रेट से पटाखों से पीली रोशनी निकलती है
-बेरियम क्लोराइड से ग्रीन कलर नजर आता है
-कॉपर क्लोराइड का यूज ब्लू फायरवर्क्स में करते हैं
-इको फ्रेंडली पटाखों में एल्यूमिनियम, बेरियम, पोटैशियम, कार्बन का इस्तेमाल या तो नहीं किया जाता है या काफी कम मात्रा में किया जाता है
पिछले साल थी डिमांड
आतिशबाजी कारोबारियों की माने तो दिल्ली में एनासीआर में सामान्य पटाखों पर बैन और ईको फ्रेंडली पटाखे के इस्तेमाल के आदेश के बाद यहां भी इन पटाखों की डिमांड पिछले साल काफी की जा रही थी। जिस कारण दिवाली के तीन दिन पहले माल मंगाना पड़ा था, ईको फ्रेंडली पटाखों की सेल के कारण सामान्य पटाखों की सेल करीब दस फीसदी तक घट गई थी।
इतना बढ़ जाता है एक्यूआई
एयर फॉर केयर संस्था के अनुसार सामान्य दिनों की तुलना में दिवाली से एक सप्ताह पूर्व से एक्यूआई यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेबल बढ़ने लगता है। सामान्य दिनों में यह भले ही 100 से 150 रहता है लेकिन दिवाली से पूर्व यह 200 से 250 प्रति क्यूबिक मीटर तक बढ़ जाता है। जो कि न सिर्फ दमा और सांस के मरीजों पर बल्कि सामान्य लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डालता है। दिवाली के बाद यह 400 के ऊपर चला जाता है।
55 डेसीबल से ज्यादा आवाज नहीं
दिवाली पर तेज आवाज के पटाखे न छोड़े जाएं इसके लिए पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने भी कमर कस ली है। प्रशासन के साथ मिलकर दिवाली से एक सप्ताह पहले ही विशेष अभियान चलाने की प्लानिंग की जा रही है। इस प्लान के तहत आतिशबाजी के दुकानों की जांच की जाएगी, जहां कही भी 55 डेसीबल से ज्यादा आवाज के पटाखे पाए जाएंगे उन पर कार्रवाई होगी।
एक नजर
300
करोड़ रुपए की आतिशबाजी का कारोबार दिवाली पर होता है बनारस में
25
परसेंट तक पिछले दो साल में कारोबार में आई गिरावट
400
तक एक्यूआई पहुंच जाता है दिवाली पर
55 डेसीबल से ज्यादा आवाज से कानों के लिए खतरनाक
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संस्था की ओर से पर्यावरण सरंक्षण को लेकर लगातार अवेयरनेस कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। स्कूली बच्चों को बताया गया कि ईको फ्रेंडली पटाखे जलाने से एयर पॉल्यूशन कम होता है। लिहाजा इस दिवाली पर ईको फ्रेंडली पटाखों का इस्तेमाल करें।
एकता शेखर, मुख्य अभियान कर्ता-द क्लाइमेट एजेंडा
पटाखों के चलते ध्वनि व वायु प्रदूषण का लेवल न बढ़े इसे लेकर बहुत लोग अवेयर हुए है। इस वजह से सामान्य पटाखों की सेल 20 फीसदी तक घट गई है। ऐसे में इस बार ईको फ्रेडली पटाखे मंगाए जा रहे हैं।
मुन्ना, आतिशबाजी कारोबारी
पर्यावरण को बचाने के लिए पिछले दो साल से दिवाली पर ईको फ्रेडली पटाखों की डिमांड बढ़ी है। इस बार पहले से दिल्ली से इन पटाखों की खेप मंगाई जा रही है, ताकि व्यापार न प्रभावित हो।
शमसाद आलम, कारोबारी