वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी पहुंचे पूर्व क्रिकेटर व कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि मैं काशी से कुछ ऐसा लेकर पंजाब जाना चाहता हूं, जो शरीर और इंद्रियों से परे हो। बाबा विश्वनाथ की ये आदि अनंत नगरी है। मैं, काशी किसी राजनीतिक नहीं, बल्कि धर्मपत्नी के साथ धर्म यात्रा पर आया हूं। मैं किसी पार्टी या कैंडिडेट का प्रचार करने नहीं आया हूं.
पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए आया काशी
मेरी धर्मपत्नी कैंसर पीडि़त हैं। वो बाबा विश्वनाथ धाम की नगरी में आना चाहती थीं, इसलिए मैं उन्हें उनकी इच्छा पूरी करने लेकर आया हूं। मेरा काशी आने का मंसूबा केवल बाबा विश्वनाथ और मां विशालाक्षी हैं। शक्तिपीठ माता विशालाक्षी का पुराना हुकूम है। मैं उनके शरण में 3-4 दिन बिताना चाहता हूं। मैं बनारस में चोरी-चुपके नहीं आना चाहता था। मेरे बचपन की नगरी है। मुझे कभी किसी का भय नहीं हुआ.
भगवान के साथ कभी सौदेबाजी नहीं करता दोस्त
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि भगवान के साथ मैं कभी सौदेबाजी नहीं करता दोस्त। जब भी बाबा से प्रार्थना करता हूं तो शीश झुका कर यही कहता हूं कि मुझे मरना नहीं आता, मुझे अपना बना लो। सुख-दुख का साथ बना लो। मेरी मां एक हिंदू थी। दुर्गा की उपासक थीं। मैं काशी के मंदिरों में जाना चाहता हूं। बाबा विश्वनाथ का नया धाम नहीं देखा, वह भी देखना चाहता हूं। विश्व के कल्याण में हम सबका कल्याण है.
विश्वनाथ धाम में मत्था टेका
शाम को पूर्व क्रिकेटर व कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने धर्मपत्नी नवजोत कौर के साथ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में मत्था टेका। दर्शन के बाद धाम की भव्यता निहारी। धाम में भ्रमण करने के बाद नवजोत सिंह ने मां अन्नपूर्णा मंदिर में हाजिरी लगाई। माता के दर्शन के बाद महंत शंकरपूरी से मिलकर आशीर्वाद लिया.